न्यूयॉर्क,10 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से वैश्विक और घरेलू दोनों स्तरों पर अपने बयानों से हलचल मचाते दिखाई दिए हैं। टैरिफ नीति के जरिए वर्षों से दुनिया पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश करने वाले ट्रंप अब अपने ही देश में बढ़ती महँगाई और आर्थिक असंतोष का सामना कर रहे हैं। घरेलू चुनाव नजदीक आने के साथ ही ट्रंप जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में जुटे हैं,लेकिन उनकी रैलियों में नए समाधान से अधिक पुराने दावों की पुनरावृत्ति देखी जा रही है। इससे आम अमेरिकियों के बीच बढ़ती नाराजगी साफ दिखाई देने लगी है।
मंगलवार को पेंसिलवेनिया के एक कसीनो रिजॉर्ट में हुए एक चुनावी रैली में ट्रंप शामिल हुए, जहाँ बड़ी संख्या में पहुँचे लोगों की उम्मीदें थीं कि राष्ट्रपति बढ़ती महँगाई से राहत देने के लिए कोई ठोस और नई घोषणा करेंगे,लेकिन ट्रंप ने एक बार फिर वही पुराने दावे दोहराए—कम पेट्रोल कीमतों का जिक्र,रिकॉर्ड निवेश की बातें और उनकी सरकार के दौरान बढ़ी नौकरियों की उपलब्धियाँ। हालाँकि,जनता का भरोसा इस समय इन दोहराए गए वादों में पहले जैसा नहीं दिखा और रैली के दौरान भी एक तरह की बेचैनी और निराशा महसूस की गई।
ट्रंप ने रैली में अपने पारंपरिक राजनीतिक हमलों का इस्तेमाल करते हुए डेमोक्रेट्स और पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार पर फिर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि बाइडेन के नेतृत्व में अमेरिका में अवैध अप्रवासियों की संख्या बढ़ गई और इससे देश की सुरक्षा पर असर पड़ा। इसके अलावा,उन्होंने ट्रांसजेंडर नीतियों और नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर भी तीखी बयानबाजी की,जो कि उनकी सामान्य चुनावी रणनीति का हिस्सा रही है। उनके मुताबिक,अमेरिका में शांति स्थापित करने का तरीका ताकत का प्रदर्शन है और टैरिफ नीति इस दिशा में “सफल” रही है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में टैरिफ नीति ने अमेरिका में स्थिरता लाई है? विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ के कारण कई आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ीं,जिसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ा। इसके अलावा,वैश्विक बाजार में कई देशों ने अमेरिका के जवाब में प्रतिशोधी कदम उठाए,जिससे अमेरिकी व्यापारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बढ़ती महँगाई,घरों की कीमतों में उछाल और उपभोक्ता खर्च में कमी ऐसे मुद्दे हैं,जो ट्रंप सरकार के लिए अब बड़ा सिरदर्द बन गए हैं।
हैरानी की बात यह है कि घरेलू मुद्दों की अनदेखी को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी चिंता बढ़ रही है। टेक्सास के रिपब्लिकन सांसद टोनी गोंजालेस ने बयान दिया कि यदि पार्टी आर्थिक मुद्दों से दूरी बनाती रही,तो चुनावों में गंभीर नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनके अनुसार,जनता जिस वास्तविक समस्या से जूझ रही है,वह है महँगाई,आर्थिक अस्थिरता और घर की बढ़ती कीमतें और यदि इन विषयों पर ध्यान नहीं दिया गया,तो जनता का भरोसा धीरे-धीरे कम होता जाएगा।
हालाँकि,महँगाई से जूझ रही जनता के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुछ प्रस्ताव जरूर रखे,लेकिन विशेषज्ञों ने उनके प्रस्ताव में ठोस नीति का अभाव नजर आने की बात कही। उनका मानना है की ट्रंप ने बिना किसी स्पष्ट योजना के “अमेरिका को फिर से किफायती बनाने” का नारा दिया,जो कि उनके “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” अभियान की तरह ही एक भावनात्मक अपील है। इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि वास्तविक रूप से वह खाद्य पदार्थों,ईंधन,आवास और अन्य दैनिक आवश्यकताओं की बढ़ती कीमतों को कैसे नियंत्रित करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रैली के दौरान 2,000 डॉलर के “टैरिफ डिविडेंड चेक” जारी करने का वादा किया। उनके मानना है कि यह राशि अमेरिकी नागरिकों को टैरिफ के जरिए प्राप्त सरकारी मुनाफे का एक हिस्सा होगी। उन्होंने नवजात बच्चों के लिए “ट्रंप अकाउंट” नामक योजना की भी घोषणा की,जिसमें नवजातों के जन्म पर एकमुश्त राशि दी जाएगी,ताकि माता-पिता को शुरुआती आर्थिक सहायता मिल सके। इसके अलावा, किसानों को टैरिफ युद्ध से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 12 अरब डॉलर देने का भी वादा किया,लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इन योजनाओं से अस्थायी राहत भले मिल सकती है,लेकिन ये बढ़ती महँगाई,ब्याज दरों और आर्थिक असंतुलन जैसे मूल मुद्दों का समाधान नहीं कर पाएंगी।
अमेरिका में वर्तमान में महँगाई की दर 3 प्रतिशत के आसपास है। यह दर भले ही पिछले वर्ष की तुलना में कम है,लेकिन ट्रंप सरकार इसे “तेज गिरावट” नहीं मान रही है। ट्रंप का दावा है कि देश आज भी बाइडेन प्रशासन की नीतियों के कारण प्रभावित है और महँगाई का एक बड़ा हिस्सा “बाइडेन इन्फ्लेशन” का नतीजा है। हालाँकि,हालिया सर्वेक्षणों में जनता इनके स्पष्टीकरण से सहमत नहीं दिख रही। अधिकांश सर्वे में ट्रंप की अप्रूवल रेटिंग सिर्फ 44 प्रतिशत पर अटकी हुई है,जो उनके लिए चिंता का विषय बन रहा है। कई अमेरिकी नागरिकों का मानना है कि देश गलत दिशा में जा रहा है और नीतिगत अस्थिरता ने उनकी कठिनाइयों को बढ़ाया है।
डेमोक्रेट्स बढ़ती महँगाई,घरों की कीमतों और उपभोक्ता खर्च को चुनावी मुद्दों के केंद्र में रखकर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह घरेलू आर्थिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करे। फिलहाल ट्रंप की रैलियों में अधिक भावनात्मक अपीलें हैं,लेकिन वास्तविक नीतियों की कमी साफ दिखाई दे रही है।
