थिंपू,11 नवंबर (युआईटीवी)- भारत और भूटान के बीच गहरी मित्रता और सहयोग की परंपरा एक बार फिर नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर भूटान की राजधानी थिंपू पहुँचे, जहाँ उनका भव्य और गर्मजोशी भरा स्वागत किया गया। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे स्वयं एयरपोर्ट पर मौजूद रहे और उन्होंने मोदी का आलिंगन कर स्वागत किया। इस पल ने दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे स्नेह और विश्वासपूर्ण संबंधों की झलक पेश की।
थिंपू पहुँचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए लिखा, “भूटान पहुँच गया हूँ। एयरपोर्ट पर गर्मजोशी और भव्य स्वागत के लिए प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे का आभारी हूँ। यह यात्रा दोनों देशों के बीच मैत्री और सहयोग के गहरे बंधनों को दर्शाती है। भारत और भूटान के बीच विश्वास, सद्भावना और आपसी सम्मान पर आधारित एक समय-परीक्षित साझेदारी है। मैं इस यात्रा के दौरान हमारे घनिष्ठ संबंधों को और मजबूत करने की आशा करता हूँ।”
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भी इस दौरे को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा, “मैं पूरे देश की ओर से अपने बड़े भाई,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भूटान में स्वागत करता हूँ।” इस संदेश से यह साफ झलकता है कि भूटान,भारत को न केवल अपने सबसे करीबी सहयोगी के रूप में देखता है,बल्कि दोनों देशों के नेताओं के बीच भी व्यक्तिगत स्तर पर गहरा आपसी विश्वास और सम्मान मौजूद है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा कई मायनों में विशेष है। यह न केवल भूटान के साथ भारत की “पड़ोसी प्रथम नीति” का प्रतीक है,बल्कि यह दोनों देशों के बीच चल रही विकास परियोजनाओं,विशेषकर ऊर्जा सहयोग,को नई दिशा देने वाला साबित होगा। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का प्रमुख आकर्षण दूसरी पुनात्सांगछू जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन है,जो भारत और भूटान के बीच ऊर्जा साझेदारी में एक नई मील का पत्थर जोड़ देगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रस्थान से पहले अपने बयान में कहा था कि भारत और भूटान के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। उन्होंने कहा, “भारत और भूटान के बीच मैत्री और सहयोग के अनुकरणीय संबंध हैं,जो गहरे आपसी विश्वास,समझ और सद्भावना पर आधारित हैं। हमारी साझेदारी हमारी ‘पड़ोसी पहले’ नीति का एक प्रमुख स्तंभ है और पड़ोसी देशों के बीच अनुकरणीय मैत्रीपूर्ण संबंधों का एक आदर्श है।”
यह यात्रा ऐसे समय हो रही है,जब भारत क्षेत्रीय स्तर पर अपनी रणनीतिक और कूटनीतिक भूमिका को और मजबूत कर रहा है। भूटान, भारत का एक ऐसा पड़ोसी है,जिसके साथ न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं,बल्कि आर्थिक,जलविद्युत और सुरक्षा सहयोग भी बेहद गहरा है। दोनों देशों के बीच 1949 में हुई संधि ने इस रिश्ते की नींव रखी थी,जिसे 2007 में आधुनिक समय के अनुरूप अद्यतन किया गया। इस नई संधि ने दोनों देशों के बीच समानता और आपसी सम्मान पर आधारित सहयोग की भावना को और प्रबल बनाया।
भूटान भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत भूटान के विकास में लगातार सहयोग करता आया है। भारत की सहायता से भूटान में कई बड़े बुनियादी ढाँचा और जलविद्युत प्रोजेक्ट पूरे किए गए हैं,जिनसे न केवल भूटान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है,बल्कि भारत को भी स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है। पुनात्सांगछू-II परियोजना इसी सहयोग का एक और उत्कृष्ट उदाहरण है,जो दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी को नई ऊँचाई देगी।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा में द्विपक्षीय संबंधों के अलावा शिक्षा,तकनीक,डिजिटल कनेक्टिविटी और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा होगी। भारत पहले से ही भूटान को सैटेलाइट तकनीक,आईटी शिक्षा और डिजिटल पेमेंट सिस्टम जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान कर रहा है। इस दिशा में “डिजिटल भूटान” पहल को भी भारत का व्यापक समर्थन प्राप्त है।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को सुदृढ़ करेगा,बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक समृद्धि को भी नई गति देगा। चीन के साथ भूटान की सीमा वार्ता के दौर में भारत की यह सक्रिय कूटनीति भूटान के लिए एक सशक्त संदेश है कि भारत उसके साथ हर परिस्थिति में खड़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान थिंपू की सड़कों पर भारतीय और भूटानी झंडों से सजावट की गई थी। स्कूलों के बच्चे पारंपरिक भूटानी परिधानों में प्रधानमंत्री का स्वागत करते दिखाई दिए। स्थानीय मीडिया ने इसे “भूटान में भारतीय मित्र का स्वागत” के रूप में पेश किया।
प्रधानमंत्री मोदी अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और चतुर्थ राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच उच्चस्तरीय वार्ता भी होगी,जिसमें द्विपक्षीय व्यापार,जलविद्युत परियोजनाओं की प्रगति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर चर्चा होगी।
यह दौरा ऐसे समय हो रहा है,जब भारत और भूटान अपनी साझेदारी के 75 वर्ष पूरे करने की ओर बढ़ रहे हैं। दोनों देशों ने पिछले सात दशकों में परस्पर विश्वास और सम्मान पर आधारित संबंधों का ऐसा उदाहरण पेश किया है,जो पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भूटान दौरा केवल एक औपचारिक राजनयिक यात्रा नहीं,बल्कि भारत-भूटान मित्रता के उस स्थायी पुल का प्रतीक है,जिसने दशकों से दोनों देशों को जोड़े रखा है। यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि भारत अपनी पड़ोसी नीति में केवल भौगोलिक समीपता नहीं,बल्कि सांस्कृतिक,भावनात्मक और आर्थिक एकता को भी सर्वोपरि मानता है। प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल निश्चित रूप से भारत-भूटान संबंधों में एक नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ेगी।

