अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (तस्वीर क्रेडिट@Surender_10K)

ट्रंप की घटाई गई शांति योजना पर बढ़ा विवाद,यूरोप ने कहा—यूक्रेन और ईयू को दरकिनार कर कोई समझौता संभव नहीं

बर्लिन,2 दिसंबर (युआईटीवी)- रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की कोशिशों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई शांति पहल एक बार फिर विवादों में घिर गई है। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में यूक्रेन संघर्ष को रोकने के लिए तैयार किए गए 28 सूत्रीय प्रस्ताव पर अमेरिका,यूक्रेन और कई यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा की थी। इन चर्चाओं के बाद डॉक्यूमेंट को घटाकर 19 बिंदुओं में बदल दिया गया,लेकिन यूरोपियन यूनियन के प्रमुख नेताओं ने इसे खारिज करते हुए साफ कहा है कि यूक्रेन और यूरोप को बातचीत से बाहर रखकर कोई भी समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।

सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार,फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को पेरिस स्थित एलिसी पैलेस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट किया कि शांति प्रक्रिया का केंद्र बिंदु यूक्रेन और यूरोप ही होंगे। मैक्रों ने कहा कि रूस-यूक्रेन विवाद से जुड़ा कोई भी अंतिम समझौता तभी संभव है,जब यूक्रेन और यूरोप दोनों उसके निर्माण और मंजूरी की प्रक्रिया में शामिल हों। उन्होंने जोर दिया कि “कोई भी शांति योजना यूरोप की मेज पर,यूरोप की भागीदारी से ही फाइनल की जा सकती है।”

मैक्रों ने उन संवेदनशील मुद्दों को भी उठाया,जो यूरोपीय देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं—जैसे रूस की फ्रीज की गई संपत्तियों का उपयोग,यूक्रेन को दी जाने वाली सुरक्षा गारंटियाँ और यूरोपीय संघ में यूक्रेन की संभावित सदस्यता। फ्रांस के राष्ट्रपति ने दोहराया कि इन सभी फैसलों पर यूरोप को अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी,क्योंकि इनके दीर्घकालिक प्रभाव पूरे महाद्वीप को प्रभावित करेंगे।

वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन युद्ध को “गरिमापूर्ण तरीके से” खत्म करना चाहता है। उन्होंने यूरोपीय नेताओं के सामने ठोस सुरक्षा गारंटियों की माँग की और यह भी कहा कि यूक्रेन किसी ऐसी शांति को स्वीकार नहीं करेगा जो उसकी संप्रभुता या क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करे।

एलिसी पैलेस की ओर से जारी बयान में बताया गया कि मैक्रों और जेलेंस्की ने सोमवार को यूरोप के कई राष्ट्राध्यक्षों और अमेरिका के प्रतिनिधियों से विस्तृत चर्चा की। बयान में उल्लेख किया गया कि यूक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए बहुपक्षीय सहयोग और समन्वय अनिवार्य है और किसी भी समझौते के लिए सभी संबंधित देशों की सहमति आवश्यक होगी।

इसी मुद्दे पर जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने भी सख्त रुख अपनाया है। बर्लिन में पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ मुलाकात के बाद मर्ज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जर्मनी “यूक्रेन पर थोपे गए किसी भी प्रकार के समझौते” के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि “यूक्रेन और यूरोप के बारे में कोई भी फैसला यूक्रेनियों और यूरोपियों के बिना नहीं किया जा सकता।” मर्ज ने यह भी दोहराया कि जर्मनी यूरोप की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए पोलैंड सहित सभी सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

पोलैंड के प्रधानमंत्री टस्क ने भी यूक्रेन का मजबूती से समर्थन करते हुए कहा कि रूस के साथ किसी भी वार्ता में यूक्रेन की सहमति और भागीदारी सर्वोपरि है। उन्होंने यूरोप की सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में जर्मनी और पोलैंड के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया।

लातविया के राष्ट्रपति एडगर्स रिंकेविक्स का बयान भी यूरोपीय नेताओं की एकजुटता को दर्शाता है। उन्होंने सोमवार को कहा कि यूरोप को न केवल बातचीत की टेबल पर होना चाहिए,बल्कि शांति प्रक्रिया के ढाँचे का नेतृत्व भी करना चाहिए। रिंकेविक्स ने नॉर्डिक-बाल्टिक क्षेत्र के उन देशों की ओर इशारा किया,जो नाटो सदस्य होने के कारण सीधे तौर पर इस संघर्ष के सुरक्षा प्रभावों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी समझौते में तीन मूलभूत सिद्धांतों—यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता,उसकी संप्रभुता और उसके सुरक्षा हितों का सम्मान का पालन अनिवार्य होना चाहिए।

उधर,रूस की ओर से भी हलचल तेज है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने सोमवार को घोषणा की कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मंगलवार को मॉस्को में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मुलाकात करेंगे। यह बैठक भी संघर्ष समाप्त करने के प्रयासों के मद्देनज़र बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

कुछ दिन पहले पुतिन ने एक बयान में कहा था कि यूक्रेन के साथ सीजफायर तभी संभव है जब यूक्रेन अपने सैनिकों को लड़ाई के मोर्चों से पीछे हटा ले। रूस की यह शर्त यूक्रेन और यूरोप दोनों के लिए अस्वीकार्य है,क्योंकि इसे यूक्रेन की स्थिति को कमजोर करने और रूस के सैन्य लाभ को स्थायी बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

इन सभी घटनाक्रमों के बीच ट्रंप प्रशासन की संशोधित 19-बिंदु वाली शांति योजना विवाद के घेरे में बनी हुई है। यूरोपीय देशों का कहना है कि अमेरिका और रूस की बातचीत से कोई भी ऐसा समाधान नहीं निकल सकता,जो यूक्रेन की राष्ट्रीय सुरक्षा और यूरोप की सामूहिक हितों की अनदेखी करे।

स्थिति यह साफ संकेत देती है कि यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों में अभी भी कई बड़े मतभेद मौजूद हैं। जहाँ अमेरिका एक त्वरित समाधान चाहता दिख रहा है,वहीं यूरोपीय देश इस बात पर जोर दे रहे हैं कि किसी भी तरह की जल्दबाजी या समझौता भविष्य में यूरोप की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।

आने वाले दिनों में मॉस्को और यूरोप में होने वाली बैठकों पर सभी की निगाहें रहेंगी,लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि यूक्रेन की सहमति और यूरोप की भागीदारी के बिना रूस-यूक्रेन युद्ध का स्थायी समाधान मुश्किल है।