पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर

पाकिस्तान की सैन्य संरचना में बड़ा बदलाव: असीम मुनीर बने चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज,तीनों सेनाओं की कमान अब एक हाथ में

नई दिल्ली,5 दिसंबर (युआईटीवी)- पाकिस्तान की राजनीति और सेना में शक्ति के समीकरण एक बार फिर बड़े बदलाव की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। सेना प्रमुख और फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर को अब देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) नियुक्त किया गया है। यह पद पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था में अभूतपूर्व है और इसके साथ मुनीर तीनों सेनाओं—थल सेना,नौसेना और वायुसेना के सर्वोच्च प्रमुख बन गए हैं। इस नियुक्ति ने उन्हें पाकिस्तान की सबसे प्रभावशाली और ताकतवर शख्सियतों में नंबर-वन पायदान पर ला दिया है,क्योंकि अब देश की परमाणु हथियार व्यवस्था की कमान भी उनके हाथों में होगी। पाकिस्तान की आधुनिक सैन्य संरचना के इतिहास में यह फैसला एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुष्टि की है कि फील्ड मार्शल असीम मुनीर को पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए दोहरी जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे न केवल पाकिस्तान आर्मी के प्रमुख बने रहेंगे,बल्कि अब चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज के रूप में समग्र सैन्य नेतृत्व भी सँभालेंगे। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यह प्रस्ताव राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को भेजा था,जिसे तुरंत मंजूर कर दिया गया। इस नियुक्ति को पाकिस्तान के भीतर शक्ति के केंद्रीकरण की दिशा में सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि अब सेना के सभी महत्वपूर्ण निर्णय,सैन्य रणनीतियाँ और परमाणु कार्यक्रमों से जुड़े फैसले सीधे सीडीएफ द्वारा नियंत्रित किए जाएँगे।

गौरतलब है कि कुछ समय पहले ऑपरेशन सिंदूर में भारत के जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान को भारी क्षति हुई थी। इसके बावजूद पाक सेना ने प्रचारित किया कि पाकिस्तान ने भारत को बड़ा नुकसान पहुँचाया। इसी अवधि के बाद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया था। अब उन्हें सीडीएफ बनाकर पाकिस्तान की सत्ता संरचना में सेना की पकड़ को और मजबूत किया गया है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि पाकिस्तान में सेना हमेशा से राजनीति,विदेश नीति और आंतरिक सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाती रही है,लेकिन मौजूदा कदम इस प्रभाव को औपचारिक रूप से और बढ़ाने का प्रयास माना जा रहा है।

पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं में लंबे समय से कई पद खाली पड़े थे और अधिकारों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इस निर्णय के साथ पाक सरकार ने इन अनिश्चितताओं को समाप्त करने की कोशिश की है। इसके समानांतर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान एयर फोर्स के प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू के कार्यकाल में दो वर्ष के विस्तार को भी मंजूरी दी है। अब उनका कार्यकाल मार्च 2026 के बाद भी जारी रहेगा। इसका अर्थ यह है कि शीर्ष सैन्य नेतृत्व आने वाले वर्षों तक लगभग स्थिर रहेगा और यह व्यवस्था सेना के भीतर शक्ति-संतुलन को नियंत्रित बनाए रखने का प्रयास प्रतीत होती है।

असीम मुनीर को हाल ही में आपराधिक मामलों से आजीवन छूट भी प्राप्त हुई है,जो 27वें संविधान संशोधन के तहत प्रदान की गई है। इस संशोधन के अनुसार राष्ट्रपति,फील्ड मार्शल,एयर फोर्स मार्शल और नौसेना एडमिरल को किसी भी प्रकार के आपराधिक मामलों एवं गिरफ्तारी से पूर्ण छूट होती है। इस विशेषाधिकार को पाकिस्तान के भीतर सत्ता संरक्षण के रूप में भी देखा जा रहा है। आलोचकों का आरोप है कि शीर्ष सैन्य पदों को संवैधानिक सुरक्षा देकर उनसे जुड़ी जवाबदेही लगभग समाप्त कर दी गई है,जिससे सेना और नागरिक व्यवस्था के बीच शक्ति-असंतुलन और गहरा होगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, सीडीएफ का पद भारतीय सैन्य ढाँचे में सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) की तर्ज पर बनाया गया है,लेकिन पाकिस्तान में इसकी शक्तियाँ कहीं अधिक व्यापक हैं। भारत में सीडीएस मुख्य रूप से समन्वय की भूमिका निभाते हैं,जबकि पाकिस्तान में सीडीएफ को परमाणु हथियारों और रणनीतिक बलों तक सीधी पहुँच प्राप्त हो गई है,जो उन्हें देश की सैन्य और परमाणु नीति का सर्वोच्च प्राधिकारी बना देता है।

इस कदम से यह भी संकेत मिलता है कि पाकिस्तान आने वाले समय में सैन्य व राजनीतिक स्थिरता को पूरी तरह सेना के जरिए नियंत्रित करने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कमजोर है,राजनीतिक दलों के बीच खींचतान जारी है और ऐसे में सैन्य नेतृत्व अपनी पकड़ और मजबूत करता जा रहा है। असीम मुनीर का यह अभूतपूर्व प्रमोशन इसी प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है।

सीधे शब्दों में कहें तो, सीडीएफ का गठन पाकिस्तान की सत्ता संरचना को एक नए युग में प्रवेश कराता है,जहाँ सैन्य प्रतिष्ठान न केवल प्रभावशाली है,बल्कि आधिकारिक रूप से पूर्ण शक्ति-संपन्न भी हो गया है। आने वाले वर्षों में पाकिस्तान की सैन्य नीति,सीमाई संबंध,परमाणु रणनीति और आंतरिक सुरक्षा सभी पर असीम मुनीर का निर्णायक प्रभाव देखने को मिलना निश्चित है।