सियोल,31 अक्टूबर (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया पर निगरानी की अपनी क्षमता को और सशक्त बनाने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। सियोल के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह इस सप्ताह के अंत तक अपना पाँचवां स्वदेशी सैन्य जासूसी उपग्रह लॉन्च करेगा। यह उपग्रह रविवार को (अमेरिकी समयानुसार) रात करीब 1 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह मिशन दक्षिण कोरिया की उस दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है,जिसके तहत वह उत्तर कोरिया की सैन्य गतिविधियों पर अपनी निगरानी क्षमता को और प्रभावी बनाना चाहता है तथा अमेरिकी उपग्रहों पर अपनी निर्भरता को धीरे-धीरे कम करना चाहता है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार,यह नया जासूसी उपग्रह अत्याधुनिक सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) तकनीक से लैस होगा। एसएआर प्रणाली उपग्रह को किसी भी मौसम की स्थिति — चाहे बादल हों,धुंध हो या रात का अँधेरा में उच्च-गुणवत्ता की तस्वीरें और डाटा भेजने में सक्षम बनाती है। मंत्रालय ने कहा, “पाँचों टोही उपग्रहों के समूह के संचालन से उत्तर कोरिया की किसी भी उकसाने वाली गतिविधि के संकेतों का पता पहले से कहीं अधिक तेजी और सटीकता से लगाया जा सकेगा।” यह उपग्रह दक्षिण कोरिया की त्रि-अक्षीय रक्षा प्रणाली को और मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
माना जा रहा है कि इस उपग्रह के कक्षा में स्थापित होने के बाद दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया की गतिविधियों पर लगभग वास्तविक समय में नजर रखने की क्षमता मिल जाएगी। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,जब सभी पाँच उपग्रह अपनी निर्धारित कक्षाओं में सक्रिय हो जाएँगे,तो दक्षिण कोरिया हर दो घंटे में उत्तर कोरिया के ऊपर से निगरानी कर सकेगा। यह क्षमता उत्तर कोरिया की मिसाइल गतिविधियों,परमाणु परीक्षण स्थलों और सैन्य ठिकानों पर नज़र रखने के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी।
दक्षिण कोरिया ने दिसंबर 2023 में अपना पहला सैन्य जासूसी उपग्रह लॉन्च किया था,जो इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इंफ्रारेड सेंसर से लैस था। इस उपग्रह ने सियोल की निगरानी क्षमताओं को एक नए स्तर पर पहुँचाया,क्योंकि यह बादलों या अँधेरे की परवाह किए बिना स्पष्ट और विस्तृत चित्र लेने में सक्षम था। इसके बाद दक्षिण कोरिया ने 2024 के दौरान तीन और उपग्रह लॉन्च किए,जिनमें सभी में एसएआर सेंसर लगाए गए थे। इन उपग्रहों की मदद से सियोल अब किसी भी समय,किसी भी मौसम में,उत्तर कोरिया की सीमा और सामरिक स्थलों की निगरानी कर सकता है। अब पाँचवें उपग्रह के साथ यह नेटवर्क पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा।
दक्षिण कोरिया के रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम उत्तर कोरिया के बढ़ते सैन्य कार्यक्रमों के बीच अत्यंत महत्वपूर्ण है। उत्तर कोरिया पिछले कुछ वर्षों में लगातार अपने मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहा है। सियोल को चिंता है कि प्योंगयांग किसी भी समय नई मिसाइल परीक्षणों या सैन्य गतिविधियों को अंजाम दे सकता है। इसीलिए,दक्षिण कोरिया ने अपनी अंतरिक्ष निगरानी क्षमताओं को स्वदेशी स्तर पर विकसित करने की दिशा में तेज़ी से काम किया है।
वहीं,उत्तर कोरिया भी अपने दुश्मन देशों — विशेषकर दक्षिण कोरिया,जापान और अमेरिका पर नजर रखने की क्षमता बढ़ाने के प्रयासों में जुटा है। नवंबर 2023 में उत्तर कोरिया ने अपना पहला सैन्य जासूसी उपग्रह ‘मल्लिगयोंग-1’ लॉन्च किया था। प्योंगयांग ने दावा किया था कि यह उपग्रह अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य अड्डों की तस्वीरें भेजने में सक्षम है। हालाँकि,पश्चिमी देशों ने उसके दावों पर संदेह जताया था। इसके बावजूद,उत्तर कोरिया ने 2024 में तीन और जासूसी उपग्रह भेजने का वादा किया था,लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका।
पिछले साल मई में उत्तर कोरिया द्वारा भेजा गया एक उपग्रह रॉकेट लॉन्च के कुछ ही क्षणों बाद हवा में फट गया था। इस हादसे के बाद प्योंगयांग ने अपनी लॉन्च प्रणाली को दुरुस्त करने की कोशिशें तेज कीं,लेकिन 2024 के बाद से उसने कोई नया सफल प्रक्षेपण नहीं किया है। यह स्पष्ट है कि दक्षिण कोरिया की तुलना में उत्तर कोरिया की अंतरिक्ष तकनीक अभी भी पिछड़ी हुई है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार,दक्षिण कोरिया के ये उपग्रह न केवल खुफिया निगरानी के लिए उपयोगी होंगे,बल्कि वे देश की “त्रि-अक्षीय रक्षा प्रणाली” का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएँगे। इस प्रणाली में तीन स्तरों की रणनीति शामिल है —
पहला,दुश्मन की मिसाइलों को लॉन्च से पहले ही नष्ट करने की क्षमता,
दूसरा, दुश्मन की मिसाइलों को हवा में रोकने की क्षमता और तीसरा,किसी भी हमले की स्थिति में त्वरित जवाब देने की क्षमता।
इस पूरी रणनीति में उपग्रह निगरानी सबसे अहम भूमिका निभाती है,क्योंकि दुश्मन की गतिविधियों की वास्तविक समय की जानकारी के बिना कोई भी रक्षात्मक या आक्रामक कदम उठाना संभव नहीं होता।
दक्षिण कोरिया का यह नया उपग्रह लॉन्च उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का भी संकेत देता है। सियोल अब न केवल निगरानी उपग्रहों तक सीमित रहना चाहता है,बल्कि भविष्य में संचार और नेविगेशन से जुड़े उपग्रह भी विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है।
रविवार को प्रस्तावित यह प्रक्षेपण दक्षिण कोरिया की अंतरिक्ष क्षमताओं के लिए एक और ऐतिहासिक पड़ाव साबित होगा। पाँचवां उपग्रह कक्षा में पहुँचने के बाद दक्षिण कोरिया पूरी तरह से स्वतंत्र उपग्रह निगरानी प्रणाली वाला देश बन जाएगा। यह कदम न केवल उत्तर कोरिया की गतिविधियों पर सटीक नजर रखने की दिशा में मील का पत्थर है,बल्कि यह एशिया में शक्ति संतुलन के समीकरण को भी नया रूप दे सकता है।

