भूटान के चौथे नरेश से पीएम मोदी की मुलाकात (तस्वीर क्रेडिट@BJP4India)

भूटान के चौथे नरेश से पीएम मोदी की मुलाकात,वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव में हिस्सा लिया,भारत-भूटान मैत्री के नए अध्याय पर हुई चर्चा

थिम्पू,12 नवंबर (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को भूटान की राजधानी थिम्पू में भूटान के चौथे नरेश महामहिम जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से मुलाकात की। यह मुलाकात भूटान के पूर्व नरेश की 70वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव के दौरान हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर चौथे नरेश को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और भारत सरकार तथा भारतीय जनता की ओर से उनके दीर्घायु,अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि चौथे नरेश का नेतृत्व,परामर्श और मार्गदर्शन भारत-भूटान संबंधों को सशक्त और स्थायी बनाने में सदैव प्रेरणास्रोत रहा है।

दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक में द्विपक्षीय संबंधों और परस्पर हित के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चौथे नरेश ने भारत और भूटान के बीच साझा आध्यात्मिक,सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया,जो दशकों से दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की नींव बने हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और भूटान के रिश्ते केवल कूटनीतिक नहीं हैं,बल्कि ये दिलों से जुड़े हैं और इनका आधार परंपरा,संस्कृति और साझा मूल्यों पर टिका है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी इस मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “महामहिम चतुर्थ नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के साथ एक सार्थक बैठक हुई। भारत-भूटान संबंधों को और मजबूत करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में उनके योगदान और मार्गदर्शन की मैं गहराई से सराहना करता हूँ। हमारी चर्चा ऊर्जा,व्यापार,प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी जैसे अहम क्षेत्रों पर केंद्रित रही। साथ ही,मैंने गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी परियोजना की प्रगति की भी सराहना की,जो भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के अनुरूप है।”

गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी परियोजना,भूटान में सतत विकास और आध्यात्मिकता पर आधारित शहरी विकास का एक अभिनव प्रयास है। भारत इस परियोजना में तकनीकी और निवेश सहयोग प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना को दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय विकास और पर्यावरण संतुलन का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।

इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने चौथे नरेश की 70वीं जयंती के अवसर पर आयोजित विशेष समारोह में भी भाग लिया था। इस समारोह में उन्होंने भारत और भूटान के बीच स्थायी मित्रता,साझा आध्यात्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक एकता पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि “भारत और भूटान के रिश्ते हिमालय जितने ही स्थिर और पवित्र हैं। दोनों देश न केवल पड़ोसी हैं,बल्कि साझी मान्यताओं और एक-दूसरे के प्रति अटूट विश्वास के साथी हैं।”

भूटान के चौथे नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक का जन्म 11 नवंबर 1955 को हुआ था। उन्होंने वर्ष 1972 से 2006 तक भूटान के ग्यालपो (राजा) के रूप में शासन किया। उन्हें भूटान के सबसे दूरदर्शी और लोकप्रिय नेताओं में गिना जाता है। उनके शासनकाल में भूटान ने विकास के उस अनूठे मार्ग को अपनाया जिसे ‘ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस’ के नाम से विश्वभर में जाना जाता है। यह दर्शन इस विचार पर आधारित था कि किसी देश की प्रगति केवल आर्थिक वृद्धि से नहीं,बल्कि नागरिकों के समग्र कल्याण,पर्यावरण संतुलन और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा से भी मापी जानी चाहिए। जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के इस दूरदर्शी दृष्टिकोण ने भूटान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विशिष्ट पहचान दिलाई।

प्रधानमंत्री मोदी ने चौथे नरेश को भारत-भूटान संबंधों की मजबूत नींव रखने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि “उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने दोनों देशों के बीच एक ऐसे संबंध की नींव रखी जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। आज जब भारत और भूटान नए युग की साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं,तो उनकी प्रेरणा हमारे लिए मार्गदर्शक बनी हुई है।”

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान के वर्तमान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं ने ऊर्जा,क्षमता निर्माण,संपर्क,प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा सहित सहयोग के विविध क्षेत्रों पर व्यापक चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी और भूटान के नरेश ने संयुक्त रूप से 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया। यह परियोजना भारत और भूटान के बीच ऊर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग का प्रतीक मानी जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह जलविद्युत परियोजना न केवल दोनों देशों की ऊर्जा साझेदारी को और सुदृढ़ बनाएगी,बल्कि पर्यावरण के अनुकूल सतत विकास के लिए भी एक उदाहरण बनेगी। उन्होंने यह भी कहा कि “भारत और भूटान एक-दूसरे के पूरक हैं,जहाँ भूटान की प्राकृतिक संपदाएँ हैं,वहीं भारत की तकनीकी क्षमता और निवेश का अनुभव है। दोनों मिलकर दक्षिण एशिया में एक नए हरित विकास मॉडल को आकार दे सकते हैं।”

मुलाकात के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान की जनता और राजपरिवार के प्रति गहरी सम्मानभावना व्यक्त की और आशा जताई कि आने वाले वर्षों में भारत-भूटान संबंध नई ऊँचाइयों को स्पर्श करेंगे। प्रधानमंत्री की यह यात्रा न केवल कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही,बल्कि इसने दोनों देशों के बीच उस ऐतिहासिक मित्रता को फिर एक बार जीवंत कर दिया जो सदियों से हिमालय की गोद में फल-फूल रही है।