नई दिल्ली,16 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत में मंगलवार को पूरे सम्मान और गौरव के साथ विजय दिवस मनाया गया। यह दिन भारतीय इतिहास के उन स्वर्णिम क्षणों में से एक है,जब 16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को निर्णायक रूप से पराजित कर बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई थी। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित देश के शीर्ष नेतृत्व और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने युद्ध में बलिदान देने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके अदम्य साहस को नमन किया।
विजय दिवस केवल एक सैन्य जीत की याद नहीं है,बल्कि यह भारत की रणनीतिक सूझबूझ,मानवीय मूल्यों और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। 1971 का युद्ध उस समय लड़ा गया,जब पूर्वी पाकिस्तान में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो रहा था और लाखों शरणार्थी भारत की सीमाओं में शरण लेने को मजबूर थे। ऐसे हालात में भारत ने न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा की,बल्कि मानवीय आधार पर हस्तक्षेप करते हुए इतिहास की दिशा बदल दी।
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर मैं मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। यह दिवस हमारे जवानों की असाधारण वीरता, साहस एवं दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। देश के प्रति उनका समर्पण और सर्वोच्च बलिदान देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा।
जय…— President of India (@rashtrapatibhvn) July 26, 2025
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विजय दिवस के मौके पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने संदेश में भारतीय सेना के शौर्य और राष्ट्रभक्ति को नमन किया। उन्होंने लिखा कि भारत माता के वीर सपूतों के साहस,पराक्रम और मातृभूमि के प्रति अनन्य निष्ठा ने राष्ट्र को सदा गौरवान्वित किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि सैनिकों की वीरता और राष्ट्रप्रेम आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने भारतीय सेना की ‘स्वदेशीकरण से सशक्तीकरण’ की पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
अपने संदेश में राष्ट्रपति मुर्मु ने ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें सेना ने आत्मनिर्भरता,सामरिक दृढ़ता और आधुनिक युद्ध शैली के प्रभावी उपयोग का परिचय दिया है। उन्होंने इसे पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत बताते हुए सभी सैनिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएँ दीं और “जय हिन्द” के उद्घोष के साथ अपने संदेश को समाप्त किया।
देशवासियों को कारगिल विजय दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। यह अवसर हमें मां भारती के उन वीर सपूतों के अप्रतिम साहस और शौर्य का स्मरण कराता है, जिन्होंने देश के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। मातृभूमि के लिए मर-मिटने का उनका जज्बा हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। जय…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 26, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विजय दिवस पर देशवासियों को संबोधित करते हुए 1971 के युद्ध में बलिदान देने वाले सैनिकों को याद किया। उन्होंने कहा कि इस दिन हम उन बहादुर जवानों को स्मरण करते हैं,जिनके साहस और त्याग ने भारत को ऐतिहासिक विजय दिलाई। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि उन सैनिकों के अडिग संकल्प और निस्वार्थ सेवा ने न केवल देश की रक्षा की,बल्कि भारत के इतिहास में गौरव का एक अमिट अध्याय जोड़ दिया। उन्होंने इस दिन को भारतीय सेना की बेमिसाल भावना और शौर्य का प्रतीक बताया और कहा कि उनकी वीरता भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
On Kargil Vijay Diwas, I pay heartfelt tributes to our bravehearts who displayed extraordinary courage, grit and determination in defending our nation’s honour in the toughest of terrains. Their supreme sacrifice during Kargil war is a timeless reminder of the unwavering resolve…
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 26, 2025
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 1971 में आज ही के दिन भारतीय सुरक्षाबलों ने अदम्य साहस और सटीक रणनीति के बल पर पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया था। अमित शाह ने इस जीत को अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़े होने का वैश्विक उदाहरण बताया। उनके अनुसार,यह विजय केवल सैन्य सफलता नहीं थी,बल्कि मानवता की रक्षा का एक आदर्श भी थी,जिसने दुनिया के सामने भारतीय सेनाओं की अद्वितीय क्षमता और पराक्रम को स्थापित किया।
‘कारगिल विजय दिवस’ देश के वीर जवानों के गौरव और विजयगाथा का अविस्मरणीय दिन है। वर्ष 1999 में हमारे जवानों ने ‘ऑपरेशन विजय’ से दुश्मनों को घुटनों पर ला कर, अदम्य साहस व पराक्रम की अमिट मिसाल पेश की। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर उन सभी शूरवीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ,… pic.twitter.com/25DZKUemd0
— Amit Shah (@AmitShah) July 26, 2025
1971 का भारत-पाक युद्ध भारतीय सेना के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ माना जाता है। इस युद्ध के दौरान भारतीय थलसेना,नौसेना और वायुसेना ने अभूतपूर्व समन्वय के साथ अभियान चलाया। महज 13 दिनों के भीतर पाकिस्तान की पूर्वी सेना को घुटने टेकने पड़े और ढाका में 90 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण माना जाता है।
विजय दिवस के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सैन्य स्मारकों पर श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित की गईं,स्कूलों और कॉलेजों में 1971 के युद्ध से जुड़े इतिहास पर चर्चा हुई और शहीदों की कहानियों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के प्रयास किए गए। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने वीर सैनिकों को याद करते हुए उनके बलिदान को नमन किया।
आज जब भारत एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है,तब विजय दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि देश की संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए कितने अनमोल प्राणों का बलिदान दिया गया। साथ ही,यह संदेश भी देता है कि एकजुटता,साहस और नैतिक दृढ़ता के साथ भारत किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है।
विजय दिवस पर देश ने एक बार फिर अपने वीर शहीदों को नमन किया और उनके आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। 1971 की जीत केवल इतिहास नहीं,बल्कि भारत की आत्मा में बसने वाली वह प्रेरणा है,जो हर भारतीय को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाती रहेगी।
