शाहरुख खान

शाहरुख खान ने ऑस्कर एंट्री ‘होमबाउंड’ की की तारीफ,कहा—यह फिल्म नहीं, इंसानियत की जीत है

मुंबई,11 दिसंबर (युआईटीवी)- बॉलीवुड के ‘किंग खान’ शाहरुख खान हमेशा से अच्छे सिनेमा के समर्थक रहे हैं और इंडस्ट्री में उभरती नई कहानियों को खुले दिल से सराहते रहे हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने एक बार फिर एक खास फिल्म नीरज घेवान द्वारा निर्देशित ‘होमबाउंड’ की तारीफ की है,जो इस वर्ष भारत की आधिकारिक ऑस्कर एंट्री चुनी गई है। अपनी संवेदनशील और प्रभावशाली कहानी के कारण चर्चा में बनी इस फिल्म ने न सिर्फ दर्शकों बल्कि फिल्म जगत के कई दिग्गज कलाकारों का दिल जीता है और शाहरुख खान की प्रतिक्रिया ने इसे और खास बना दिया है।

शाहरुख खान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर फिल्म की तारीफ करते हुए लिखा कि ‘होमबाउंड’ सिर्फ एक फिल्म नहीं,बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो इंसानियत,संवेदनाओं और उम्मीद की जीत को बखूबी दर्शाता है। उन्होंने फिल्म को “नरम,ईमानदार और दिल को छू लेने वाली कहानी” करार दिया। अपनी पोस्ट में शाहरुख ने फिल्म की पूरी स्टार कास्ट,निर्देशक नीरज घेवान और निर्माण टीम को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इस टीम ने सचमुच कुछ खास रचा है,जो दुनिया भर के लोगों के दिलों में जगह बनाएगा।

शाहरुख की इस प्रेमपूर्ण टिप्पणी का फिल्म जगत में तुरंत असर दिखाई दिया। फिल्म के सह-निर्माता करण जौहर ने इंस्टाग्राम पर शाहरुख खान को धन्यवाद देते हुए लिखा कि उन्हें बेहद खुशी है कि शाहरुख ने फिल्म देखी और तुरंत दिल से अपना प्यार दिया। करण ने यह भी कहा कि ‘होमबाउंड’ जैसी फिल्मों को बड़े सितारों का समर्थन मिलना बेहद मायने रखता है,क्योंकि इससे न केवल फिल्म को बढ़ावा मिलता है,बल्कि सार्थक सिनेमा को भी नई ऊर्जा मिलती है।

‘होमबाउंड’ एक ऐसी फिल्म है,जो सामाजिक संवेदनाओं को बेहद सादगी और गहराई के साथ पेश करती है। हालाँकि,यह बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ा प्रभाव नहीं छोड़ सकी,लेकिन आम जनता से लेकर फिल्म समीक्षकों और सितारों तक ने इसकी कहानी,संदेश और निर्देशन की खूब सराहना की है। इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी सादगी और मनुष्य की मूल भावनाओं को उजागर करने की क्षमता है।

फिल्म की कहानी जान्हवी कपूर,ईशान खट्टर और विशाल जेठवा के इर्द-गिर्द घूमती है। महामारी के कठिन दौर में सेट यह फिल्म दो दोस्तों की संघर्षपूर्ण यात्रा को दिखाती है,जो हर हाल में अपने घर वापस लौटने की कोशिश करते हैं। इस दौरान वे न केवल रास्ते की चुनौतियों का सामना करते हैं,बल्कि समाज में मौजूद जाति,धर्म और वर्ग आधारित भेदभाव की कठोर वास्तविकताओं से भी टकराते हैं। निर्देशक नीरज घेवान ने इन संवेदनशील मुद्दों को बड़ी ही नजाकत और मानवीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है,जो फिल्म को और अधिक प्रभावशाली बनाता है।

फिल्म में दिखाया गया है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों,इंसान के अंदर मौजूद करुणा और संवेदनशीलता कभी खत्म नहीं होती। लॉकडाउन,भूख,दूरी और डर जैसे तत्वों के बीच भी ‘होमबाउंड’ यह संदेश देती है कि इंसानियत ही अंततः सबसे बड़ी ताकत है। यही कारण है कि यह फिल्म ऑस्कर की आधिकारिक एंट्री बनकर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है,जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

जान्हवी कपूर,ईशान खट्टर और विशाल जेठवा के अभिनय की भी खूब प्रशंसा हो रही है। तीनों कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों में पूरी ताकत,ईमानदारी और असर के साथ जान डाली है। खासकर उन दृश्यों में,जहाँ तीनों पात्र सामाजिक पूर्वाग्रहों और सीमा से परे जीवन-मरण जैसी परिस्थितियों से गुजरते हैं—वह फिल्म की आत्मा बन जाते हैं।

नीरज घेवान,जो इससे पहले ‘मसान’ जैसी यादगार फिल्में दे चुके हैं,एक बार फिर अपनी संवेदनशील कहानी कहने की कला के कारण सुर्खियों में हैं। ‘होमबाउंड’ में उनकी निर्देशन शैली सीधी,सरल और गहरी है,जो दर्शकों को सीधे भावनाओं से जोड़ती है।

शाहरुख खान के समर्थन से फिल्म को मिलने वाला अतिरिक्त प्रोत्साहन निश्चित रूप से इसके वैश्विक सफर को मजबूती देगा। बॉलीवुड के बादशाह द्वारा इस फिल्म की तारीफ न केवल ‘होमबाउंड’ की टीम के लिए सम्मान है,बल्कि यह सार्थक और सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्मों को प्रोत्साहन देने वाला एक सशक्त संदेश भी है। ‘होमबाउंड’ अब ऑस्कर की दौड़ में भारतीय सिनेमा का प्रतिनिधित्व कर रही है और इस प्रशंसा ने निश्चित रूप से इसके हौसले को नई उड़ान दे दी है।