सिडनी,15 दिसंबर (युआईटीवी)- ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में स्थित बॉन्डी बीच पर हनुक्का उत्सव के दौरान हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को गहरे सदमे में डाल दिया है। इस भयावह गोलीकांड में मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है,जिनमें एक 12 साल का मासूम बच्चा भी शामिल है। हमले में कुल 38 लोग घायल हुए हैं,जिनमें कई बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। यह हमला न केवल ऑस्ट्रेलिया,बल्कि वैश्विक स्तर पर धार्मिक असहिष्णुता और आतंकवाद की बढ़ती चुनौती को एक बार फिर सामने लाता है।
रविवार शाम बॉन्डी बीच पर यहूदी समुदाय के लोग हनुक्का पर्व के पहले दिन के आयोजन के लिए एकत्र हुए थे। समुद्र तट पर उत्सव का माहौल था,परिवार अपने बच्चों के साथ धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे और लोग चानुका की पहली मोमबत्ती जलाने की तैयारियों में जुटे थे। इसी दौरान हथियारबंद हमलावरों ने अचानक भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार,कुछ ही पलों में खुशियों का माहौल चीख-पुकार और अफरातफरी में बदल गया।
ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने बताया कि यह हमला पूरी तरह से सुनियोजित था और इसका उद्देश्य खास तौर पर यहूदी समुदाय को निशाना बनाना था। न्यू साउथ वेल्स के स्वास्थ्य मंत्री रयान पार्क ने पुष्टि की कि रात भर में मृतकों की संख्या 12 से बढ़कर 16 हो गई। उन्होंने बताया कि घायलों में कई बच्चों को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तीन अन्य बच्चों का इलाज अभी भी जारी है और डॉक्टरों की टीमें उनकी जान बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं।
इस हमले की सबसे दर्दनाक और झकझोर देने वाली बात 12 साल के बच्चे की मौत है। अधिकारियों के अनुसार,बच्चे का परिवार उसके साथ उत्सव में शामिल होने आया था,लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि यह धार्मिक आयोजन इतना भयावह अंत देखेगा। स्वास्थ्य मंत्री रयान पार्क ने कहा कि बच्चों के घायल होने और एक बच्चे की मौत ने इस हमले को और भी अधिक अमानवीय बना दिया है। उन्होंने इसे “निर्दोष लोगों के खिलाफ की गई क्रूर हिंसा” करार दिया।
गोलीबारी शुरू होते ही बॉन्डी बीच पर भगदड़ मच गई। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे,कई लोग अपने परिवार के सदस्यों से बिछुड़ गए। चश्मदीदों ने बताया कि गोलियों की आवाज से पूरा इलाका दहल उठा और कुछ ही मिनटों में समुद्र तट खून और चीखों से भर गया। कई लोग जमीन पर गिर पड़े,जबकि अन्य ने पास के कैफे,दुकानों और इमारतों में शरण लेने की कोशिश की।
आपातकालीन सेवाओं ने तुरंत मौके पर पहुँचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया। एंबुलेंस,फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीमें बड़ी संख्या में घटनास्थल पर तैनात कर दी गईं। घायलों को जल्द-से-जल्द नजदीकी अस्पतालों में पहुँचाया गया। बॉन्डी बीच और उसके आसपास के इलाकों को पूरी तरह सील कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियाँ इलाके की गहन तलाशी ले रही हैं,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई और खतरा मौजूद न हो।
ऑस्ट्रेलियाई पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने इस घटना को आतंकी हमला मानते हुए जाँच शुरू कर दी है। शुरुआती जाँच में संकेत मिले हैं कि हमलावरों ने जानबूझकर हनुक्का जैसे धार्मिक आयोजन को चुना,ताकि यहूदी समुदाय में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा किया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि यह हमला नफरत से प्रेरित था और इसे धार्मिक असहिष्णुता के एक खतरनाक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
इस हमले के बाद ऑस्ट्रेलिया में शोक और गुस्से का माहौल है। देशभर में लोग पीड़ितों के प्रति संवेदना जता रहे हैं और मोमबत्तियाँ जलाकर मृतकों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिलाया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें कानून के कठघरे में लाया जाएगा।
यह घटना ऐसे समय पर हुई है,जब दुनियाभर में यहूदी समुदाय के खिलाफ हमलों और यहूदी-विरोधी घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है। बॉन्डी बीच पर हुआ यह हमला न केवल ऑस्ट्रेलिया,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है। विशेषज्ञों का मानना है कि धार्मिक नफरत से प्रेरित हिंसा वैश्विक शांति और सामाजिक सौहार्द के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है।
बॉन्डी बीच गोलीकांड को ऑस्ट्रेलिया के इतिहास के सबसे खौफनाक हमलों में से एक माना जा रहा है। जिस जगह को सिडनी की पहचान और शांति का प्रतीक माना जाता था,वहाँ इस तरह की हिंसा ने लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। स्थानीय लोग अब भी इस भयावह घटना को भूल नहीं पा रहे हैं। कई परिवार अपने प्रियजनों को खोने के दर्द से गुजर रहे हैं,जबकि घायल लोग जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं।
इस त्रासदी ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि समाज में बढ़ती नफरत और कट्टरता को रोकने के लिए और क्या कदम उठाने की जरूरत है। बॉन्डी बीच पर बहा खून केवल एक समुदाय की पीड़ा नहीं है,बल्कि यह पूरी मानवता के लिए चेतावनी है कि आतंक और नफरत के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है।
