मुंबई,20 नवंबर (युआईटीवी)- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल धीरुभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। बुधवार को एजेंसी ने समूह की 1,400 करोड़ रुपये मूल्य की नई अचल संपत्तियाँ जब्त कर लीं। इस ताज़ा एक्शन के साथ ईडी द्वारा जब्त की गई कुल संपत्तियों का मूल्य बढ़कर लगभग 9,000 करोड़ रुपये हो गया है,जो इस मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाहियों में से एक मानी जा रही है। ईडी की यह कार्रवाई ऐसे समय में सामने आई है,जब अनिल अंबानी को कई बार पूछताछ के लिए समन भेजे जा चुके हैं,लेकिन वह पेश नहीं हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार,जयपुर-रींगस हाईवे प्रोजेक्ट से जुड़े फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत चल रही जाँच में अनिल अंबानी की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण है। एजेंसी ने उन्हें 17 नवंबर को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने के लिए दूसरी बार नोटिस भेजा था,लेकिन वह मौजूद नहीं हुए और इसके स्थान पर वर्चुअल पेशी का अनुरोध किया। इससे पहले 14 नवंबर को भी वह निर्धारित पूछताछ में उपस्थित नहीं हुए थे और उस समय भी उन्होंने डिजिटल माध्यम से बयान देने का प्रस्ताव रखा था,जिसे जाँच एजेंसी ने अस्वीकार कर दिया था। ईडी चाहती है कि अनिल अंबानी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज करवाएँ,क्योंकि मामले की प्रकृति में गंभीर आर्थिक लेनदेन और संभावित काले धन के प्रवाह की जाँच शामिल है।
फेमा के तहत यह मामला 2010 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को मिले हाइवे प्रोजेक्ट से जुड़ा बताया जा रहा है। आरोप है कि प्रोजेक्ट की करीब 40 करोड़ रुपये की राशि को सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से दुबई भेजा गया था। इस वित्तीय लेनदेन में कथित अनियमितताओं की जाँच के लिए प्राथमिक तथ्यों के आधार पर ईडी ने अनिल अंबानी को समन भेजे हैं। इससे पहले अगस्त में भी ईडी ने उनसे 17,000 करोड़ रुपये के कथित ऋण धोखाधड़ी मामले में लगभग नौ घंटे तक पूछताछ की थी।
ईडी ने सोमवार को भी एक बड़ी कार्रवाई करते हुए नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी की 132 एकड़ से अधिक जमीन को अस्थायी रूप से कुर्क किया था,जिसकी अनुमानित बाजार कीमत 4,462.81 करोड़ रुपये बताई जाती है। यह जमीन धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत जब्त की गई थी,जो इस बात का संकेत है कि जाँच किसी बड़े वित्तीय अपराध की तरफ इशारा कर सकती है। एजेंसी के अनुसार,ये संपत्तियां ऋण धोखाधड़ी और शक के आधार पर संभावित मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी हैं।
इससे पहले भी ईडी कई मौकों पर रिलायंस समूह की कंपनियों की संपत्तियाँ जब्त कर चुकी है। रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम),रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामलों में ईडी 3,083 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 42 संपत्तियां पहले ही अटैच कर चुकी है। इस तरह की निरंतर कार्रवाई यह दर्शाती है कि जाँच एजेंसी एडीएजी समूह से जुड़े वित्तीय मामलों को लेकर काफी गंभीर है और पूरी प्रणाली के माध्यम से कथित गड़बड़ियों का पता लगाने का प्रयास कर रही है।
अनिल अंबानी द्वारा तीसरी बार समन का जवाब न देने और वर्चुअल पेशी की माँग करने से ईडी के संदेहों में और इज़ाफ़ा हुआ है। एजेंसी का मानना है कि इतने गंभीर मामलों में सामने आकर बयान देना ही जाँच की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित कर सकता है। हालाँकि,अनिल अंबानी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है,लेकिन यह जरूर स्पष्ट है कि उनकी गैर-मौजूदगी और ईडी की लगातार संपत्ति जब्ती ने इस मामले को और चर्चित बना दिया है।
ईडी की ताज़ा कार्रवाई ने न केवल एडीएजी समूह पर आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है,बल्कि वित्तीय जगत में भी हलचल पैदा कर दी है। यह मामला अब एक व्यापक जाँच का रूप ले चुका है,जहाँ कई प्रोजेक्ट्स,कंपनियों और वित्तीय लेनदेन की जाँच की जा रही है। आने वाले दिनों में अनिल अंबानी की पूछताछ और ईडी की आगामी कार्रवाईयाँ इस मामले की दिशा तय कर सकती हैं।
भारत में वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता की बढ़ती माँगों के बीच ईडी की इस कार्रवाई ने यह संदेश भी दिया है कि बड़े कॉरपोरेट नाम भी जाँच के दायरे से बाहर नहीं हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अनिल अंबानी आगे क्या कदम उठाते हैं और यह मामला किस दिशा में बढ़ता है।

