प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@DrJitendraSingh)

प्रधानमंत्री मोदी ने किया ईएसटीआईसी 2025 का उद्घाटन,लॉन्च किया 1 लाख करोड़ रुपए का आरडीआई फंड,विज्ञान और नवाचार को दी नई दिशा

नई दिल्ली,3 नवंबर (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित इमर्जिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी इनोवेशन कॉन्क्लेव (ईएसटीआईसी) 2025 का औपचारिक उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए एक लाख करोड़ रुपए के रिसर्च,डेवलपमेंट एंड इनोवेशन (आरडीआई) फंड की शुरुआत की। यह फंड देश में वैज्ञानिक अनुसंधान,तकनीकी विकास और इनोवेशन के नए युग की नींव रखने वाला साबित होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कहा कि यह आयोजन केवल एक कॉन्फ्रेंस नहीं,बल्कि भारत के उज्जवल वैज्ञानिक भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, “आज का यह कार्यक्रम विज्ञान और नवाचार के उस आत्मविश्वास को दर्शाता है जो आज के भारत में दिखाई दे रहा है। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत न केवल उपभोक्ता बने बल्कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में सृजनकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाए।”

कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की हालिया ऐतिहासिक जीत का उल्लेख करते हुए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा, “आज का दिन विज्ञान के नाम है,लेकिन मैं इस मौके पर भारत की महिला क्रिकेट टीम को शुभकामनाएँ देना चाहता हूँ। उन्होंने अपने प्रदर्शन से पूरे देश को गौरवान्वित किया है। यह सफलता हमारे युवाओं में आत्मविश्वास और जज़्बे की नई ऊर्जा भरती है।”

प्रधानमंत्री ने हाल ही में इसरो द्वारा इंडियन नेवी के जीसैट-7आर (सीएमएस-03) कम्युनिकेशन सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत की तकनीकी दक्षता और अंतरिक्ष अनुसंधान में बढ़ती क्षमता का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “इसरो के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत अब स्पेस टेक्नोलॉजी में वैश्विक अग्रणी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस मिशन की सफलता न केवल हमारे वैज्ञानिक समुदाय के लिए,बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है।”

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान में बदलाव की गति अब रैखिक (लीनियर) नहीं रही,बल्कि यह अब घातीय (एक्सपोनेंशियल) रूप से बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि रिसर्च और डेवलपमेंट में भारत पीछे न रहे। इसी सोच के तहत हमने एक लाख करोड़ रुपए का आरडीआई फंड लॉन्च किया है। इस फंड के जरिए हम युवाओं,स्टार्टअप्स,शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों को नई तकनीकी पहल के लिए प्रोत्साहित करेंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का मकसद केवल सरकारी संस्थानों में इनोवेशन को प्रोत्साहन देना नहीं है,बल्कि निजी क्षेत्र को भी रिसर्च और डेवलपमेंट में बराबर की भागीदारी देने का है। उन्होंने कहा, “हम एक ऐसे आधुनिक इनोवेशन इकोसिस्टम का निर्माण कर रहे हैं,जिसमें अनुसंधान आसान हो,फंडिंग की कोई बाधा न हो और विचारों को प्रयोगशाला से बाजार तक पहुँचाने का रास्ता सरल बने। इसी के लिए सरकार ने कई वित्तीय नियमों और खरीद नीतियों में सुधार किए हैं।”

ईएसटीआईसी 2025 कॉन्क्लेव तीन दिनों तक यानी 3 से 5 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा। इस दौरान देश और विदेश से आए वैज्ञानिक,नोबेल पुरस्कार विजेता,नीति निर्माता,इनोवेटर्स,उद्योगपति और शिक्षाविद एक मंच पर एकत्रित होंगे। कार्यक्रम में न केवल तकनीकी उपलब्धियों पर चर्चा की जाएगी,बल्कि भविष्य की उन चुनौतियों और अवसरों पर भी विचार किया जाएगा,जिनसे आने वाले वर्षों में भारत का वैज्ञानिक परिदृश्य आकार लेगा।

यह कॉन्क्लेव 11 प्रमुख विषयगत क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगा,जिनमें एडवांस मटेरियल्स और मैन्युफैक्चरिंग,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,बायो-मैन्युफैक्चरिंग,ब्लू इकोनॉमी, डिजिटल कम्युनिकेशन,इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग,उभरती हुई कृषि टेक्नोलॉजी,एनर्जी, पर्यावरण और जलवायु,स्वास्थ्य और चिकित्सा टेक्नोलॉजी, क्वांटम साइंस और स्पेस टेक्नोलॉजी शामिल हैं। इन विषयों पर होने वाली चर्चाएँ आने वाले वर्षों में भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दिशा तय करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि भारत का भविष्य विज्ञान और नवाचार पर निर्भर है। उन्होंने कहा, “21वीं सदी ज्ञान की सदी है और इस युग में वही राष्ट्र आगे बढ़ेगा,जो इनोवेशन में अग्रणी होगा। भारत के पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमें बस अपने वैज्ञानिकों,शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स को ऐसा माहौल देना है,जहाँ वे निर्भीक होकर प्रयोग करें और नयी राहें बनाएँ।”

कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत अब विज्ञान का उपभोक्ता देश नहीं रहेगा,बल्कि इसका उत्पादक बनेगा। उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि कैसे पिछले दशक में भारत ने अंतरिक्ष,रक्षा,स्वास्थ्य,डिजिटल और एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी में क्रांति की है। आरडीआई फंड इसी यात्रा को नई ऊँचाई देगा। आज भारत के पास अवसर है कि वह दुनिया को दिखाए कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता कैसी होती है।”

ईएसटीआईसी 2025 के उद्घाटन के साथ भारत ने विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू किया है। यह केवल एक सरकारी पहल नहीं,बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के सामूहिक सपनों और आकांक्षाओं का प्रतीक है — एक ऐसे भारत का सपना जो भविष्य की तकनीक का निर्माता बने,न कि मात्र उपभोक्ता।