पटना,20 नवंबर (युआईटीवी)- पटना का गांधी मैदान बुधवार को एक बार फिर इतिहास का साक्षी बना,जब जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर नया रिकॉर्ड बना दिया। यह क्षण न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण था,क्योंकि किसी नेता का दस बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना अपने आप में एक मिसाल है। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली भारी जीत के बाद यह शपथ ग्रहण समारोह खास माहौल में आयोजित किया गया। राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई,जबकि मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य शीर्ष नेता मौजूद थे।
गांधी मैदान में सुबह से ही राजनीतिक उत्साह का वातावरण था। विशाल मंच,कड़ी सुरक्षा और हजारों की संख्या में जुटी भीड़ इस कार्यक्रम की भव्यता का प्रतीक बन गई थी। एनडीए के कार्यकर्ता,सभी घटक दलों के नेता और आम नागरिक इस ऐतिहासिक पल को अपनी आंखों से देखने पहुँचे थे। जैसे ही नीतीश कुमार ने शपथ ली,पूरा मैदान तालियों से गूँज उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि बिहार को उनके अनुभवी नेतृत्व में स्थिरता और विकास की नई ऊँचाइयों को छूने की उम्मीद है।
नीतीश कुमार के शपथ लेने के बाद मंत्रिपरिषद के सदस्यों को भी शपथ दिलाई गई। इस बार मंत्रिमंडल में कुल 26 सदस्यों को शामिल किया गया है,जिनमें से सम्राट चौधरी,विजय सिन्हा,विजय चौधरी और मंगल पांडेय जैसी प्रमुख हस्तियों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। मंत्रिमंडल का गठन करते समय एनडीए गठबंधन के सभी दलों को प्रतिनिधित्व दिया गया—जेडीयू, बीजेपी,लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हम और आरएलएम,जिससे संतुलन और सामंजस्य का संदेश गया। इस मंत्रिमंडल में अनुभवी नेताओं के साथ युवा चेहरों को भी शामिल किया गया है,जिससे नई सरकार में ताजगी और ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
शपथ ग्रहण समारोह में केवल पटना ही नहीं,बल्कि पूरे देश की राजनीतिक उपस्थिति साफ झलक रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,असम,हरियाणा और कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस कार्यक्रम में शरीक हुए। एनडीए गठबंधन के शीर्ष नेताओं की इस उपस्थिति ने शपथ ग्रहण समारोह को राष्ट्रीय महत्व का आयोजन बना दिया। गांधी मैदान को सुरक्षा के विशेष इंतज़ामों के तहत पूरी तरह से कवर किया गया था। स्थानीय पुलिस,केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ और विशेष सुरक्षा दल मैदान के भीतर और बाहर तैनात थे,ताकि समारोह शांतिपूर्वक संपन्न हो सके।
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के विकास के लिए वे नई ऊर्जा और समर्पण के साथ काम करेंगे। उन्होंने जनता को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार शिक्षा,स्वास्थ्य,बुनियादी ढाँचे,कृषि सुधार और रोजगार सृजन जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता देगी। यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री जल्द ही कैबिनेट की पहली बैठक बुलाएँगे,जिसमें नई सरकार के लिए रोडमैप और कई महत्वपूर्ण फैसलों पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि सरकार अपनी प्राथमिकताओं में किसानों के लिए नई योजनाओं,युवाओं के लिए रोजगार के अवसर और महिलाओं की सुरक्षा को प्रमुख स्थान देगी।
यह शपथ ग्रहण समारोह इसलिए भी खास रहा क्योंकि यह बिहार की राजनीति में स्थिर नेतृत्व की वापसी के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने के बाद भी नीतीश कुमार की लोकप्रियता और प्रशासनिक क्षमता आज भी बरकरार है। विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत को जनता का उनके नेतृत्व और नीतियों पर विश्वास के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही,नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान बिहार ने कई क्षेत्रों में प्रगति दिखाई है,जैसे सड़क निर्माण,कानून-व्यवस्था में सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयास।
समारोह की भव्यता ने यह भी दर्शाया कि एनडीए गठबंधन इस बार पूर्ण एकजुटता के साथ सरकार चलाने के लिए तैयार है। पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति कई उतार-चढ़ावों से गुजरी है,लेकिन इस शपथ ग्रहण ने यह संकेत दिया कि गठबंधन अब स्थिरता और विकास की ओर आगे बढ़ना चाहता है। नीतीश कुमार के दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने से उनके अनुभव की मिसाल भी स्थापित हुई है और यह स्पष्ट संदेश गया है कि बिहार के राजनीतिक भविष्य में उनकी भूमिका अभी भी बेहद महत्वपूर्ण है।
शपथ ग्रहण के साथ ही बिहार में नई सरकार का कामकाज औपचारिक रूप से शुरू हो चुका है। जनता की अपेक्षाएँ नई सरकार से काफी बड़ी हैं और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और उनकी टीम किस तरह इन उम्मीदों पर खरा उतरती है। गांधी मैदान में गूँजती तालियों और उत्साह से भरी भीड़ ने यह साफ कर दिया कि लोग बिहार के उज्ज्वल भविष्य के लिए आशान्वित हैं और उनकी निगाहें अब सरकार के कामकाज पर टिकी हैं।

