नई दिल्ली,4 दिसंबर (युआईटीवी)- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा से पहले,रूसी संसद ने नई दिल्ली के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य रसद समझौते को मंज़ूरी दे दी है,जो द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में एक बड़ा कदम है। रसद समर्थन समझौते के पारस्परिक आदान-प्रदान से दोनों देशों के सशस्त्र बलों को तैनाती,अभ्यास और मानवीय मिशनों के दौरान ईंधन भरने,मरम्मत और पुनःपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों,बंदरगाहों और हवाई अड्डों तक पहुँच प्राप्त होगी।
मूल रूप से फरवरी 2025 में हस्ताक्षरित,यह समझौता परिचालन समन्वय को मज़बूत करता है और दोनों देशों की संयुक्त सैन्य गतिविधियों को अधिक कुशलता से संचालित करने की क्षमता को बढ़ाता है। भारत के लिए,यह समझौता नौसेना और वायु सेना की परिचालन पहुँच को,विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में, बढ़ाता है,साथ ही रूस को महत्वपूर्ण भारतीय प्रतिष्ठानों तक रणनीतिक पहुँच प्रदान करता है।
इस अनुसमर्थन का समय इस बात को रेखांकित करता है कि मास्को नई दिल्ली के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है,खासकर ऐसे समय में जब पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता की तैयारी कर रहे हैं। इस शिखर सम्मेलन से रक्षा,ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्रों में सहयोग गहरा होने की उम्मीद है,साथ ही दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार असंतुलन जैसी चिंताओं का समाधान भी होगा।
कुल मिलाकर, यह लॉजिस्टिक्स समझौता तेजी से बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी के लिए नई प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

