नई दिल्ली,22 नवंबर (युआईटीवी)- दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आज से शुरू हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुँच चुके हैं। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाने वाले इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी तीन प्रमुख सत्रों में हिस्सा लेंगे,जिनमें समावेशी आर्थिक विकास,जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए लचीलापन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे अत्याधुनिक तकनीकी मुद्दे शामिल हैं। प्रधानमंत्री का यह दौरा न केवल वैश्विक नेतृत्व के बीच भारत की सशक्त भूमिका को दर्शाता है,बल्कि भारत की उभरती आर्थिक और रणनीतिक ताकत को भी प्रतिबिंबित करता है।
विदेश मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार,पीएम मोदी सम्मेलन के अंतर्गत होने वाले सभी प्रमुख सेशनों में भारत की विचारधारा और दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखेंगे। इस वर्ष के जी20 सम्मेलन में चुने गए विषय इस बात का स्पष्ट संकेत देते हैं कि दुनिया अब एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ना चाहती है,जिसमें आर्थिक विकास,सामाजिक समानता,पर्यावरणीय संरक्षण और तकनीकी प्रगति संतुलित रूप से साथ-साथ चलें। सेशन के तीन मुख्य थीम में से पहला विषय समावेशी और सतत आर्थिक विकास पर केंद्रित है। इस थीम के तहत यह सुनिश्चित करने की बात कही गई है कि विकास की प्रक्रिया में कोई भी देश या समुदाय पीछे न छूटे। अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण,वैश्विक व्यापार की भूमिका,वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता और विकासशील देशों पर बढ़ते कर्ज के बोझ जैसे मुद्दे इस सत्र का मुख्य हिस्सा होंगे।
दूसरा थीम एक मजबूत दुनिया के निर्माण और उसमें जी20 की भूमिका पर केंद्रित है। इस सत्र में जलवायु परिवर्तन,आपदा जोखिम में कमी,ऊर्जा परिवर्तन और टिकाऊ खाद्य प्रणाली जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। दुनिया भर में लगातार बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं,वैश्विक तापमान में हो रहे तेज बदलाव और ऊर्जा संसाधनों पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर यह सत्र अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत इन मुद्दों पर लंबे समय से वैश्विक स्तर पर संतुलित और व्यवहारिक समाधान की वकालत करता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी इस मंच पर फिर से यह दोहराने का प्रयास करेंगे कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सभी देशों को सामूहिक जिम्मेदारी निभानी होगी और एक न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन को सुनिश्चित करना होगा।
तीसरा प्रमुख थीम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,भविष्य की नौकरियाँ और महत्वपूर्ण खनिजों की जरूरत पर केंद्रित है। दुनिया जिस तेजी से डिजिटल हो रही है,उसमें एआई मानव जीवन,उद्योग और रोजगार के क्षेत्र में बड़े बदलाव ला रहा है। इस संदर्भ में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है,क्योंकि भारत दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल वर्कफोर्स वाले देशों में से एक है। प्रधानमंत्री मोदी इस मंच पर एआई के जिम्मेदार और न्यायपूर्ण उपयोग की माँग को दोहराएँगे,ताकि तकनीक मानव कल्याण के लिए उपयोग हो सके और रोजगार के क्षेत्र में असंतुलन न पैदा हो।
जी20 शिखर सम्मेलन से इतर,पीएम मोदी कई देशों के नेताओं से द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। इन बैठकों का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना,रणनीतिक सहयोग बढ़ाना और वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण विकसित करना है। उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ हुई। इस मुलाकात को पीएम मोदी ने ‘बहुत उपयोगी और सकारात्मक’ बताया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए संदेश में उन्होंने लिखा कि इस वर्ष भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक साझेदारी के पाँच वर्ष पूरे हो रहे हैं और इन पाँच वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में उल्लेखनीय मजबूती आई है।
दोनों नेताओं के बीच रक्षा और सुरक्षा,न्यूक्लियर एनर्जी और व्यापार जैसे तीन प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष चर्चा हुई। इन क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने की काफी संभावनाएँ हैं,जिन पर दोनों देशों ने गंभीरता से विचार किया। इसके अलावा शिक्षा,सांस्कृतिक आदान-प्रदान सहित कई अन्य विषयों पर भी बातचीत हुई,जो आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में आयोजित इंडिया-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (आईबीएसए) लीडर्स मीटिंग में भी हिस्सा लेंगे। यह लगातार चौथा अवसर है जब जी20 शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ के किसी देश में आयोजित हो रहा है। यह तथ्य स्वयं इस बात का संकेत है कि वैश्विक दक्षिण,यानी विकासशील और उभरते देशों की भूमिका अब वैश्विक निर्णय प्रक्रिया में तेजी से बढ़ रही है। भारत इन देशों की आकांक्षाओं और चिंताओं को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने में हमेशा सक्रिय रहा है।
जोहान्सबर्ग में होने वाला यह सम्मेलन वैश्विक राजनीति,अर्थव्यवस्था और तकनीक के भविष्य की दिशा तय करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत की सक्रिय और रणनीतिक भागीदारी से न सिर्फ वैश्विक मंच पर उसकी साख और बढ़ेगी,बल्कि दुनिया एक अधिक समावेशी,न्यायपूर्ण और टिकाऊ भविष्य की ओर भी बढ़ेगी।

