नई दिल्ली,9 दिसंबर (युआईटीवी)- गोवा के बागा इलाके में स्थित लोकप्रिय नाइट क्लब ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ में लगी भीषण आग ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस दर्दनाक घटना में 25 लोगों की मौत हो गई और छह लोग घायल हैं। हादसे की भयावहता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मृतकों में चार टूरिस्ट और 14 स्टाफ मेंबर शामिल हैं,जबकि सात पीड़ितों की पहचान अब भी स्पष्ट नहीं हो पाई है। रविवार आधी रात को घटी इस त्रासदी के बाद से क्लब के मालिक सौरभ और गौरव लूथरा फरार हैं और उनके देश छोड़कर थाईलैंड के फुकेट पहुँचने का शक जताया जा रहा है।
गोवा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,लूथरा ब्रदर्स आग लगने के करीब पाँच घंटे के अंदर ही देश से भाग निकले। जाँच में यह सामने आया कि वे रविवार सुबह 5:30 बजे इंडिगो की एक फ्लाइट से फुकेट के लिए रवाना हुए। यह वही समय था जब क्लब में आग पूरी तरह से फैल चुकी थी और अफरातफरी का माहौल था। आश्चर्य की बात यह है कि लुकआउट सर्कुलर उसी दिन शाम को जारी किया गया, जबकि वे सुबह ही भारत से निकल चुके थे। ऐसे में उनके पकड़े जाने की संभावना और भी कम हो गई।
पुलिस की कार्रवाई रविवार के बाद सोमवार को तेज़ हुई। गोवा पुलिस द्वारा संयुक्त कार्रवाई के तहत दिल्ली में स्थित दोनों भाइयों के आवासों पर नोटिस चिपका दिए गए,क्योंकि पुलिस की टीमें सोमवार सुबह तक भी उन्हें खोजने में असफल रहीं। गोवा पुलिस ने अब सीबीआई से इंटरपोल नोटिस जारी कराने की औपचारिक माँग भी की है,ताकि सौरभ और गौरव को थाईलैंड से वापस लाया जा सके। जाँच अधिकारी का मानना है कि यह भागना सोची-समझी साजिश थी और हादसे की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपी किसी भी तरह की पूछताछ या गिरफ्तारी से बचने के प्रयास में थे।
वहीं घटना को लेकर पुलिस की जाँच लगातार आगे बढ़ रही है। सोमवार को आरोपी भरत कोहली को दिल्ली से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर गोवा लाया गया। वह क्लब के ऑपरेशनों से जुड़ा बताया जा रहा है। उधर,क्लब के चार मैनेजरों को भी रविवार देर रात बर्देज़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने चारों को छह दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। इनसे बीते 24 घंटों में करीब आठ घंटे से अधिक की पूछताछ हो चुकी है,जिसमें पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि आग लगने के दौरान क्लब की सुरक्षा व्यवस्थाएँ कैसी थीं तथा मालिक उस रात कहाँ थे और क्या कर रहे थे।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार,आग का प्राथमिक कारण क्लब परिसर में सिलेंडर फटना बताया जा रहा है। हालाँकि,फॉरेंसिक जाँच की रिपोर्ट आने के बाद ही आग लगने के कारणों की आधिकारिक पुष्टि की जाएगी। क्लब की संरचना भी हादसे का एक बड़ा कारण मानी जा रही है। ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ अरपोरा नदी के बैकवाटर क्षेत्र के पास स्थित है और इसका प्रवेश मार्ग बेहद संकरा तथा सीमित है। पुलिस के मुताबिक,यही वजह थी कि आग लगने के बाद कई लोग समय रहते बाहर नहीं निकल सके। घबराहट और भीड़भाड़ की वजह से लोग फँसते चले गए और कई की दम घुटने से मौत हो गई।
घटना के बाद से स्थानीय प्रशासन और सरकार की ओर से पीड़ितों के परिवारों को सहायता प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर गहरा दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। सोमवार को पीड़ितों का पोस्टमार्टम भी पूरा कर लिया गया और शव परिजनों को सौंप दिए गए। कई परिवारों के लिए यह क्षति असहनीय है क्योंकि कई पीड़ित गोवा घूमने आए थे और उनकी छुट्टियाँ इस दुखद मोड़ पर समाप्त हो गईं।
इस बीच,गोवा के पर्यटन क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने भी सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए हैं। गोवा में हर साल लाखों पर्यटक आते हैं और क्लबों की संख्या भी काफी है। ऐसे में सुरक्षा मानकों का पालन किया जाना बेहद ज़रूरी है। स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण समूहों का कहना है कि कई क्लब बिना उचित अनुमति और अग्निशमन व्यवस्थाओं के ही चल रहे हैं। इस घटना ने सरकार और प्रशासन को भी इस दिशा में सख्ती बरतने के लिए मजबूर कर दिया है।
जाँच अधिकारियों ने यह भी बताया कि क्लब में आग लगने के समय वहाँ मौजूद स्टाफ की संख्या अपेक्षाकृत कम थी,जबकि भीड़ बहुत अधिक थी। कई महत्वपूर्ण सुरक्षा खामियों की ओर भी इशारा किया गया है,जैसे कि इमरजेंसी एग्ज़िट का न होना,आग बुझाने वाले यंत्रों का पर्याप्त संख्या में न होना और सुरक्षा प्रशिक्षण का अभाव। पूछताछ में यह भी सामने आ सकता है कि क्या क्लब नियमानुसार लाइसेंस प्राप्त था और क्या वहाँ निर्धारित क्षमता से अधिक लोगों को प्रवेश दिया गया था।
फिलहाल,पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती सौरभ और गौरव लूथरा का पता लगाना है। इंटरपोल नोटिस जारी किए जाने के बाद उम्मीद है कि दोनों जल्द ही पकड़े जाएँगे। इस दुखद घटना ने न केवल कई परिवारों को शोक में डुबो दिया है,बल्कि गोवा के मनोरंजन उद्योग में सुरक्षा को लेकर गंभीर बहस भी छेड़ दी है। जाँच एजेंसियों पर दबाव है कि वे जिम्मेदार लोगों को जल्द-से-जल्द गिरफ्तार करें और पीड़ितों को न्याय दिलाएँ।
