विश्व मुक्केबाजी कप में भारतीय महिला मुक्केबाजों का परचम (तस्वीर क्रेडिट@officekiran)

विश्व मुक्केबाजी कप में भारतीय महिला मुक्केबाजों का परचम,चार स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास

नई दिल्ली,21 नवंबर (युआईटीवी)- विश्व मुक्केबाजी कप के फाइनल मुकाबलों में भारतीय महिला मुक्केबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश के लिए चार स्वर्ण पदक जीतकर एक बार फिर विश्व मंच पर अपनी श्रेष्ठता साबित की। गुरुवार को शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित अलग-अलग भार वर्गों के फाइनल में भारत की महिला मुक्केबाजों ने जिस आत्मविश्वास और दमखम का प्रदर्शन किया,उसने पूरे देश को गर्व से भर दिया। भारत की ओर से मीनाक्षी हुड्डा,प्रीति,अरुंधति चौधरी और नूपुर ने अपने-अपने मुकाबलों में प्रतिद्वंद्वियों को 5-0 से मात देकर स्वर्ण पदक अपने नाम किए। यह उपलब्धि भारतीय महिला मुक्केबाजी की बढ़ती ताकत और विश्वस्तरीय क्षमता का स्पष्ट प्रमाण है।

दिन का पहला स्वर्ण पदक भारत को 48 किलोग्राम भार वर्ग में मिला,जहाँ मीनाक्षी हुड्डा ने शुरुआत से ही अपने मुक्कों की सटीकता और फुर्ती का बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने फोजिलोवा फरजोना के खिलाफ मुकाबले में नियंत्रित और आक्रामक दोनों ही अंदाज में शानदार खेल दिखाते हुए 5-0 की एकतरफा जीत हासिल की। जीत के बाद मीनाक्षी की खुशी देखते ही बनती थी। उन्होंने अपने कोच विजय हुड्डा,आईटीबीपी,साई,ओजीक्यू और बीएफआई को लगातार सहयोग देने के लिए धन्यवाद दिया। मीनाक्षी ने बताया कि फाइनल से पहले वह काफी नर्वस थीं,लेकिन घरेलू दर्शकों के जबरदस्त समर्थन ने उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में आए भारतीय समर्थकों ने उनके मन में जोश भर दिया और इसी का नतीजा था कि उन्होंने मुकाबले को 5-0 से क्लीन स्वीप कर लिया। मीनाक्षी ने इसे अपने करियर का बेहतरीन साल बताते हुए कहा कि वह आने वाले समय में और मेहनत करके भारत को गौरवान्वित करना चाहती हैं।

भारतीय दल के लिए अगला स्वर्ण पदक महिलाओं के 54 किलोग्राम भार वर्ग में मिला,जहाँ प्रीति ने इटली की सिरीन चाराबी को मात दी। प्रीति ने मुकाबले की शुरुआत से ही अपने इटालियन प्रतिद्वंद्वी पर दबदबा बनाया और अंत तक उसे कोई मौका नहीं दिया। उनकी तेज फुटवर्क,सटीक पंचेज और बेहतर डिफेंस ने चाराबी को पूरी तरह असहज कर दिया। 5-0 की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रीति का प्रदर्शन किसी भी स्तर पर चुनौती देने लायक नहीं था,बल्कि वह इस भार वर्ग में पूरी तरह हावी रहीं। उनकी जीत ने भारत के स्वर्ण पदकों की संख्या में दूसरा अध्याय जोड़ दिया और स्टेडियम में मौजूद लोगों के उत्साह को और बढ़ा दिया।

इसके बाद महिलाओं के 70 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में भारत की अरुंधति चौधरी ने उज्बेकिस्तान की जोकिरोवा अजीजा के खिलाफ यादगार जीत दर्ज की। यह मुकाबला बेहद चुनौतीपूर्ण था,लेकिन अरुंधति ने अपने अनुभव और मजबूती के दम पर अजीजा को लगातार दबाव में रखा। अरुंधति ने बताया कि पिछले डेढ़ साल से वह मानसिक और शारीरिक रूप से भारी तनाव से गुजर रही थीं,लेकिन इस स्वर्ण पदक ने उनकी सारी मेहनत और संघर्ष को सार्थक कर दिया। उन्होंने कहा कि जीत को शब्दों में बयां करना मुश्किल है,क्योंकि यह पदक उनके लिए सिर्फ एक सम्मान नहीं,बल्कि लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष की जीत है। 5-0 की यह जीत उनके आत्मविश्वास और खेल कौशल की नई कहानी लिखती है।

भारत का चौथा और अंतिम स्वर्ण पदक महिलाओं के 80+ किलोग्राम भार वर्ग में नूपुर ने जीता। नूपुर ने उज्बेकिस्तान की सोटिम्बोएवा ओल्टिनोय को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नूपुर ने अपनी ताकत,तकनीक और आक्रामक खेल की बदौलत मुकाबले की कमान शुरू से ही अपने हाथों में रखी। ओल्टिनोय के खिलाफ 5-0 की यह जीत दर्शाती है कि नूपुर इस भार वर्ग में लगातार मजबूती के साथ उभर रही हैं। यह जीत भारतीय टीम के लिए दिन का चौथा स्वर्ण लेकर आई और पूरे स्टेडियम में भारतीय तिरंगे के रंग में रंगे माहौल को और भी सजीव कर दिया। नूपुर के मुक्कों की धार और मैदान पर उनका आत्मविश्वास दर्शाता है कि भारत की नई पीढ़ी की महिला मुक्केबाजें विश्व मंच पर किसी भी प्रतिद्वंद्वी को चुनौती देने की क्षमता रखती हैं।

हालाँकि,भारतीय टीम को एक मुकाबले में निराशा भी हाथ लगी। महिलाओं के 50 किलोग्राम फाइनल में जदुमणि अपना बाउट उज्बेकिस्तान की असिलबेक जलीलोव से हार गईं। जदुमणि ने पूरे मुकाबले में भरसक प्रयास किया,लेकिन जलीलोव की बढ़त को चुनौती देने में वह सफल नहीं हो सकीं। इसके बावजूद जदुमणि का प्रदर्शन सराहनीय रहा और वह फाइनल में पहुँचकर पहले ही देश का मान बढ़ा चुकी थीं।

विश्व मुक्केबाजी कप में भारतीय महिला मुक्केबाजों का यह प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा। चार स्वर्ण पदक जीतने की यह उपलब्धि न केवल भारतीय मुक्केबाजी के सुनहरे भविष्य की ओर संकेत करती है,बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत की महिला खिलाड़ी अब किसी भी वैश्विक प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान हासिल करने का दमखम रखती हैं। यह जीत भारत के लिए खेलों के क्षेत्र में एक और गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ती है और देश को अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी के नक्शे पर और भी मजबूत बनाती है।