अनिल अंबानी (तस्वीर क्रेडिट@SachinGuptaUP)

अनिल अंबानी ईडी के समन पर दूसरी बार नहीं हुए पेश,वर्चुअल उपस्थिति का प्रस्ताव,फेमा जाँच को लेकर बढ़ी कानूनी गतिविधि

नई दिल्ली,14 नवंबर (युआईटीवी)- रिलायंस एडीएजी समूह के चेयरमैन अनिल डी. अंबानी एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं हुए हैं। बैंक फ्रॉड मामले से जुड़े पहलुओं की जाँच के सिलसिले में ईडी ने उन्हें शुक्रवार को दूसरे दौर की पूछताछ के लिए दिल्ली मुख्यालय बुलाया था,लेकिन वह निर्धारित समय पर उपस्थित नहीं हुए। अनिल अंबानी की ओर से एक आधिकारिक बयान जारी किया गया है,जिसमें कहा गया है कि वह जाँच में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं और वर्चुअल माध्यम से पूछताछ में उपस्थित होने का प्रस्ताव भी उन्होंने दिया है। हालाँकि,ईडी सूत्रों के अनुसार उन्हें अभी तक इस संबंध में न तो अनिल अंबानी और न ही उनकी कंपनी से कोई औपचारिक सूचना मिली है।

अनिल अंबानी की तरफ से जारी बयान में स्पष्ट किया गया है कि ईडी का यह समन कथित फेमा जाँच से जुड़ा है और इसका पीएमएलए के किसी मामले से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। बयान में कहा गया कि यह जाँच पूरी तरह तकनीकी और प्रक्रियात्मक विषयों से संबंधित है,न कि किसी मनी लॉन्ड्रिंग केस से,जैसा कि आम तौर पर आरोप लगाए जाते हैं। कंपनी ने दावा किया कि वह सभी नियामकीय संस्थानों के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बयान में यह भी जोर देकर कहा गया कि अनिल अंबानी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में फिलहाल शामिल नहीं हैं और वह अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक मात्र एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में अपनी भूमिका निभाते रहे। कंपनी के अनुसार,अनिल अंबानी कभी भी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के दैनिक प्रबंधन का हिस्सा नहीं रहे और न ही संचालन संबंधी निर्णयों में उनकी कोई सीधी भूमिका रही। इस स्पष्टीकरण को इस बात के संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि कंपनी खुद को चल रहे बैंक धोखाधड़ी और अन्य आर्थिक अपराध मामलों से अलग कर दिखाने की कोशिश कर रही है।

गौरतलब है कि ईडी ने अगस्त में अनिल अंबानी से लगभग नौ घंटे लंबी पूछताछ की थी,जिसमें कथित 17,000 करोड़ रुपए के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले से जुड़े सवालों की गहन पड़ताल की गई थी। उसी जाँच को आगे बढ़ाते हुए एजेंसी ने 14 नवंबर को दोबारा उन्हें तलब किया था,लेकिन इस बार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं होने को लेकर राजनीतिक और कॉरपोरेट गलियारों में कई तरह की चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। ईडी की पूछताछ ऐसे समय में जारी है,जब एजेंसी रिलायंस एडीएजी समूह से जुड़ी कई संपत्तियों को जब्त और कुर्क कर चुकी है।

हाल ही में ईडी ने नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 4,462.81 करोड़ रुपए मूल्य की 132 एकड़ से अधिक जमीन को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अस्थायी रूप से कुर्क किया है। इससे पहले भी एजेंसी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम),रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़े बैंक फ्रॉड मामलों में 3,083 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियों को जब्त किया था। इन मामलों में कुल जब्त और कुर्क की गई संपत्ति का मूल्य 7,545 करोड़ रुपए से अधिक हो चुका है। ईडी का कहना है कि वह वित्तीय अपराधों में शामिल व्यक्तियों की तलाश जारी रखे हुए है और अपराध से अर्जित संपत्ति को कानून के तहत उनके असली दावेदारों तक पहुँचाने के लिए कटिबद्ध है।

ईडी ने इन मामलों की जाँच सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर शुरू की थी,जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 406 (आपराधिक न्यास भंग) और 420 (धोखाधड़ी),साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के तहत आरोप दर्ज किए गए थे। एफआईआर में आरकॉम,अनिल अंबानी और अन्य संबंधित कंपनियों के नाम शामिल थे। आरोप है कि इन कंपनियों ने कई बैंकों के कंसोर्टियम से बड़े पैमाने पर ऋण लिया और बाद में इन्हें चुकाने में विफल रहीं,जिसके चलते ऋण राशि का बड़ा हिस्सा एनपीए में तब्दील हो गया।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच,अनिल अंबानी की अनुपस्थिति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह आगे की जाँच में व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे या वर्चुअल उपस्थिति पर ही अड़े रहेंगे। ईडी अभी इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है। हालाँकि,विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि वर्चुअल पेशी को स्वीकार किया जाना या खारिज किया जाना पूरी तरह ईडी के विवेक पर निर्भर करता है। यदि ईडी चाहे तो व्यक्तिगत उपस्थिति को अनिवार्य मानते हुए आगे की कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है।

फिलहाल,अनिल अंबानी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई तेज होती नजर आ रही है और आने वाले दिनों में इस केस से जुड़े और भी कई खुलासे सामने आ सकते हैं। उद्योग जगत और वित्तीय क्षेत्र की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अनिल अंबानी अगली बार कब और कैसे इस जाँच का जवाब देंगे और क्या आगामी पूछताछ के बाद उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ेगा।