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इंडिगो की सैकड़ों फ्लाइट रद्द होने से यात्रियों में आक्रोश,भाजपा सांसदों ने गहरी चिंता जताई,मुआवजे और हाई-लेवल जाँच की उठी माँग

नई दिल्ली,5 दिसंबर (युआईटीवी)- देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन इंडिगो इन दिनों गंभीर संचालन संकट से जूझ रही है। पिछले तीन दिनों में इंडिगो के नेटवर्क और ऑपरेशंस बुरी तरह प्रभावित हुए,जिसके चलते देशभर में सैकड़ों फ्लाइट्स या तो रद्द कर दी गईं या घंटों देरी से उड़ान भरी। अचानक पैदा हुए इस संकट ने हजारों यात्रियों को मुश्किल में डाल दिया है। कई लोग एयरपोर्ट पर 8 से 10 घंटे तक फँसे रहे,जबकि कई यात्रियों की अंतरराज्यीय यात्राएँ,बिज़नेस मीटिंग्स,मेडिकल अपॉइंटमेंट्स और व्यक्तिगत कार्यक्रम प्रभावित हुए। इस अव्यवस्था पर अब राजनीतिक स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। खास तौर पर भाजपा सांसदों ने इंडिगो की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए इसे गंभीर मामला करार दिया है और यात्रियों को मुआवजा देने की माँग उठाई है।

भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने इंडिगो की अव्यवस्था पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह केवल एक एयरलाइन का मुद्दा नहीं,बल्कि लाखों आम यात्रियों की सुरक्षा,सुविधा और अधिकारों से जुड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि “देशभर में हजारों लोग कठिन परिस्थिति में फँस गए। कई यात्रियों को 10 घंटे या उससे अधिक समय तक एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा। यह स्थिति बिल्कुल अस्वीकार्य है।” खंडेलवाल ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की माँग करते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू से हाई-लेवल जाँच कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि इंडिगो से जवाब माँगा जाना चाहिए कि इतने बड़े पैमाने पर बाधा क्यों आई और यात्रियों को समय पर आवश्यक जानकारी क्यों नहीं दी गई। खंडेलवाल ने यह भी जोड़ा कि इंडिगो को उन सभी यात्रियों को उचित मुआवजा देना चाहिए,जिन्हें इस संकट के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उनका कहना है कि “पिछले दो दिनों में जिस तरह से फ्लाइट रद्द हुईं,उससे न सिर्फ यात्रियों को व्यक्तिगत रूप से नुकसान हुआ,बल्कि व्यवसाय,रोजगार और आर्थिक गतिविधियों पर भी व्यापक असर पड़ा है। यह अपने आप में राष्ट्रीय स्तर की चिंता का विषय है।”

इसी तरह भाजपा सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने भी इंडिगो के संचालन में आई बाधाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इंडिगो देश की प्रमुख एयरलाइनों में से एक है और उसकी गुणवत्ता तथा सेवा पर अब तक यात्रियों ने भरोसा किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में फ्लाइट्स का लगातार रद्द होना और देरी से उड़ान भरना चिंताजनक है,जिसे जल्द-से-जल्द सुधारने की आवश्यकता है। त्रिपाठी ने यह भी कहा कि यह मुद्दा राजनीति का विषय नहीं है,बल्कि यह पूरी तरह यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि “हमें राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। हमारा पहला कर्तव्य यात्रियों की परेशानी को कम करना और एयरलाइन सेक्टर में स्थिरता कायम रखना है।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि नागरिक उड्डयन विभाग और इंडिगो प्रबंधन को मिलकर जल्द-से-जल्द समाधान निकालना चाहिए,ताकि यात्रियों का भरोसा बना रहे और इस तरह की अव्यवस्था दोबारा न हो।

भाजपा सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने भी फ्लाइट रद्द होने की बढ़ती शिकायतों को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है और सरकार इसे हल्के में नहीं लेगी। चौधरी ने कहा, “हमारी सरकार हमेशा जनता के हित के लिए खड़ी रही है और आगे भी रहेगी। इस मामले को मैं व्यक्तिगत तौर पर संज्ञान में ले रहा हूँ और संबंधित अधिकारियों से बात करूँगा ।” चौधरी का यह बयान यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस मामले पर कड़े कदम उठा सकते हैं।

इंडिगो की ओर से अभी तक इस बड़े व्यवधान का स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है, हालाँकि शुरुआती रिपोर्ट्स में ऑपरेशनल मैनेजमेंट में गंभीर खामी,तकनीकी गड़बड़ी और कुछ सेक्टरों में स्टाफ की कमी जैसी बातों का उल्लेख किया गया है। कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि एयरलाइन ने उन्हें समय पर जानकारी नहीं दी,न ही उचित वैकल्पिक व्यवस्था मुहैया कराई। कई वीडियो और तस्वीरें सामने आईं,जिनमें यात्री एयरपोर्ट के अंदर जमीन पर बैठे दिखाई दिए और कई बुजुर्ग यात्रियों तथा छोटे बच्चों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना भारत के तेजी से बढ़ते एविएशन सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। देश में एयर ट्रैवल की माँग लगातार बढ़ रही है,लेकिन इसके अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर,टेक्निकल सपोर्ट और स्टाफ को मजबूत किए बिना ऐसी घटनाएँ भविष्य में और भी बढ़ सकती हैं। इंडिगो,जो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है और घरेलू हवाई यात्रा में लगभग 60% मार्केट शेयर रखती है,उसके लिए इस तरह की खामी उसके ब्रांड की विश्वसनीयता पर गंभीर असर डाल सकती है।

हालाँकि,यात्रियों और राजनीतिक स्तर पर बढ़ती नाराजगी देखकर यह संभावना है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस मामले पर आवश्यक कदम उठाएगी। फ्लाइट्स के संचालन को स्थिर करना,यात्रियों को मुआवजा देना,एयरलाइन से कठोर जवाब-तलब और आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नए दिशानिर्देश तैयार करना,सरकार की प्राथमिकता बन सकते हैं। वहीं,इंडिगो के लिए यह बड़ा सबक है कि ऑपरेशनल दक्षता और पारदर्शिता किसी भी एयरलाइन की विश्वसनीयता का आधार होती है।

यात्रियों का कहना है कि इस अव्यवस्था ने उन्हें मानसिक,वित्तीय और शारीरिक रूप से काफी परेशान किया है। कई यात्रियों की शादी,अंतिम संस्कार,इंटरव्यू और बिज़नेस मीटिंग तक छूट गईं। लोगों का यह भी कहना है कि एयरलाइन को केवल तकनीकी कारण बताकर जिम्मेदारी से नहीं बचना चाहिए। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि इंडिगो और सरकार इस संकट का समाधान कैसे निकालते हैं और भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।