तमिलनाडु की राजनीति और सिनेमा जगत से जुड़े चर्चित नेता एवं अभिनेता विजय (तस्वीर क्रेडिट@Yadavshiva_171)

करूर भगदड़ मामले में सीबीआई की जाँच तेज,टीवीके प्रमुख विजय से पूछताछ की तैयारी

चेन्नई,13 दिसंबर (युआईटीवी)- तमिलनाडु के करूर जिले में 27 सितंबर को हुई भीषण भगदड़ के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच अब निर्णायक मोड़ पर पहुँचती दिख रही है। इस हादसे में 41 लोगों की मौत हो गई थी,जबकि कम-से-कम 110 लोग घायल हुए थे। यह घटना करूर के वेलुचामिपुरम इलाके में तमिलगा वेट्री कजगम (टीवीके) प्रमुख विजय के नेतृत्व में आयोजित एक रैली के दौरान हुई थी। अब सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आ रही है कि सीबीआई इस मामले में पार्टी प्रमुख विजय से भी पूछताछ कर सकती है।

हादसे के बाद से ही इस रैली के आयोजन,भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा इंतजामों को लेकर गंभीर सवाल उठते रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी के बीच अचानक भगदड़ मचने से यह त्रासदी हुई,जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। पीड़ित परिवारों और विपक्षी दलों की ओर से घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच की माँग तेज हो गई थी। इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और 13 अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए जाँच सीबीआई को सौंप दी।

सुप्रीम कोर्ट ने न केवल जाँच सीबीआई को सौंपी,बल्कि इसकी निगरानी के लिए एक विशेष मॉनिटरिंग कमेटी का गठन भी किया। इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अजय रस्तोगी कर रहे हैं। अदालत का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जाँच पारदर्शी,निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से हो तथा किसी भी स्तर पर लापरवाही या दबाव की गुंजाइश न रहे। इसके बाद से सीबीआई ने मामले की गहन जाँच शुरू कर दी है।

जाँच के शुरुआती चरण में सीबीआई ने तमिलगा वेट्री कजगम के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया। एजेंसी के सामने पेश होने वालों में पार्टी के प्रदेश महासचिव बुस्सी आनंद,संयुक्त सचिव निर्मल कुमार और अधव अर्जुन तथा करूर पश्चिम जिला सचिव मथियाझगन शामिल हैं। इन नेताओं से रैली के आयोजन,प्रचार अभियान,भीड़ जुटाने की प्रक्रिया और प्रशासन से ली गई अनुमतियों को लेकर विस्तार से सवाल किए गए। सूत्रों के अनुसार,पार्टी पदाधिकारियों ने अपने-अपने स्तर पर आयोजन से जुड़ी जिम्मेदारियों को लेकर सीबीआई के सामने अपनी सफाई पेश की।

सीबीआई सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं से शुरुआती पूछताछ पूरी होने के बाद अब जाँच का फोकस सीधे पार्टी प्रमुख विजय की भूमिका पर शिफ्ट हो गया है। जाँच एजेंसी यह समझने की कोशिश कर रही है कि रैली के आयोजन में निर्णय किस स्तर पर लिए गए थे और भीड़ प्रबंधन व सुरक्षा इंतजामों को लेकर अंतिम जिम्मेदारी किसकी थी। इसी कड़ी में यह भी जाँचा जा रहा है कि क्या प्रशासन से अनुमति लेते समय निर्धारित सुरक्षा मानदंडों का पूरी तरह पालन किया गया था या नहीं।

बताया जा रहा है कि सीबीआई अधिकारी विजय से पूछताछ करने के लिए औपचारिक प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। हालाँकि,किसी भी कदम से पहले एजेंसी लॉजिस्टिक्स और सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर गंभीरता से मंथन कर रही है। विजय एक लोकप्रिय राजनीतिक चेहरा हैं और उनसे पूछताछ के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती हो सकती है। इसलिए सीबीआई किसी भी जल्दबाजी से बचते हुए सभी तैयारियों को पुख्ता करना चाहती है।

जाँच एजेंसी का मुख्य फोकस इस बात पर है कि क्या रैली के दौरान संभावित भीड़ का सही आकलन किया गया था,क्या पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किए गए थे और क्या आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई ठोस योजना मौजूद थी। इसके अलावा यह भी देखा जा रहा है कि आयोजन स्थल की क्षमता के अनुरूप ही लोगों को आने की अनुमति दी गई थी या नहीं। भगदड़ जैसी घटनाएँ अक्सर प्रशासनिक और संगठनात्मक चूक का नतीजा होती हैं और सीबीआई इन्हीं पहलुओं की बारीकी से पड़ताल कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी की देखरेख में यह जाँच लगातार आगे बढ़ रही है। कमेटी समय-समय पर जाँच की प्रगति की समीक्षा कर रही है,ताकि किसी भी तरह की लापरवाही या देरी न हो। यह मामला हाल के समय में चुनाव और राजनीतिक अभियानों से जुड़ी सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक माना जा रहा है,इसलिए इसकी संवेदनशीलता और गंभीरता भी काफी अधिक है।

करूर भगदड़ ने एक बार फिर बड़े राजनीतिक आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की खामियों को उजागर किया है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सीबीआई की जाँच किस निष्कर्ष पर पहुँचती है और क्या जिम्मेदारी तय करते हुए किसी बड़े राजनीतिक चेहरे पर सीधे कार्रवाई होती है या नहीं। पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद है,जबकि राज्य और देश की राजनीति में इस मामले के असर को लेकर चर्चाएँ तेज होती जा रही हैं।