प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@SonOfBharat7)

भ्रष्टाचार मामले में नेतन्याहू ने माँगा राष्ट्रपति से क्षमादान,‘देशहित’ का दिया तर्क—इजरायल में मचा सियासी तूफान

तेल अवीव,1 दिसंबर (युआईटीवी)- इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने खिलाफ पाँच साल से चल रहे भ्रष्टाचार मामले को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग को औपचारिक रूप से क्षमादान की अपील भेजी है। यह निवेदन ऐसे समय सामने आया है,जब देश गाजा युद्ध,आंतरिक राजनीतिक तनाव और सरकार-विपक्ष के बीच बढ़ती खींचतान का सामना कर रहा है। द टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति कार्यालय को नेतन्याहू के वकील द्वारा भेजा गया 111 पन्नों का विस्तृत दस्तावेज प्राप्त हुआ है,जिसे न्याय मंत्रालय के माफी विभाग को समीक्षा के लिए भेज दिया गया है। इस मामले को इजरायल की राजनीति और न्याय व्यवस्था के लिए एक असाधारण और अभूतपूर्व कदम माना जा रहा है।

राष्ट्रपति हर्जोग के कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि यह अनुरोध “बहुत बड़ा है और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय लेने से पहले राष्ट्रपति के कानूनी सलाहकार भी एक विस्तृत राय तैयार करेंगे,जिसके बाद ही राष्ट्रपति इस पर विचार करेंगे। इजरायल की न्याय प्रणाली में सजा से पहले क्षमादान दिया जाना लगभग असंभव माना जाता है। इतिहास में केवल एक उल्लेखनीय उदाहरण 1986 का मिलता है,जब शिन बेट सुरक्षा सेवा से जुड़े एक अत्यंत गुप्त मामले में आरोपी को बिना अपराध स्वीकार किए ही माफी दे दी गई थी। ऐसे में नेतन्याहू की अपील ने स्वाभाविक रूप से राष्ट्रीय बहस को गरमा दिया है।

नेतन्याहू पर 2020 से रिश्वत,धोखाधड़ी और सार्वजनिक विश्वास तोड़ने के आरोपों में ट्रायल चल रहा है। अभियोजन पक्ष का दावा है कि उन्होंने अमीर समर्थकों से महँगे उपहार और निजी सुविधाएँ लीं और इसके बदले में राजनीतिक प्रभाव और अनुकूल मीडिया कवरेज दिया। इनमें महँगी सिगार,शैम्पेन और ज्वेलरी जैसे उपहार शामिल बताए जाते रहे हैं। इन मामलों को इजरायल में “केस 1000”, “केस 2000” और “केस 4000” के नाम से जाना जाता है। हालाँकि,नेतन्याहू लगातार इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं और उन्हें “मीडिया, पुलिस और न्यायपालिका द्वारा की गई सुनियोजित साजिश” यानी “विच-हंट” करार देते रहे हैं।

दिलचस्प बात यह है कि नेतन्याहू की क्षमादान अपील उस पत्र के कुछ हफ्ते बाद आई है, जिसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति हर्जोग को लिखा था। अपनी चिट्ठी में ट्रंप ने नेतन्याहू की प्रशंसा करते हुए उनसे भ्रष्टाचार मामले में उन्हें माफ करने का आग्रह किया था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि ट्रंप और नेतन्याहू के बीच हाल के दिनों में बढ़ती राजनीतिक नजदीकियों के बीच यह पत्र महत्वपूर्ण माना जा रहा था। अब नेतन्याहू की ओर से औपचारिक आवेदन सामने आने से अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक हलकों में भी यह मामला चर्चा में आ गया है।

नेतन्याहू ने अपनी अपील में तर्क दिया है कि हालाँकि,उन्हें अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करने में व्यक्तिगत रुचि है,लेकिन मौजूदा हालात में यह मामला “देशहित” में तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। रविवार को जारी एक टेलीविजन बयान में उन्होंने कहा कि लंबा मुकदमा देश की स्थिरता,सरकार के कामकाज और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ चल रहा मुकदमा न केवल राजनीति से प्रेरित है,बल्कि इससे देश की ऊर्जा और संसाधन भी अनावश्यक रूप से खर्च हो रहे हैं। उनकी कानूनी टीम का कहना है कि प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए लंबे मुकदमे की प्रक्रिया राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुँचा सकती है।

नेतन्याहू के आलोचकों और विपक्षी दलों ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। विपक्ष का आरोप है कि नेतन्याहू गाजा में चल रहे युद्ध को इसलिए लंबा खींच रहे हैं,ताकि वे सत्ता में बने रह सकें और अपनी कानूनी मुश्किलों से बच सकें। उनका कहना है कि यह क्षमादान अपील उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है,जिसका मुख्य उद्देश्य ट्रायल से बच निकलना और अपने गठबंधन को स्थिर बनाए रखना है। आलोचकों ने यह भी आरोप लगाया है कि नेतन्याहू लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं और न्यायपालिका पर दबाव बनाकर अपने बचाव का रास्ता खोज रहे हैं।

इजरायल की राजनीति में यह पूरा मामला बेहद संवेदनशील माना जा रहा है। राष्ट्रपति हर्जोग ऐसे समय में फैसले के सामने खड़े हैं,जब देश पहले से ही युद्ध,आर्थिक चुनौतियों और सामाजिक तनाव का सामना कर रहा है। उनके किसी भी निर्णय का सीधा असर देश की राजनीतिक दिशा और न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं,बल्कि इजरायल की लोकतांत्रिक संरचना और राजनीतिक नैतिकता की परीक्षा है।

अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि राष्ट्रपति हर्जोग नेतन्याहू की इस अभूतपूर्व अपील पर क्या फैसला लेते हैं। क्या वे मौजूदा असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए क्षमादान देते हैं या न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ने देते हैं? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में इजरायल की राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।

इस बीच,इजरायल में यह विवाद बढ़ता जा रहा है। सरकार के समर्थक इसे “राजनीतिक प्रतिशोध का अंत” बता रहे हैं,जबकि विपक्ष इसे “लोकतंत्र के लिए खतरा” करार दे रहा है। चाहे जो भी निर्णय आए,यह स्पष्ट है कि नेतन्याहू का यह कदम इजरायल की राजनीति में एक नया और विवादास्पद अध्याय जोड़ चुका है।