लंदन,30 अक्टूबर (युआईटीवी)- लंदन के प्रसिद्ध बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर, जिसे आमतौर पर ‘नीसडन मंदिर’ के नाम से जाना जाता है,ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखा,जब ब्रिटेन के महाराजा किंग चार्ल्स तृतीय और महारानी कैमिला दिवाली तथा हिंदू नववर्ष के पावन अवसर पर मंदिर दर्शनार्थ पहुँचे। यह अवसर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था,बल्कि इस वर्ष मंदिर के स्थापत्य और आध्यात्मिक यात्रा के तीस वर्ष पूर्ण होने का भी प्रतीक था। 1995 में परम पूज्य प्रमुख स्वामी महाराज द्वारा निर्मित इस भव्य मंदिर ने तीन दशकों में विश्व भर से करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। इसकी आध्यात्मिक आभा और भारतीय संस्कृति की झलक ने इसे ब्रिटेन ही नहीं,बल्कि विश्व स्तर पर भी एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक केंद्र बना दिया है।
शाही दंपति का यह दौरा कई दृष्टियों से खास रहा,क्योंकि किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला के रूप में यह उनका नीसडन मंदिर का पहला आधिकारिक दौरा था। इससे पहले वे कई बार प्रिंस ऑफ वेल्स और डचेस ऑफ कॉर्नवाल के रूप में यहाँ पधार चुके थे। मंदिर पहुँचने पर बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष श्री जीतूभाई पटेल ने उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण के बाद दोनों ने मंदिर परिसर में घूमकर भगवान स्वामीनारायण के दर्शन किए और मंदिर की भव्य नक्काशी और स्थापत्य कला की सराहना की।
मंदिर के अंदर दिवाली और नववर्ष के अवसर पर रंगोलियों,दीपों और पुष्प सज्जा से एक अद्भुत वातावरण निर्मित किया गया था। सैकड़ों भक्तों और स्वयंसेवकों की उपस्थिति में जब शाही दंपति ने आरती में भाग लिया,तो पूरा परिसर भक्ति और गौरव के भाव से गूँज उठा। इस अवसर पर मंदिर के मुख्य कार्यवाहक संत योग विवेकदास स्वामी ने उनका स्वागत करते हुए कहा, “शाही दंपति की उपस्थिति हमारे लिए एक ऐतिहासिक आशीर्वाद है। वे न केवल ब्रिटिश समाज के प्रतीक हैं,बल्कि उन्होंने वर्षों से बीएपीएस संस्था की मानवीय और सामाजिक सेवाओं में गहरी रुचि दिखाई है। हम उनके सहयोग और मित्रता के लिए हृदय से आभारी हैं।”
मंदिर के इस ऐतिहासिक दौरे के दौरान शाही दंपति ने स्वयंसेवकों और भक्तों से भी भेंट की। उन्होंने संस्था द्वारा ब्रिटिश समाज में किए जा रहे सामाजिक और मानवीय कार्यों की जानकारी प्राप्त की। विशेष रूप से उन्होंने बीएपीएस की ‘द फेलिक्स प्रोजेक्ट’ के साथ साझेदारी की सराहना की,जो ब्रिटेन की एक प्रतिष्ठित चैरिटी संस्था है। यह संस्था देश के कमजोर वर्गों और जरूरतमंदों तक अतिरिक्त भोजन पहुँचाने का कार्य करती है और यह पहल किंग चार्ल्स के अपने ‘कोरोनेशन फूड प्रोजेक्ट’ का भी अभिन्न हिस्सा है। किंग चार्ल्स ने इस अवसर पर कहा कि “मंदिर द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्य यह दर्शाते हैं कि आस्था का सार सेवा में निहित है। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं,बल्कि समाज सुधार की प्रेरणा देने वाला केंद्र है।”
इस अवसर पर शाही दंपति को पेरिस में बन रहे बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर के बारे में भी जानकारी दी गई,जिसका उद्घाटन सितंबर 2026 में होने जा रहा है। यह फ्रांस का पहला पारंपरिक हिंदू मंदिर होगा। मंदिर निर्माण परियोजना टीम के प्रमुख सदस्यों ने किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला को मंदिर की डिजाइन,पर्यावरणीय स्थिरता और सामुदायिक लाभ से संबंधित पहलुओं के बारे में अवगत कराया। किंग चार्ल्स ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि “यह परियोजना यूरोप में बहुसांस्कृतिक एकता और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बनेगी।”
भारत से बीएपीएस संस्था के आध्यात्मिक प्रमुख परम पूज्य महंत स्वामी महाराज ने भी वीडियो संदेश के माध्यम से शाही परिवार को आशीर्वाद दिया। उन्होंने अपने संदेश में कहा, “आपकी दशकों की सार्वजनिक सेवा आस्था,करुणा और एकता की भावना को प्रतिबिंबित करती है। धर्मों के बीच सद्भाव और परस्पर सम्मान को प्रोत्साहित करने में आपका योगदान प्रेरणादायक है। आपकी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि विविधता में भी एकता का संदेश जीवित है।” इसके अलावा,महंत स्वामी महाराज ने एक व्यक्तिगत पत्र में किंग चार्ल्स को यूके की समृद्धि,स्थिरता और प्रगति के लिए विशेष प्रार्थना और आशीर्वाद भी भेजे।
बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था ने ब्रिटेन में अपने तीन दशकों के दौरान न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। इसने युवा विकास,वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल,स्वास्थ्य जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में हजारों स्वयंसेवकों के माध्यम से निरंतर कार्य किया है। नीसडन मंदिर अब ब्रिटिश बहुसांस्कृतिक समाज का अभिन्न अंग बन चुका है और उसकी सेवा प्रवृत्ति ने विभिन्न समुदायों के बीच संवाद और सौहार्द को मजबूत किया है।
शाही दंपति ने मंदिर परिसर में स्थापित ‘सेवा प्रदर्शनी’ का भी अवलोकन किया,जहाँ विभिन्न चैरिटी और सामाजिक परियोजनाओं की झलक प्रस्तुत की गई थी। उन्होंने वहाँ मौजूद स्वयंसेवकों से बातचीत कर उनके अनुभव जाने और उनकी निष्ठा की सराहना की। रानी कैमिला ने कहा, “यह देखकर अत्यंत प्रेरणा मिलती है कि यहाँ युवा और वृद्ध दोनों एक समान उत्साह से सेवा में लगे हैं। यह सच्चे सामुदायिक एकता का प्रतीक है।”
किंग चार्ल्स तृतीय और बीएपीएस संस्था के बीच यह संबंध कोई नया नहीं है। यह रिश्ता लगभग तीन दशकों से अधिक पुराना है और अनेक महत्वपूर्ण अवसरों का साक्षी रहा है। 1996 में मंदिर के उद्घाटन के तुरंत बाद तत्कालीन प्रिंस चार्ल्स ने पहली बार यहाँ दर्शन किए थे। 1997 में उन्होंने सेंट जेम्स पैलेस में प्रमुख स्वामी महाराज का स्वागत किया था। 2001 में गुजरात भूकंप के बाद जब मंदिर ने राहत कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई,तब चार्ल्स ने व्यक्तिगत रूप से मंदिर पहुँचकर इस सेवा कार्य की सराहना की थी।
2005 में उन्होंने महारानी कैमिला के साथ लंदन के साइंस म्यूजियम में ‘मिस्टिक इंडिया’ फिल्म के रॉयल प्रीमियर में भाग लिया। इसके बाद 2007 में दिवाली और 2009 में होली के अवसर पर भी वे नीसडन मंदिर आए थे। 2013 में भारत यात्रा के दौरान उन्होंने नई दिल्ली स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम का भी दौरा किया था। 2016 में प्रमुख स्वामी महाराज के देहविलय के बाद उन्होंने गहरा शोक व्यक्त किया और उनके आध्यात्मिक योगदान की प्रशंसा की। 2020 में मंदिर की 25वीं वर्षगांठ पर उन्होंने वीडियो संदेश भेजा,वहीं 2022 में प्रमुख स्वामी महाराज के शताब्दी जन्म समारोह के अवसर पर उन्होंने विशेष संदेश दिया।
2023 में जब वेस्टमिंस्टर एब्बे में उनके राज्याभिषेक समारोह का आयोजन हुआ,तब बीएपीएस यूके के अध्यक्ष श्री जीतूभाई पटेल हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित अतिथि थे। यह इस गहरी और परस्पर सम्मानजनक साझेदारी का प्रमाण था।
नीसडन मंदिर में किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला की यह हालिया यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का सम्मान है,बल्कि यह ब्रिटेन में विविध संस्कृतियों के बीच सौहार्द और सहयोग की भावना को भी सुदृढ़ करती है। जब शाही दंपति मंदिर से विदा हुए,तो उन्होंने वहाँ मौजूद स्वयंसेवकों को उनके अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा के लिए धन्यवाद दिया।
इस ऐतिहासिक दौरे ने एक बार फिर से यह सिद्ध किया कि आस्था,सेवा और संवाद के माध्यम से संस्कृतियाँ और समुदाय एक-दूसरे के और निकट आ सकते हैं। नीसडन मंदिर के 30 वर्षों की इस पवित्र यात्रा में शाही परिवार की निरंतर सहभागिता इस तथ्य की गवाही देती है कि सच्चा आध्यात्मिक संबंध सीमाओं से परे होता है — वह केवल श्रद्धा,सम्मान और मानवता के धागे से बंधा रहता है।

