नई दिल्ली,2 दिसंबर (युआईटीवी)- श्रीलंका इन दिनों भयंकर चक्रवात ‘दित्वाह’ की तबाही से जूझ रहा है। भारी बारिश,तेज़ हवाओं और समुद्री उफान ने द्वीप राष्ट्र में बड़े पैमाने पर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई इलाकों में सड़कें पूरी तरह कट गई हैं,घर पानी में डूब गए हैं और हजारों लोग संकट में फँसे हुए हैं। ऐसे कठिन समय में भारत ने अपनी ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ के तहत श्रीलंका की सहायता के लिए बड़ा कदम उठाया है। भारतीय नौसेना ने व्यापक मानवीय सहायता अभियान ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ शुरू किया है,जिसके तहत भारत का सबसे बड़ा स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत श्रीलंका में राहत सामग्री पहुँचा रहा है।
चक्रवात से श्रीलंका में हुए बड़े पैमाने के नुकसान के बाद भारत ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अपने नौसैनिक जहाजों को राहत कार्यों में लगा दिया। आईएनएस विक्रांत और आईएनएस उदयगिरि पहले से ही श्रीलंका नौसेना की 75वीं वर्षगांठ के अंतर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू में शामिल होने के लिए कोलंबो पहुँचे हुए थे। चक्रवात की जानकारी मिलते ही इन दोनों युद्धपोतों को तत्काल वहाँ चल रहे राहत और बचाव अभियानों में लगा दिया गया। दोनों जहाजों ने श्रीलंकाई प्रशासन को आवश्यक खाद्यान्न,दवाइयाँ,पानी,सूखा राशन और अन्य तात्कालिक सहायता सामग्री सौंपी।
राहत सामग्री का यह पहला चरण श्रीलंका में फँसे हजारों लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हुआ। भारी बारिश और बाढ़ के कारण कई इलाकों में सड़क संपर्क टूट गया था,जिसके चलते भारतीय नौसेना के जहाज और हेलीकॉप्टर अहम भूमिका निभा रहे हैं। आईएनएस विक्रांत पर मौजूद उन्नत हेलीकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया,जिसके आधार पर श्रीलंकाई प्रशासन को प्राथमिकता क्षेत्रों की पहचान करने में बड़ी मदद मिली।
भारतीय हेलीकॉप्टरों ने कई जगहों पर फँसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में सहायता की। नौसेना की ओर से मिली जानकारी के अनुसार,इन खोज एवं बचाव अभियानों ने दर्जनों श्रीलंकाई नागरिकों की जान बचाई है। आईएनएस विक्रांत का विशाल डेक और उसकी उन्नत क्षमताएँ इस पूरे मानवीय अभियान में महत्वपूर्ण साबित हो रही हैं।
राहत कार्यों को तेजी देने के लिए भारतीय नौसेना ने एक और जहाज—आईएनएस सुकन्या को त्रिंकोमाली पर तैनात किया है। आईएनएस सुकन्या अपने साथ अतिरिक्त राहत सामग्री जैसे तिरपाल,कंबल,मेडिकल किट,पानी के पैकेट,जनरल उपयोग की वस्तुएँ और संचार उपकरण लेकर पहुँचा है। इन सामग्रियों का उपयोग श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों में चल रहे राहत अभियानों को और मजबूत बनाने के लिए किया जा रहा है।
भारतीय नौसेना का कहना है कि वह श्रीलंका प्रशासन के साथ लगातार समन्वय बनाकर काम कर रही है,ताकि किसी भी आवश्यक सामग्री की कमी न हो। भारतीय और श्रीलंकाई अधिकारियों के बीच रीयल-टाइम कम्युनिकेशन चैनल स्थापित किए गए हैं,जिनकी मदद से राहत सामग्री प्रभावित क्षेत्रों तक तेजी से पहुँचाई जा रही है।
चक्रवात ‘दित्वाह’ ने श्रीलंका के बड़े हिस्से को प्रभावित किया है। कई क्षेत्रों में पेड़ उखड़ गए हैं,बिजली व्यवस्था चरमरा गई है और जलभराव के चलते सामान्य जीवन पूरी तरह ठप हो गया है। ऐसे समय में भारत की तुरंत और मजबूत प्रतिक्रिया ने वहाँ के लोगों में भरोसा जगाया है। भारतीय नौसेना ने स्पष्ट किया है कि उसकी प्राथमिकता श्रीलंका के नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करना है,चाहे वह भोजन हो,दवाइयाँ हों या बचाव कार्य।
भारत की ओर से शुरू किया गया यह व्यापक अभियान देश की हिंद महासागर क्षेत्र में फर्स्ट रिस्पॉन्डर के रूप में भूमिका को एक बार फिर स्थापित करता है। पिछले कई वर्षों में भारत ने मालदीव,म्यांमार,मोज़ाम्बिक और मेडागास्कर समेत कई देशों को प्राकृतिक आपदाओं के दौरान समय पर सहायता प्रदान की है। इस बार भी भारत ने अपनी इसी परंपरा को आगे बढ़ाया है।
श्रीलंका के साथ भारत के ऐतिहासिक,सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंध इस मानवीय सहयोग को और महत्वपूर्ण बनाते हैं। भारतीय नौसेना ने बयान में कहा है कि वह श्रीलंका के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए उनसे संभव हर प्रकार की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। नौसेना ने यह भी कहा कि भारत की सहायता केवल तत्काल आवश्यकताओं तक सीमित नहीं है। भविष्य में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के चरणों में भी भारत श्रीलंका के साथ रहेगा।
इस अभियान को भारत सरकार की ‘महासागर विज़न’ और ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के अनुरूप बताया जा रहा है। इन नीतियों का उद्देश्य है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के संकट में सबसे पहले खड़ा हो और क्षेत्र में स्थिरता तथा सुरक्षा सुनिश्चित करे।
भारतीय नौसेना की तेज प्रतिक्रिया,प्रभावी समन्वय और विशाल संसाधनों ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है,बल्कि क्षेत्र में मानवीय सहायता अभियान चलाने में भी अग्रणी भूमिका निभाता है।
चक्रवात ‘दित्वाह’ से जूझ रहे हजारों श्रीलंकाई नागरिकों के लिए भारत के जहाज आशा की किरण बनकर पहुँचे हैं। राहत सामग्री,मेडिकल सहायता और बचाव अभियानों की बदौलत हालात में धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिल रहे हैं।
भारतीय नौसेना का कहना है कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा,जब तक श्रीलंका पूरी तरह सुरक्षित और स्थिर नहीं हो जाता। यह केवल एक मानवीय मिशन नहीं,बल्कि भारत-श्रीलंका मैत्री का जीवंत उदाहरण है,जिसने दोनों देशों के बीच भरोसे और सहयोग को और गहरा किया है।

