नई दिल्ली,15 दिसंबर (युआईटीवी)- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। करीब आठ महीने तक चली गहन और वैज्ञानिक जांच के बाद एनआईए ने जम्मू की एक विशेष अदालत में 1,597 पेज की चार्जशीट फाइल की, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उससे जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट की साजिश को विस्तार से उजागर किया गया है। यह चार्जशीट गृह मंत्रालय के निर्देश पर मामले की जांच अपने हाथ में लेने के बाद दाखिल की गई है।
एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक,पहलगाम आतंकी हमला पूरी तरह से पाकिस्तान प्रायोजित साजिश का नतीजा था। जाँच एजेंसी ने इसमें लश्कर-ए-तैयबा और उससे जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट को एक कानूनी इकाई के रूप में आरोपी बनाया है और उन पर हमले की योजना बनाने,उसे अंजाम देने और स्थानीय स्तर पर मदद मुहैया कराने का गंभीर आरोप लगाया है। चार्जशीट में कहा गया है कि आतंकियों ने इस हमले में धर्म के आधार पर लोगों को निशाना बनाया,जो इसे और भी जघन्य बनाता है।
गौरतलब है कि इस आतंकी हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय नागरिक की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। यह हमला न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश के लिए गहरा आघात था। एनआईए ने अपनी जाँच में पाया कि इस हमले के पीछे सीमा पार बैठे आतंकी हैंडलरों की सीधी भूमिका थी। चार्जशीट में पाकिस्तानी आतंकी साजिद जट्ट का नाम प्रमुख आरोपी के रूप में शामिल किया गया है,जो पाकिस्तान से बैठकर इस पूरे ऑपरेशन को निर्देशित कर रहा था।
एनआईए की चार्जशीट में उन तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों का भी जिक्र है,जिन्हें हमले के कुछ हफ्तों बाद जुलाई महीने में श्रीनगर के दाचीगाम इलाके में ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत भारतीय सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। इन आतंकियों की पहचान फैसल जट्ट उर्फ सुलेमान शाह,हबीब ताहिर उर्फ जिबरान और हमजा अफगानी के रूप में हुई थी। जाँच एजेंसी के अनुसार,ये तीनों आतंकी सीधे तौर पर पहलगाम हमले में शामिल थे और घटना के बाद लगातार घाटी में छिपकर सक्रिय थे।
चार्जशीट में कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा और उससे जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट से जुड़े इन आतंकियों ने स्थानीय नेटवर्क की मदद से हमले को अंजाम दिया। एनआईए ने चार आतंकियों के साथ-साथ उनके सहयोगियों पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023, आर्म्स एक्ट, 1959 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए,1967 की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं। इसके अलावा, आरोपियों पर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने से जुड़ी गंभीर दंडात्मक धाराएँ भी लगाई गई हैं।
एनआईए के एक प्रवक्ता ने बताया कि एजेंसी ने करीब आठ महीने तक बेहद बारीकी और वैज्ञानिक तरीके से जाँच की। उन्होंने कहा कि जाँच के दौरान यह साफ तौर पर सामने आया कि यह हमला पाकिस्तान से रची गई साजिश का हिस्सा था और इसका मकसद भारत में आतंक और सांप्रदायिक भय का माहौल पैदा करना था। प्रवक्ता के अनुसार, आरसी-02/2025/एनआईए/जेएमयू केस में जुटाए गए सबूत यह साबित करते हैं कि पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है।
इस मामले में एनआईए ने दो स्थानीय आरोपियों परवेज अहमद और बशीर अहमद जोथद को पहले ही 22 जून को गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर आतंकियों को पनाह देने,लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराने और उनकी आवाजाही में मदद करने का आरोप है। एजेंसी का कहना है कि इन दोनों ने जानबूझकर आतंकियों को सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध कराए,जिससे वे हमले के बाद भी लंबे समय तक बचते रहे। अब इन दोनों के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।
एनआईए की इस चार्जशीट को आतंकवाद के खिलाफ भारत की कानूनी और रणनीतिक लड़ाई में एक अहम कदम माना जा रहा है। जाँच एजेंसी ने न केवल हमले में शामिल आतंकियों की पहचान की है,बल्कि उनके पीछे की पूरी साजिश, फंडिंग,हैंडलिंग और स्थानीय सहयोग नेटवर्क को भी बेनकाब किया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह चार्जशीट अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को और मजबूत करेगी।
पहलगाम आतंकी हमले की चार्जशीट दाखिल होने के बाद पीड़ित परिवारों को भी न्याय की उम्मीद बँधी है। हालाँकि,कानूनी प्रक्रिया लंबी हो सकती है,लेकिन एनआईए की इस कार्रवाई से यह साफ संकेत गया है कि आतंकवाद और उसके समर्थकों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। आने वाले दिनों में इस मामले की सुनवाई के दौरान और भी बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
