नई दिल्ली,8 दिसंबर (युआईटीवी)- बांग्लादेश क्रिकेट के सबसे बड़े सितारों में शुमार ऑलराउंडर शाकिब अल हसन ने अपने हालिया बयान से क्रिकेट जगत को हैरान कर दिया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि इंग्लिश काउंटी क्लब सरे के लिए खेलते हुए उन्होंने जानबूझकर संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन का इस्तेमाल किया था। यह खुलासा उन्होंने ‘बियर्ड बिफोर विकेट’ पॉडकास्ट में किया,जिसमें उन्होंने अपने करियर से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर खुलकर बात की। सरे की ओर से गेंदबाजी करते हुए शाकिब के एक्शन पर सवाल उठे थे और बाद में लॉफबोरो यूनिवर्सिटी में हुई परीक्षण जाँच में उनके एक्शन को अवैध भी करार दिया गया था। इसके चलते उन्हें ईसीबी के सभी मैचों के साथ-साथ इंटरनेशनल क्रिकेट में गेंदबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
पॉडकास्ट में शाकिब ने बताया कि संदिग्ध एक्शन उनका कोई तकनीकी दोष नहीं था,बल्कि यह थकान और अत्यधिक ओवर फेंकने की वजह से एक सोचा-समझा निर्णय था। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष टॉन्टन में समरसेट के खिलाफ सरे के लिए खेले गए चार दिवसीय मैच में उन्होंने 70 से भी अधिक ओवर फेंके थे,जो उनके पूरे करियर का सबसे लंबा गेंदबाजी स्पेल था। शाकिब ने बताया कि वह पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलकर सीधे इंग्लैंड पहुँचे थे,जहाँ उन्हें लगातार गेंदबाजी करनी पड़ी। इतना लोड उन्होंने अपने करियर में पहले कभी नहीं झेला था। शारीरिक थकान और लंबे स्पेल की वजह से गेंदबाजी के दौरान उनका एक्शन बिगड़ने लगा,लेकिन उन्होंने उस समय इसे जानबूझकर जारी रखा।
उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि मैच के दौरान अंपायर ने उन्हें केवल चेतावनी दी थी और नियमों के तहत अंपायर की यही भूमिका होती है। शाकिब के मुताबिक, “अंपायर मुझे सिर्फ चेतावनी दे सकता था और उसने वही किया। उसने कुछ गलत नहीं किया और इसलिए मैंने इसकी शिकायत नहीं की।” शाकिब ने यह भी बताया कि वह स्वयं समझते थे कि वह जिस तरह से गेंदबाजी कर रहे हैं,वह संदिग्ध है,लेकिन लगातार ओवर फेंकते-फेंकते उनके पास तकनीक सुधारने का समय नहीं था। तब उन्होंने मन में तय कर लिया कि वह मैच पूरा होने तक उसी एक्शन को अपनाएँगे। हालाँकि,उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि बाद में उन पर लंबा बैन लग जाएगा।
शाकिब ने अपने क्रिकेट करियर को लेकर भी एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने अभी आधिकारिक रूप से इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास नहीं लिया है। शाकिब के मुताबिक,वह बांग्लादेश लौटकर एक टेस्ट,एक टी-20 और एक वनडे सीरीज खेलकर ही अपना अंतिम अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलना चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अपने क्रिकेट को एक सम्मानजनक और पूर्ण विराम देना चाहते हैं,न कि अचानक गायब होकर।
ध्यान देने वाली बात यह है कि मई 2024 के बाद से शाकिब बांग्लादेश टीम के साथ नहीं जुड़े हैं। उनका आखिरी इंटरनेशनल मैच भी पिछले साल भारत के खिलाफ कानपुर में खेला गया था। इसके बाद से वह निजी कारणों और काउंटी सीजन में व्यस्त रहे। उनके गेंदबाजी एक्शन की जाँच दिसंबर 2024 में हुई,जिसमें लॉफबोरो यूनिवर्सिटी की टेस्ट रिपोर्ट ने उनके एक्शन को अवैध बताया,जिसके बाद वह न सिर्फ ईसीबी बल्कि इंटरनेशनल क्रिकेट से भी गेंदबाजी करने के लिए प्रतिबंधित कर दिए गए।
शाकिब का यह खुलासा कई सवाल खड़ा करता है—क्या एक अनुभवी अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी को जानबूझकर संदिग्ध एक्शन में गेंदबाजी करनी चाहिए थी? क्या टीम प्रबंधन या कोचिंग स्टाफ को इस स्थिति से निपटने के लिए कदम नहीं उठाने चाहिए थे? शाकिब के बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि काउंटी क्रिकेट में खिलाड़ियों से कितना अधिक कार्यभार लिया जाता है,जिसके चलते शारीरिक और तकनीकी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
हालाँकि,शाकिब का रुख साफ है—वह अपने करियर को अधूरा नहीं छोड़ना चाहते। उन्होंने कहा कि वह बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड से बातचीत करेंगे और जैसे ही उन्हें मौका मिलेगा,वह आखिरी बार देश के लिए मैदान पर उतरना चाहेंगे। उन्हें विश्वास है कि वह अभी भी टीम के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं और खुद को एक बार फिर बांग्लादेशी जर्सी में देखने की इच्छा रखते हैं।
शाकिब अल हसन का यह बयान क्रिकेट जगत में नई चर्चाओं को जन्म दे रहा है। अपने करियर में कई बार विवादों और प्रतिबंधों का सामना कर चुके शाकिब एक बार फिर सुर्खियों में हैं,लेकिन इस बार उनके सच बोलने की वजह से। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड उनके इस निर्णय को लेकर क्या कदम उठाता है और क्या दर्शक उन्हें एक आखिरी बार अपने पसंदीदा ऑलराउंडर को मैदान पर खेलते हुए देख पाएँगे।

