प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@BJP4Rajasthan)

शीतकालीन सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन: “यह सत्र केवल रिवाज नहीं,राष्ट्र की प्रगति का अवसर है”

नई दिल्ली,1 दिसंबर (युआईटीवी)- संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए इसे राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण अवसर बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सत्र केवल एक औपचारिकता या परंपरा नहीं है,बल्कि देश को तेज गति से प्रगति की ओर ले जाने की नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करने वाला एक अहम पड़ाव है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सत्र भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं को और मजबूत करेगा और सभी दल मिलकर देश के हित में सार्थक योगदान देंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा, “भारत ने लोकतंत्र को सिर्फ अपनाया ही नहीं है,बल्कि इसे जिया है। लोकतंत्र की उमंग और उत्साह समय-समय पर देशवासियों के व्यवहार,उनके निर्णयों और भागीदारी में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यही मजबूती भारत के लोकतंत्र को विश्व में अद्वितीय बनाती है।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत होता है,जब हर राजनीतिक दल अपनी सकारात्मक भूमिका निभाए और देश के मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करे।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बिहार में हुए विधानसभा चुनावों का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की शक्ति और परिपक्वता का उदाहरण है। उन्होंने हालाँकि विपक्ष की प्रतिक्रिया पर अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि कई दल चुनाव में मिली हार को अभी भी पचा नहीं पाए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे लगा था कि बिहार चुनाव खत्म हुए कुछ समय हो गया है,तो वातावरण बदल गया होगा,लेकिन जब मैंने कई नेताओं की बातें सुनीं,तो लगा कि उनकी हार अभी भी उन्हें परेशान कर रही है।”

प्रधानमंत्री ने विपक्ष से आग्रह किया कि वे पराजय की निराशा से बाहर निकलें और संसद के इस सत्र में रचनात्मक भूमिका निभाएँ। उन्होंने कहा कि सत्र का फोकस यह होना चाहिए कि संसद देश के लिए क्या सोचती है और आगे क्या करने वाली है। उन्होंने कहा कि विपक्ष का दायित्व है कि वह सरकार की नीतियों की समीक्षा करे और मजबूत मुद्दे उठाए,लेकिन इसके साथ ही उसे देशहित को सर्वोपरि रखना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि यह सत्र किसी जश्न या निराशा में डूबने का समय नहीं है,बल्कि यह जनप्रतिनिधियों के लिए भारतीय नागरिकों की उम्मीदों को संतुलित रखते हुए आगे बढ़ने का अवसर है। उन्होंने कहा कि जनता ने नेताओं पर जो जिम्मेदारी सौंपी है,उसे पूरे संतुलन और प्रतिबद्धता के साथ निभाना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि यह काम चुनौतीपूर्ण जरूर है,लेकिन देश की प्रगति और लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह अनिवार्य भी है।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत की उभरती अर्थव्यवस्था पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को केवल उसकी राजनीतिक स्थिरता या लोकतांत्रिक प्रणाली के कारण ही नहीं देख रही,बल्कि उसकी आर्थिक मजबूती और विकास की गति के कारण भी ध्यान दे रही है। भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर तेजी से उभर रही है और यह गति विकसित भारत के सपने को वास्तविकता में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण आधार बन रही है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत का बढ़ता आर्थिक प्रभाव देश के युवाओं,उद्यमियों और उद्योग जगत की मेहनत का परिणाम है। आगे बढ़ते भारत के इस अभियान को संसद का प्रभावी और सकारात्मक सत्र और मजबूत बना सकता है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा जताई कि वे सत्र को उत्पादक,सकारात्मक और राष्ट्रहित में उपयोगी बनाने में अपना योगदान देंगे।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर राज्यसभा के नए सभापति सीपी राधाकृष्णन को भी पद सँभालने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन के अनुभव और नेतृत्व में राज्यसभा नए मानक स्थापित करेगी और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नई दिशा देगी।

अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का यह सत्र भारत की प्रगति यात्रा को नई ऊँचाई देने का अवसर है। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी दल मिलकर देश के हित में काम करेंगे और लोकतंत्र की मर्यादाओं और परंपराओं को और मजबूत बनाएँगे। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि यह सत्र केवल रिवाज का पालन नहीं है,बल्कि भारत के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।