नई दिल्ली,11 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच एक महत्वपूर्ण टेलीफोनिक बातचीत हुई,जिसमें दोनों नेताओं ने भारत-इजराइल रणनीतिक साझेदारी में निरंतर हो रही प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। यह संवाद ऐसे समय में हुआ है,जब वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और दोनों देशों के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग मजबूत करना समय की आवश्यकता बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा करते हुए बताया कि उन्होंने अपने मित्र प्रधानमंत्री नेतन्याहू से कई अहम विषयों पर व्यापक चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बातचीत में दोनों नेताओं ने भारत-इजराइल रणनीतिक साझेदारी में हुई प्रगति की समीक्षा की और भविष्य में इन संबंधों को और सुदृढ़ करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने बताया कि भारत और इजराइल के बीच रक्षा,कृषि,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,साइबर सुरक्षा और जल प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग लगातार गहराता जा रहा है। यही कारण है कि दोनों देशों के बीच उच्च स्तर पर निरंतर संवाद और साझेदारी को नई गति मिल रही है। इस पर संतोष व्यक्त करते हुए मोदी और नेतन्याहू ने आने वाले वर्षों में इस सहयोग को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
बातचीत में आतंकवाद का मुद्दा भी प्रमुख रहा। मोदी और नेतन्याहू ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की और इस वैश्विक चुनौती के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति की पुन: पुष्टि की। दोनों नेताओं का मानना है कि आतंकवाद किसी भी देश की सीमा तक सीमित नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इसके खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। भारत और इजराइल लंबे समय से आतंकवाद से प्रभावित रहे हैं,इसलिए इस मुद्दे पर दोनों देशों की सोच और रणनीति स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के निकट है। बातचीत में यह भी कहा गया कि आतंकवाद को समर्थन देने वाली शक्तियों के खिलाफ सख्त कदम उठाना ही क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति सुनिश्चित कर सकता है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति पर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया। इस क्षेत्र में हाल के महीनों में कई जटिलताएँ और तनाव देखे गए हैं,जिनका प्रभाव वैश्विक राजनयिक और आर्थिक ढाँचे पर पड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान गाजा शांति योजना के शीघ्र और प्रभावी कार्यान्वयन का समर्थन किया और कहा कि भारत हमेशा से ऐसे सभी प्रयासों का पक्षधर रहा है,जिनका उद्देश्य न्यायपूर्ण और स्थायी शांति स्थापित करना हो। उन्होंने दोहराया कि भारत क्षेत्र में शांति बहाली के लिए उठाए जाने वाले सभी सकारात्मक कदमों का समर्थन करेगा। नेतन्याहू ने भी भारत की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रयासों में भारत का संतुलित और रचनात्मक दृष्टिकोण वैश्विक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है।
दोनों नेताओं ने भविष्य में भी घनिष्ठ संपर्क बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की,ताकि रणनीतिक,आर्थिक और सुरक्षा से जुड़े मामलों में निर्णय प्रक्रिया सुचारू और प्रभावी बनी रहे। यह संकेत देता है कि भारत और इजराइल आने वाले समय में और अधिक उच्चस्तरीय संवाद,संयुक्त परियोजनाएँ और तकनीकी सहयोग पर जोर देंगे।
इस फोन वार्ता का समय इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पिछले महीने के अंत में भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इजराइल की अपनी महत्वपूर्ण यात्रा पूरी की थी। इस यात्रा के दौरान उन्होंने इजराइल के कई वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठकें कीं,जिनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना था। एक आधिकारिक बयान के अनुसार,इस यात्रा ने आर्थिक संबंधों को गहरा करने,प्रौद्योगिकी आधारित सहयोग को गति देने और रणनीतिक महत्व वाले क्षेत्रों में साझेदारी के विस्तार की दिशा में एक ठोस आधार प्रदान किया है। इसे भारत-इजराइल संबंधों के अगले चरण की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
पीयूष गोयल की इजराइल के अर्थव्यवस्था और उद्योग मंत्री नीर बरकत के साथ हुई महत्वपूर्ण बैठक में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा हुई। यह एफटीए दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। इस बैठक के दौरान भारत-इजराइल मुक्त व्यापार समझौते के लिए ‘संदर्भ शर्तों’ पर हस्ताक्षर किए गए,जो संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी वार्ता की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। अधिकारी मानते हैं कि एफटीए पूरा होने पर दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और निवेश सहयोग भी कई गुना बढ़ सकता है।
वहीं,इजराइल के वित्त मंत्री बेज़लेल स्मोट्रिच के साथ हुई चर्चा में अवसंरचना,खनन तथा इजराइल में भारतीय श्रमिकों के लिए अवसर जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे। इजराइल में निर्माण और सेवा क्षेत्रों में श्रमिकों की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है और ऐसे में भारतीय कर्मियों के लिए रोजगार के नए अवसर खुल सकते हैं। यह सहयोग न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभकारी होगा बल्कि मानव संसाधन विनिमय को भी बढ़ावा देगा।
इसके अतिरिक्त,इजराइल के कृषि मंत्री एवी डिक्टर के साथ हुई बैठक में कृषि क्षेत्र में सहयोग को और विस्तृत करने पर विशेष ध्यान दिया गया। इजराइल लंबे समय से कृषि जल प्रबंधन,बीज सुधार,माइक्रो-सिंचाई और खाद्य सुरक्षा रणनीतियों में वैश्विक अग्रणी देशों में शामिल रहा है। भारत इन क्षेत्रों में इजराइल की तकनीक और विशेषज्ञता से काफी लाभ उठा सकता है,खासकर ऐसे समय में,जब जल संरक्षण और उत्पादकता बढ़ाना भारतीय कृषि की प्रमुख आवश्यकता बन चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी और नेतन्याहू की फोन वार्ता भारत-इजराइल संबंधों की मजबूत होती दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। रणनीतिक साझेदारी,आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता और क्षेत्रीय शांति की दिशा में दोनों देशों के दृष्टिकोण में समानता भविष्य में और अधिक प्रभावी सहयोग की राह खोलती है। यह संवाद संकेत देता है कि भारत और इजराइल आने वाले वर्षों में वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े रहने को तैयार हैं।
