नई दिल्ली,5 दिसंबर (युआईटीवी)- भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद देश की आर्थिक और वित्तीय दिशा को प्रभावित करने वाले कई महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने घोषणा की कि केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करते हुए इसे 5.50% से घटाकर 5.25% कर दिया है। यह कदम स्पष्ट रूप से आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने,निवेश को प्रोत्साहन देने और उपभोक्ता माँग को बढ़ाने के मकसद से उठाया गया है। लंबे समय से दरों में स्थिरता बनाए रखने के बाद यह कटौती बाजारों के लिए राहत लेकर आई है और आने वाले महीनों में ऋण की लागत कम होने की उम्मीद बढ़ गई है।
साथ ही आरबीआई ने मौद्रिक नीति के रुख को ‘न्यूट्रल’ रखने का फैसला किया है,जिसका अर्थ है कि केंद्रीय बैंक अभी मुद्रास्फीति और विकास दोनों पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करेगा। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बुनियादों पर खड़ी है और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भी भारतीय आर्थिक गतिविधियां निरंतर बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसे में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि विकास की गति बनी रहे और साथ ही महँगाई नियंत्रण में रहे।
आरबीआई ने आर्थिक गतिविधियों में तरलता बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए यह घोषणा भी की कि वह ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) के तहत 1 लाख करोड़ रुपये की सरकारी सिक्योरिटीज खरीदेगा। यह कदम वित्तीय प्रणाली में अतिरिक्त नकदी उपलब्ध कराएगा,जिससे बैंकों की उधार देने की क्षमता में वृद्धि होगी और बाजारों में तरलता की कमी दूर होगी। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने 5 अरब डॉलर के डॉलर-रुपया स्वैप अरेंजमेंट की भी घोषणा की है,जिसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा विनिमय दर को स्थिर बनाए रखना और बाजारों को बाहरी झटकों से सुरक्षा प्रदान करना है।
मौद्रिक नीति समीक्षा में स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) रेट को घटाकर 5% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट को 5.50% कर दिया गया। इन दरों में की गई कमी से बैंकों के लिए धन की लागत और कम होगी,जिसका सीधा लाभ आम जनता और उद्योगों को सस्ता कर्ज मिलने के रूप में मिल सकता है। इससे आवास ऋण,वाहन ऋण और एमएसएमई क्षेत्रों के लिए व्यवसायिक ऋणों में राहत मिल सकती है।
गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के विभिन्न संकेतक यह दर्शाते हैं कि आर्थिक गतिविधियों में मजबूती आ रही है। जीएसटी कलेक्शन में स्थिर बढ़ोतरी, कृषि क्षेत्र में बेहतर संभावनाएँ और देश की कंपनियों का मजबूत वित्तीय प्रदर्शन अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है। उन्होंने कहा कि मानसून के संतुलित रहने और रबी की फसल के अच्छे अनुमान के कारण ग्रामीण माँग में भी सुधार के संकेत हैं,जो समग्र विकास को आगे बढ़ाएँगे।
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान भी बढ़ाकर 7.3% कर दिया है,जबकि इससे पहले यह अनुमान 6.8% लगाया गया था। दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि 7% रहने का अनुमान है,जबकि मार्च 2026 की तिमाही के लिए 6.5% वृद्धि का अनुमान जताया गया है। अगले वित्त वर्ष की शुरुआत यानी जून तिमाही में वृद्धि 6.7% और सितंबर 2026 तिमाही में 6.8% रहने की संभावना है। यह संशोधित अनुमान इस बात का संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बीच भी स्थिर और मजबूत है।
महँगाई के मोर्चे पर भी आरबीआई ने राहत देने वाला अनुमान जारी किया है। चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 2% कर दिया गया है,जबकि पहले यह 2.6% था। हालाँकि,गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि खाद्य कीमतों में किसी भी अचानक उतार-चढ़ाव पर केंद्रीय बैंक लगातार नजर बनाए हुए है और आवश्यकता पड़ने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
एक और महत्वपूर्ण संकेतक के रूप में आरबीआई ने बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 686 अरब डॉलर पर पहुँच गया है। यह लगभग 11 महीनों के आयात के लिए पर्याप्त है और वैश्विक बाजार की अस्थिरता से देश की अर्थव्यवस्था को सुरक्षा प्रदान करता है। विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़ोतरी निवेशकों का भारत की आर्थिक प्रणाली पर बढ़ते विश्वास को दर्शाती है।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिया था कि यदि आर्थिक संकेतक मजबूत रहे तो एमपीसी बैठक में रेपो रेट घटाया जा सकता है। इसी उम्मीद के चलते बाजारों में पहले से ही सकारात्मक माहौल था,जिसे मौद्रिक नीति के इस फैसले ने और मजबूती प्रदान की है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा से साफ संकेत मिलता है कि केंद्रीय बैंक विकास को गति देने,रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और उद्योग-व्यापार जगत को राहत प्रदान करने के लिए सक्रिय रुख अपना रहा है। आने वाले महीनों में इसका असर बैंकिंग क्षेत्र,उद्योगों और उपभोक्ताओं सभी पर सकारात्मक रूप से देखने की उम्मीद है।

