परेश रावल की फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ 31 अक्टूबर को रिलीज होगी (तस्वीर क्रेडिट@SirPareshRawal)

परेश रावल की ‘द ताज स्टोरी’ 31 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी,ताजमहल की सच्चाई पर उठाएगी नए सवाल

मुंबई,28 अक्टूबर (युआईटीवी)- बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता परेश रावल एक बार फिर दर्शकों के सामने एक गहन और विचारोत्तेजक किरदार में नजर आने वाले हैं। उनकी अपकमिंग फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ 31 अक्टूबर को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म सिर्फ एक ऐतिहासिक या पीरियड ड्रामा नहीं,बल्कि एक ऐसी सिनेमाई बहस है जो इतिहास,आस्था और विचारों के बीच नई चर्चा को जन्म देने वाली है। सोमवार को मेकर्स ने फिल्म का दमदार डायलॉग प्रोमो रिलीज किया,जिसने दर्शकों की जिज्ञासा और भी बढ़ा दी है।

जारी किए गए प्रोमो में परेश रावल और जाकिर हुसैन के बीच एक तीखी बहस दिखाई गई है। यह बहस ताजमहल के इतिहास और उसकी असल कहानी पर केंद्रित है। परेश रावल का किरदार,जो फिल्म में विष्णु दास नामक विद्वान का रोल निभा रहे हैं,ताजमहल के पीछे छिपी सच्चाइयों पर सवाल खड़ा करता है। वहीं,जाकिर हुसैन का किरदार इन सवालों का विरोध करता हुआ दिखाई देता है। प्रोमो में संवादों की तीव्रता और अभिनय की गहराई दर्शाती है कि यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं,बल्कि दर्शकों की सोच को झकझोरने के लिए बनाई गई है।

फिल्म के मेकर्स ने प्रोमो शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “प्रेम का प्रतीक या नरसंहार का प्रतीक? समय आ गया है ताजमहल की झूठी कहानी को चुनौती देने का।” इस कैप्शन ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। इसके साथ फिल्म का टैगलाइन भी चर्चा में है — “क्या हम आजादी के 79 साल बाद भी बौद्धिक आतंकवाद के गुलाम हैं?” इन शब्दों ने फिल्म के प्रति दर्शकों में एक रहस्यमयी उत्सुकता पैदा कर दी है कि आखिर ताजमहल की कहानी को किस नए दृष्टिकोण से दिखाया जा रहा है।

‘द ताज स्टोरी’ को निर्देशक रोहित शर्मा ने बनाया है और फिल्म के संगीत निर्देशन की जिम्मेदारी राहुल देव नाथ और रोहित शर्मा दोनों ने मिलकर निभाई है। मेकर्स के मुताबिक,फिल्म का संगीत इसकी आत्मा के समान है,जो कहानी की भावनात्मक तीव्रता को और गहरा करता है। बैकग्राउंड स्कोर और गीत दोनों ही इतिहास और विचारों के इस सिनेमाई संघर्ष को और प्रभावशाली बनाते हैं।

फिल्म में परेश रावल के साथ-साथ कई सशक्त कलाकार नजर आएँगे,जिनमें जाकिर हुसैन,अमृता खानविलकर,स्नेहा वाघ और नामित दास प्रमुख भूमिकाओं में हैं। इन कलाकारों की मौजूदगी फिल्म की गहराई को और बढ़ाने का वादा करती है। प्रोमो से यह भी साफ झलकता है कि फिल्म का संवाद लेखन काफी मजबूत है और इसमें ऐसे कई संवाद हैं,जो दर्शकों के मन में लंबे समय तक गूँजते रहेंगे।

‘द ताज स्टोरी’ की कहानी ताजमहल से जुड़े इतिहास और उससे जुड़ी धारणाओं पर आधारित है। यह फिल्म इतिहास को नए नजरिए से देखने और सोचने के लिए प्रेरित करती है। प्रोमो से यह भी संकेत मिलता है कि फिल्म पारंपरिक इतिहास की व्याख्या को चुनौती देती है और यह सवाल उठाती है कि क्या हमें अब भी वही कहानी माननी चाहिए जो सदियों से सुनाई जाती रही है? फिल्म यह दिखाने की कोशिश करती है कि इतिहास सिर्फ किताबों में लिखा एक पक्ष नहीं होता,बल्कि समय-समय पर उसकी पुनः समीक्षा भी आवश्यक है।

परेश रावल का किरदार विष्णु दास इस फिल्म की आत्मा कहा जा सकता है। विष्णु दास एक ऐसा विद्वान है,जो ताजमहल की कहानी में छिपे रहस्यों को उजागर करने का संकल्प लेता है। वह सवाल उठाता है कि क्या ताजमहल वास्तव में प्रेम का प्रतीक है या इसके पीछे कोई और गहरी कहानी छिपी हुई है? उसकी इस खोज के दौरान उसे समाज,व्यवस्था और स्थापित मान्यताओं से टकराना पड़ता है। यह संघर्ष ही फिल्म का मूल कथानक बनता है।

फिल्म के निर्देशक रोहित शर्मा का कहना है कि ‘द ताज स्टोरी’ किसी धर्म या समुदाय को निशाना बनाने के लिए नहीं बनी है,बल्कि इसका उद्देश्य दर्शकों को सोचने पर मजबूर करना है। फिल्म यह सवाल जरूर उठाती है कि क्या इतिहास हमेशा वैसा ही होता है जैसा हमें बताया गया है या उसके कई अज्ञात अध्याय अभी भी छिपे हैं?

सोशल मीडिया पर फिल्म का प्रोमो रिलीज होते ही इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है। कई लोग फिल्म की प्रशंसा कर रहे हैं कि यह भारतीय सिनेमा में एक नए विषय को छू रही है,जबकि कुछ लोगों का कहना है कि इतिहास से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को संभालना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। बावजूद इसके,परेश रावल की अभिनय क्षमता और संवादों की गहराई ने दर्शकों को फिल्म देखने के लिए उत्साहित कर दिया है।

‘द ताज स्टोरी’ दर्शकों को केवल मनोरंजन नहीं देगी,बल्कि उन्हें अपने अतीत और इतिहास की व्याख्या पर विचार करने के लिए प्रेरित करेगी। फिल्म का उद्देश्य सिर्फ सच्चाई की खोज नहीं,बल्कि उस विचार पर प्रहार करना भी है,जो वर्षों से समाज के बौद्धिक ढाँचे पर हावी रहा है।

31 अक्टूबर को रिलीज होने जा रही यह फिल्म निस्संदेह एक ऐसी सिनेमाई यात्रा होगी जो दर्शकों को भावनात्मक और बौद्धिक दोनों स्तरों पर झकझोरेगी। परेश रावल की दमदार अदाकारी और फिल्म के संवेदनशील विषय को देखते हुए कहा जा सकता है कि ‘द ताज स्टोरी’ भारतीय सिनेमा में एक साहसिक प्रयोग साबित हो सकती है,एक ऐसा प्रयोग जो प्रेम,इतिहास और सच्चाई के बीच की महीन रेखा को नए सिरे से परिभाषित करेगा।