काठमांडू,21 नवंबर (युआईटीवी)- नेपाल में एक बार फिर जेनरेशन जेड की आवाज बुलंद होती दिखाई दी है। सिमारा में बुधवार देर रात भारी तनाव तब पैदा हो गया जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे युवाओं और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल के कैडर के बीच हिंसक संघर्ष छिड़ गया। घटना ने देखते ही देखते उग्र रूप ले लिया,जिसके बाद प्रशासन को तुरंत कर्फ्यू लागू करना पड़ा। नेपाली मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक,घटना ने पूरे इलाके में अस्थिरता बढ़ा दी है और पुलिस तथा प्रशासन पूरी सतर्कता के साथ स्थिति को नियंत्रित करने में जुटे हुए हैं।
बताया जा रहा है कि सीपीएन-यूएमएल से जुड़ा यूथ एसोसिएशन बारा के परवानीपुर में एक बड़े अवेयरनेस कैंपेन का आयोजन कर रहा था। इस कैंप में पार्टी के कई सेंट्रल नेता उपस्थिति दर्ज कराने वाले थे,जिनमें महासचिव शंकर पोखरेल,नेता महेश बसनेत और अन्य वरिष्ठ कैडर शामिल थे। दूसरी ओर,जेनरेशन जेड से जुड़े युवा उसी क्षेत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों और राजनीतिक जवाबदेही के समर्थन में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए थे। रात करीब 10 बजे तक माहौल शांत था,लेकिन अचानक तनाव तब बढ़ गया जब यूएमएल समर्थकों ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया।
जितपुरसिमारा सब-मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर राजन पौडेल ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में बताया कि जेन जेड ग्रुप को बारा में सम्राट उपाध्याय लीड कर रहे थे और वह अपने साथियों के साथ शांतिपूर्ण विरोध के लिए पहुँचे थे। मेयर के अनुसार,“यूएमएल कैडर ने सम्राट उपाध्याय और अन्य युवाओं पर पुलिस के सामने हमला किया। कई लोगों को बुरी तरह पीटा गया।” उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा इतनी अप्रत्याशित और तेज थी कि पुलिस को तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ा,लेकिन तब तक कई प्रदर्शनकारी घायल हो चुके थे। पौडेल ने बताया कि घटना के तुरंत बाद कर्फ्यू लागू किया गया,ताकि स्थिति और न बिगड़े,लेकिन इसके बावजूद सिमारा के निवासी बड़ी संख्या में हमले की निंदा करने के लिए सड़कों पर उतर आए।
जिला प्रशासन कार्यालय,बारा ने कर्फ्यू की घोषणा करते हुए एक आधिकारिक नोटिस जारी किया। नोटिस में स्पष्ट किया गया कि कर्फ्यू के दौरान केवल अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े वाहन—जैसे एम्बुलेंस,दमकल,शव वाहन,स्वास्थ्यकर्मी, मीडिया कर्मी,पर्यटक,मानवाधिकार मिशन से जुड़े लोग और हवाई टिकट रखने वाले यात्री को आवाजाही की अनुमति होगी। प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भी तैनात कर दिया है और आसपास के क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी गई है।
घटना के बाद सीपीएन-यूएमएल के वरिष्ठ नेताओं ने सिमारा आने का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया। शंकर पोखरेल और महेश बसनेत त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से वापस लौट गए,क्योंकि स्थानीय प्रशासन ने उन्हें सिमारा न आने की सलाह दी। प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि माहौल तनावपूर्ण है और किसी भी बड़े राजनीतिक कार्यक्रम से स्थिति और बिगड़ सकती है।
उधर,इस पूरे संघर्ष ने नेपाल की राजनीति में हलचल मचा दी है। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल सीपीएन-एमसी की जितपुरसिमारा सब-मेट्रो कमेटी ने युवाओं पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है। कमेटी की ओर से जारी बयान में इस घटना को “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला” बताया गया। बयान में स्पष्ट कहा गया कि हिंसा के समय पुलिस मौके पर मौजूद थी और यह बेहद चिंताजनक है कि हमले के बावजूद तुरंत रोकथाम नहीं की गई। साथ ही सीपीएन-एमसी ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि हमले में उनके कैडर शामिल थे। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप पूरी तरह भ्रामक हैं और जाँच एजेंसियों को निष्पक्ष जाँच करनी चाहिए।
नेपाल के राजनीतिक जानकारों के अनुसार,जेनरेशन जेड पिछले कुछ महीनों से भ्रष्टाचार,सत्ता के दुरुपयोग और राजनैतिक अस्थिरता के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहा है। युवाओं की यह आंदोलनकारी ऊर्जा नेपाल के भविष्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है। सिमारा की घटना को उसी संघर्ष का हिस्सा माना जा रहा है,जहाँ युवा राजनीतिक दलों की मनमानी और हिंसक राजनीति के खिलाफ खड़े हो रहे हैं।
सिमारा में हालात फिलहाल नियंत्रण में हैं,लेकिन तनाव अब भी बरकरार है। प्रशासन ने लोगों से घरों में रहने की अपील की है और किसी भी अफवाह पर ध्यान न देने को कहा है। वहीं जेनरेशन जेड के नेताओं ने कहा है कि वे भयभीत नहीं होंगे और शांतिपूर्वक अपना विरोध जारी रखेंगे।
नेपाल में यह घटना राजनीतिक दलों और नई पीढ़ी के बीच बढ़ते टकराव की ओर संकेत करती है। आने वाले दिनों में स्थिति किस दिशा में जाएगी,यह प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व के फैसलों पर निर्भर करेगा,लेकिन इतना स्पष्ट है कि युवा समुदाय अब चुप रहने को तैयार नहीं है और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरने के लिए प्रतिबद्ध है।

