चेन्नई,10 दिसंबर (युआईटीवी)- तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव में अब केवल चार महीने का समय बचा है और इसी राजनीतिक गर्माहट के बीच सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने एक व्यापक और आक्रामक संगठनात्मक रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन बुधवार को चेन्नई के टेनामपेट में आयोजित एक बड़े संगठनात्मक सम्मेलन में ‘माय पोलिंग बूथ, विक्ट्री बूथ’ नामक इस नए अभियान की औपचारिक शुरुआत करेंगे। यह अभियान डीएमके के चुनावी मिशन का केंद्र बिंदु माना जा रहा है,जिसका उद्देश्य बूथ स्तर पर पार्टी की पकड़ को मजबूत करना और जमीनी कार्यकर्ताओं को अधिक सशक्त और सक्रिय बनाना है।
पार्टी नेतृत्व के अनुसार,चुनावी सफलता का सबसे महत्वपूर्ण कारक बूथ स्तर की सक्रियता और प्रबंधन है,इसलिए इस अभियान का पूरा फोकस बूथ मशीनरी को मजबूत करने पर रहेगा। डीएमके इस पहल को केवल एक प्रचार कार्यक्रम के रूप में नहीं,बल्कि एक जिम्मेदारी-आधारित,प्रदर्शन-केंद्रित योजना के रूप में लागू कर रही है,जहाँ प्रत्येक बूथ इकाई को स्पष्ट लक्ष्य,जिम्मेदारी और समय-सीमा निर्धारित की जाएगी। पार्टी की रणनीति यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि मतदाताओं तक सरकार की उपलब्धियों और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी सीधे घर-घर पहुँचे और बूथ स्तर पर मतदाता सूची की सटीकता तथा लाभार्थी पहचान का कार्य समय से पूरा हो।
अभियान के लिए संगठन के हर स्तर के पदाधिकारियों को सक्रिय रूप से शामिल करने का निर्देश दिया गया है। बूथ प्रशासक,वार्ड सचिव,शाखा सचिव और क्षेत्रीय पदाधिकारी—सभी को बूथ स्तर की गतिविधियों में पूरी तरह भागीदारी करनी होगी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि डीएमके नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि आने वाले तीन महीनों में संगठनात्मक अनुशासन,जमीनी समन्वय और फील्ड वर्क चुनाव अभियान की सबसे बड़ी प्राथमिकता रहेंगे। यह पहली बार है,जब पार्टी बूथ स्तर की इकाइयों को छोटे-छोटे टीमों में विभाजित कर व्यापक माइक्रो-मैनेजमेंट लागू करेगी,जिससे हर मतदान केंद्र पर मजबूत उपस्थिति दर्ज की जा सके।
अभियान की एक अहम विशेषता महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। डीएमके ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि डोर-टू-डोर बूथ आउटरीच टीमों में महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य महिला मतदाताओं से सीधा संवाद बढ़ाना और उन्हें सरकार की उन योजनाओं से अवगत कराना है,जो विशेष रूप से महिलाओं की शिक्षा,स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर शुरू की गई हैं। पार्टी का मानना है कि महिला मतदाताओं में डीएमके सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं का प्रत्यक्ष प्रभाव दिखता है,इसलिए उनका भरोसा बनाए रखना चुनावी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
‘माय पोलिंग बूथ, विक्ट्री बूथ’ नारे का चयन भी सोच-समझकर किया गया है। डीएमके चाहती है कि बूथ स्तर पर कार्य करने वाला हर कार्यकर्ता यह महसूस करे कि चुनावी जीत सीधे उनके बूथ से शुरू होती है। इस अभियान के तहत बूथ टीमों को मतदाता सूची की निगरानी,नए मतदाताओं का पंजीकरण,लाभार्थियों तक सरकारी योजनाओं की सही जानकारी पहुँचाने और स्थानीय मुद्दों को पहचानकर समाधान की दिशा में काम करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। पार्टी आने वाले हफ्तों में नियमित समीक्षा बैठकों और प्रदर्शन मूल्यांकन की प्रक्रिया भी शुरू करेगी,जिससे प्रत्येक बूथ इकाई की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके।
पार्टी सूत्रों के अनुसार,डीएमके सरकार अपने कार्यकाल के दौरान शुरू की गई कल्याण योजनाओं—जैसे मुफ्त शैक्षणिक साधन,महिला वित्तीय सहायता योजना,पेंशन सुधार,स्वास्थ्य बीमा,स्कूली छात्रों के लिए मुफ्त लैपटॉप तथा राज्य-स्तरीय बुनियादी ढाँचा विकास को चुनाव प्रचार का मुख्य आधार बनाएगी। संगठनात्मक स्तर पर बूथ आधारित अभियान शुरू करने से सरकार की इन उपलब्धियों को घर-घर तक पहुँचाने में आसानी होगी।
राज्य की राजनीति में इस समय हलचल तेज होती जा रही है। विपक्षी एआईएडीएमके,बीजेपी और अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी अपनी तैयारियों में तेजी लाई है। ऐसे में डीएमके का यह उच्च-स्तरीय बूथ अभियान चुनावी माहौल को और भी तीव्र बना सकता है। यह अभियान न केवल पार्टी की जमीनी पकड़ मजबूत करेगा,बल्कि यह भी संकेत देगा कि डीएमके इस चुनाव में बेहद संगठित,अनुशासित और रणनीतिक तरीके से उतरने की तैयारी कर चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि डीएमके की यह रणनीति काफी प्रभावी हो सकती है,क्योंकि तमिलनाडु की राजनीति में स्थानीय स्तर पर मजबूत बूथ प्रबंधन चुनावी समीकरण बदलने की क्षमता रखता है। पिछले चुनावों में भी डीएमके ने बूथ स्तर पर मजबूत उपस्थिति की बदौलत बढ़त हासिल की थी और इस बार पार्टी इसे और मजबूत करना चाहती है। जैसे-जैसे चुनाव करीब आएँगे,यह अभियान पूरे राज्य में माहौल को और गर्माएगा और चुनावी गतिविधियों को नए आयाम देगा।
इस तरह ‘माय पोलिंग बूथ, विक्ट्री बूथ’ अभियान के साथ डीएमके ने आगामी चुनाव को लेकर अपना सबसे बड़ा दांव खेल दिया है और आने वाले महीनों में राज्य की राजनीति में इस अभियान का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
