प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान जाएँगे 2100 सिख तीर्थयात्री (तस्वीर क्रेडिट@PakinIndia)

प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान जाएँगे 2100 सिख तीर्थयात्री,भारत ने दी मंजूरी — ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब में होंगे दर्शन

नई दिल्ली,30 अक्टूबर (युआईटीवी)- गुरु नानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व के अवसर पर भारत सरकार ने 2100 सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान जाने की अनुमति दे दी है। यह यात्रा 4 नवंबर से 13 नवंबर 2025 तक आयोजित होगी। इस दौरान तीर्थयात्री ननकाना साहिब,करतारपुर साहिब और अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारों में मत्था टेकेंगे। इस यात्रा को लेकर भारत में पाकिस्तान उच्चायोग ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा की। उच्चायोग ने बताया कि दिल्ली स्थित पाकिस्तान दूतावास ने सिख श्रद्धालुओं को 2100 से अधिक वीजा जारी किए हैं,ताकि वे पाकिस्तान में आयोजित होने वाले गुरु नानक देव जी के जन्मोत्सव में शामिल हो सकें।

यह यात्रा भारत और पाकिस्तान के बीच 1974 में हुए धार्मिक प्रोटोकॉल के तहत की जा रही है। इस समझौते के अंतर्गत दोनों देशों के नागरिकों को एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों पर दर्शन के लिए वीजा जारी किए जाते हैं। इस वर्ष के कार्यक्रम में भारत से रवाना होने वाले तीर्थयात्री अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान पहुँचेंगे। वहाँ वे ननकाना साहिब,करतारपुर साहिब,देरा साहिब लाहौर,पंजा साहिब हसन अबदल और अन्य पवित्र स्थलों का दर्शन करेंगे।

गौरतलब है कि ननकाना साहिब गुरु नानक देव जी का जन्मस्थान है और सिख धर्म के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। इसी स्थान पर 1469 में गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। वहीं,करतारपुर साहिब वह स्थान है,जहाँ उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए और मानवता,समानता और भाईचारे का संदेश दिया। करतारपुर गुरुद्वारा भारत-पाक सीमा के बेहद करीब स्थित है।

2019 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते के बाद करतारपुर कॉरिडोर खोला गया था। इस कॉरिडोर ने भारत के सिख श्रद्धालुओं के लिए पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुँचना आसान बना दिया। यह कॉरिडोर वीजा-मुक्त है और भारतीय तीर्थयात्री केवल एक विशेष परमिट लेकर सीमा पार कर सकते हैं। इस कॉरिडोर की वजह से अब हजारों सिख श्रद्धालु प्रतिवर्ष करतारपुर साहिब जाकर गुरु नानक देव जी को नमन करते हैं।

हालाँकि,मौजूदा समय में भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं। भारत सरकार ने सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया है और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत करारी कार्रवाई की है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान सीमा के भीतर 9 आतंकी अड्डों को तबाह किया था। इन घटनाओं के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद लगभग ठप पड़ा है।

इसी पृष्ठभूमि में सिख तीर्थयात्रियों की यह यात्रा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इसे धार्मिक और मानवीय दृष्टिकोण से एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। भारत सरकार ने सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं। गृह मंत्रालय और पंजाब पुलिस के सहयोग से यात्रा से पहले तीर्थयात्रियों का पूरा डाटा वेरिफिकेशन किया गया है। इसके अलावा पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग की एक विशेष टीम भी श्रद्धालुओं के साथ संपर्क में रहेगी,ताकि यात्रा के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो।

भारत के सिख समुदाय में इस खबर को लेकर उत्साह का माहौल है। कई गुरुद्वारा समितियों ने कहा है कि इस यात्रा से न केवल सिख श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक संतोष मिलेगा,बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच धार्मिक स्तर पर संवाद का रास्ता भी खुलेगा। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) ने कहा कि प्रकाश पर्व का यह उत्सव सिख धर्म के लिए बेहद पवित्र अवसर है और तीर्थयात्रियों का पाकिस्तान जाना गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का प्रतीक है।

पाकिस्तान की ओर से भी इस यात्रा के लिए विशेष तैयारी की गई है। पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) ने कहा है कि ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब में श्रद्धालुओं की सुरक्षा,आवास और लंगर की व्यवस्था पूरी कर ली गई है। इसके साथ ही पाकिस्तान सरकार ने भी भरोसा दिलाया है कि यात्रा पूरी तरह सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन्न होगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक तनाव के बावजूद धार्मिक यात्राओं की निरंतरता दोनों देशों के बीच ‘ट्रैक-टू डिप्लोमेसी’ यानी वैकल्पिक कूटनीति का उदाहरण है। जहाँ सरकारें एक-दूसरे के खिलाफ कठोर रुख अपनाए हुए हैं,वहीं धर्म और संस्कृति के माध्यम से संवाद की यह कड़ी अभी भी कायम है।

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में सीमाओं से परे जाकर मानवता का संदेश दिया था। ननकाना साहिब और करतारपुर जैसे पवित्र स्थलों पर हर साल लाखों श्रद्धालु इस संदेश को याद करते हैं। ऐसे में इस वर्ष 2100 भारतीय तीर्थयात्रियों का पाकिस्तान जाना केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं,बल्कि शांति,श्रद्धा और सौहार्द का प्रतीक भी है।

भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक मतभेद चाहे जितने गहरे हों,लेकिन गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ इन सीमाओं से कहीं ऊपर हैं। उनके अनुयायी इस यात्रा के माध्यम से फिर से यही संदेश देने जा रहे हैं कि मानवता,प्रेम और भाईचारा किसी भी सीमा से बड़ा होता है।