विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (तस्वीर क्रेडिट@sanjoychakra)

इस्लामाबाद कोर्ट धमाके के बाद पाकिस्तान ने भारत पर लगाया आरोप,विदेश मंत्रालय ने दिया करारा जवाब —‘पाकिस्तान की पुरानी चाल बेनकाब’

नई दिल्ली,12 नवंबर (युआईटीवी)- पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मंगलवार को हुए आत्मघाती हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में कम-से-कम 12 लोगों की मौत हो गई,जबकि 36 से अधिक लोग घायल हो गए। यह धमाका इस्लामाबाद के कोर्ट परिसर में उस समय हुआ,जब वहाँ बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। चश्मदीदों के अनुसार,धमाका इतना जोरदार था कि आस-पास की इमारतों के शीशे तक टूट गए और पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने इलाके को तुरंत सील कर जाँच शुरू कर दी है।

हालाँकि,इस दर्दनाक घटना के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह विस्फोट भारत समर्थित आतंकवाद का हिस्सा है। शरीफ ने कहा कि “ये हमले भारत के समर्थन से होने वाले आतंकवादी षड्यंत्रों का नतीजा हैं,जिनका उद्देश्य पाकिस्तान को अस्थिर करना है। अफगानिस्तान की जमीन से भारत की सरपरस्ती में किए जा रहे इन हमलों की जितनी भी निंदा की जाए,वह कम है।” प्रधानमंत्री के इस बयान ने पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति को और विवादास्पद बना दिया है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी,लेकिन उनके बयान ने ही सरकार की असंगति को उजागर कर दिया। उन्होंने कहा, “हम जंग की हालत में हैं। यह हमला अफगान सीमा या बलूचिस्तान में नहीं,बल्कि इस्लामाबाद में हुआ है। तालिबानी शासक पाकिस्तान में आतंकवाद को रोक सकते हैं,लेकिन इस्लामाबाद तक यह जंग लाना काबुल की तरफ से एक स्पष्ट संदेश है।” इस बयान से साफ होता है कि पाकिस्तान की सरकार खुद यह तय नहीं कर पा रही है कि हमला किसने किया — भारत समर्थित आतंकियों ने या फिर अफगानिस्तान से आए तालिबानी समूहों ने।

पाकिस्तानी नेतृत्व के इन परस्पर विरोधी बयानों ने न केवल देश के भीतर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत ने शहबाज शरीफ के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है।

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बयान को “विक्षिप्त नेतृत्व की निराधार बयानबाजी” बताया। उन्होंने कहा, “भारत स्पष्ट रूप से विक्षिप्त पाकिस्तानी नेतृत्व द्वारा लगाए जा रहे इन निराधार आरोपों को खारिज करता है। देश में चल रहे सैन्य प्रेरित संवैधानिक विध्वंस और सत्ता-हरण से अपनी जनता का ध्यान हटाने के लिए भारत के विरुद्ध झूठे बयान गढ़ना पाकिस्तान की एक पुरानी चाल है।” उन्होंने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान की इन चालों को भली-भांति समझता है और अब कोई भी इन झूठी कहानियों से गुमराह नहीं होगा।

जायसवाल के इस बयान ने पाकिस्तान के झूठे आरोपों की पोल खोल दी। भारत ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान को अपने अंदरूनी हालात पर ध्यान देना चाहिए,न कि पड़ोसी देशों को दोषी ठहराने की नीति अपनानी चाहिए। बीते कुछ महीनों से पाकिस्तान लगातार राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है। वहाँ की सेना और सरकार के बीच टकराव के हालात बने हुए हैं। न्यायपालिका पर भी सैन्य प्रभाव के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि इस हमले के बाद भारत को दोषी ठहराना पाकिस्तान के नेतृत्व द्वारा अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है।

इस्लामाबाद कोर्ट धमाके की जिम्मेदारी अभी तक किसी संगठन ने नहीं ली है,लेकिन शुरुआती जाँच में संकेत मिल रहे हैं कि इसमें किसी इस्लामिक चरमपंथी गुट का हाथ हो सकता है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक,हमलावर ने अदालत परिसर में घुसने की कोशिश की और जब सुरक्षा कर्मियों ने उसे रोका तो उसने खुद को उड़ा लिया। धमाका इतना शक्तिशाली था कि आसपास खड़ी कई गाड़ियाँ जलकर खाक हो गईं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है,जहाँ कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।

धमाके के समय इस्लामाबाद की अदालत में कई वकील,पुलिस अधिकारी और नागरिक मौजूद थे। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,विस्फोट के तुरंत बाद वहाँ अफरातफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। राहत और बचाव दलों ने मौके पर पहुँचकर घायलों को बाहर निकाला।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने घटना के बाद आपात बैठक बुलाई,लेकिन इस बैठक में उन्होंने भारत को दोषी ठहराने की जो कोशिश की,उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है,लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के भारत पर लगाए गए आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की। इससे साफ है कि वैश्विक समुदाय पाकिस्तान के दावों पर भरोसा करने को तैयार नहीं है।

पाकिस्तान का यह आरोप ऐसे समय पर सामने आया है,जब उसकी अफगानिस्तान के साथ सीमाई तनातनी चरम पर है। दोनों देशों के बीच पिछले कई हफ्तों से हिंसक झड़पें हो रही हैं। तीन दौर की वार्ता के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। इसी बीच,कतर और तुर्किए की मध्यस्थता में दोनों देशों के बीच वार्ता जारी थी,तभी अफगानिस्तान ने दावा किया कि पाकिस्तान की ओर से सीमा पार गोलाबारी की गई, जिसमें छह लोगों की मौत और पाँच घायल हुए। ऐसे माहौल में शहबाज शरीफ का भारत पर आरोप लगाना विशेषज्ञों के मुताबिक “राजनीतिक ड्रामा” से अधिक कुछ नहीं है।

पाकिस्तान में पहले भी जब-जब आतंकी हमले हुए हैं,वहाँ की सरकार ने भारत पर उंगली उठाने की कोशिश की है। चाहे 2014 का पेशावर स्कूल हमला हो या 2023 में पेशावर मस्जिद विस्फोट। हर बार पाकिस्तान ने जिम्मेदारी से बचने के लिए बाहरी ताकतों को दोषी ठहराया,लेकिन अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स और विश्लेषणों ने बार-बार यह दिखाया कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद की शरणस्थली बना हुआ है और वही अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

इस्लामाबाद कोर्ट धमाका न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी को उजागर करता है,बल्कि यह भी बताता है कि वहाँ के नेतृत्व ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कितनी गंभीरता से लिया है। भारत के खिलाफ बयानबाजी करके पाकिस्तान अपने घर की आग पर परदा डालने की कोशिश जरूर कर रहा है,लेकिन सच्चाई यह है कि उसकी जनता अब इन झूठे दावों से थक चुकी है।

फिलहाल पाकिस्तान में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने देशभर में हाई अलर्ट जारी किया है और इस्लामाबाद,लाहौर तथा कराची में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं भारत ने दो टूक कहा है कि पाकिस्तान को अपने भीतर झांकना चाहिए और झूठे आरोपों से बाज आना चाहिए। इस्लामाबाद कोर्ट धमाका पाकिस्तान के लिए एक और कड़ी चेतावनी है कि अगर उसने आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए,तो यह आग उसके पूरे देश को अपनी लपटों में ले सकती है।