अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका में यात्रा नियम और सख्त: ट्रंप ने 20 और देशों व फिलिस्तीनी अथॉरिटी पर लगाए प्रतिबंध,सुरक्षा को बताया वजह

वाशिंगटन,17 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी करते हुए यात्रा प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया है। इस आदेश के तहत 20 और देशों को प्रतिबंध सूची में शामिल किया गया है,जबकि फिलिस्तीनी अथॉरिटी द्वारा जारी यात्रा दस्तावेजों पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। इस फैसले के बाद अमेरिका आने या यहाँ स्थायी रूप से बसने की कोशिश करने वाले लोगों के लिए नियम पहले से कहीं ज्यादा सख्त हो गए हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और आव्रजन व्यवस्था में खामियों को दूर करने के लिए जरूरी था।

नए आदेश के बाद अब कुल पाँच देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित हो गया है,जबकि 15 देशों के लोगों पर आंशिक पाबंदी लागू की गई है। इसके साथ ही फिलिस्तीनी अथॉरिटी के दस्तावेजों के आधार पर यात्रा करने वालों को भी अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिशों और हाल की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

सरकार ने इस आदेश के पीछे सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया है। अधिकारियों ने हाल ही में व्हाइट हाउस के पास दो नेशनल गार्ड जवानों पर गोलीबारी की घटना का जिक्र किया,जिसमें एक अफगान नागरिक आरोपी पाया गया। प्रशासन का कहना है कि इस तरह की घटनाएँ यह दिखाती हैं कि अमेरिका को अपनी सीमाओं और आव्रजन प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन देशों में दस्तावेजों की विश्वसनीयता और अपराध रिकॉर्ड की उपलब्धता को लेकर गंभीर सवाल हैं,जिससे यात्रियों की सही तरीके से जाँच करना मुश्किल हो जाता है।

हालाँकि,प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि इन प्रतिबंधों में कुछ श्रेणियों को छूट दी गई है। जिन लोगों के पास पहले से वैध अमेरिकी वीजा है,उन पर यह नया आदेश लागू नहीं होगा। इसके अलावा स्थायी निवास परमिट यानी ग्रीन कार्ड धारक, राजनयिक,अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी और कुछ अन्य विशेष वीजा श्रेणियों के लोग भी इन प्रतिबंधों से बाहर रखे गए हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि अगर किसी व्यक्ति का अमेरिका में प्रवेश राष्ट्रीय हित में माना जाता है,तो उसे विशेष अनुमति दी जा सकती है। हालाँकि,यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि नए नियम कब से प्रभावी होंगे।

यह पहली बार नहीं है,जब ट्रंप प्रशासन ने यात्रा प्रतिबंधों का सहारा लिया है। जून में भी इसी तरह का एक आदेश जारी किया गया था,जिसमें 12 देशों के नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश से पूरी तरह रोक दिया गया था और सात देशों पर आंशिक पाबंदी लगाई गई थी। उस समय अफगानिस्तान,म्यांमार,चाड,कांगो गणराज्य,इक्वेटोरियल गिनी,इरिट्रिया,हैती,ईरान,लीबिया,सोमालिया,सूडान और यमन को पूर्ण प्रतिबंध सूची में शामिल किया गया था। वहीं बुरुंडी,क्यूबा,लाओस,सिएरा लियोन,टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला पर आंशिक रोक लगाई गई थी।

मंगलवार को जारी नए आदेश में बुर्किना फासो,माली,नाइजर,दक्षिण सूडान और सीरिया को पूर्ण प्रतिबंध वाली सूची में जोड़ दिया गया है। इसके साथ ही फिलिस्तीनी अथॉरिटी के यात्रा दस्तावेजों पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। दक्षिण सूडान पहले से ही कड़े प्रतिबंधों के दायरे में था,लेकिन अब इसे औपचारिक रूप से पूर्ण प्रतिबंध सूची में शामिल कर दिया गया है। इसके अलावा आंशिक प्रतिबंध की सूची में 15 नए देशों को जोड़ा गया है,जिनमें अंगोला,एंटीगुआ और बारबुडा,बेनिन,आइवरी कोस्ट,डोमिनिका,गैबॉन,गाम्बिया, लावी,मॉरिटानिया, नाइजीरिया,सेनेगल,तंज़ानिया,टोंगा,ज़ाम्बिया और जिम्बाब्वे शामिल हैं।

इन प्रतिबंधों का असर न केवल पर्यटक वीजा पर पड़ेगा,बल्कि उन लोगों पर भी लागू होगा जो अमेरिका में स्थायी रूप से बसने की कोशिश कर रहे हैं। आदेश में ट्रंप ने कहा है कि इन देशों में व्यापक भ्रष्टाचार,कमजोर शासन व्यवस्था और अविश्वसनीय सरकारी दस्तावेजों की समस्या है। इसके चलते अमेरिका के लिए यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है कि आने वाले लोग सुरक्षा मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं। सरकार का यह भी कहना है कि कई देशों के नागरिक वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में रुक जाते हैं और कुछ देश अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार कर देते हैं,जिससे अमेरिका पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

व्हाइट हाउस के मुताबिक,कुछ देशों में राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर प्रशासनिक ढाँचे के कारण सुरक्षा,विदेश नीति और आव्रजन से जुड़े जोखिम बढ़ जाते हैं। इसी आधार पर लाओस और सिएरा लियोन को आंशिक प्रतिबंध की सूची से हटाकर पूर्ण प्रतिबंध वाले देशों में डाल दिया गया है। वहीं तुर्कमेनिस्तान पर लगाए गए प्रतिबंधों में कुछ ढील दी गई है,क्योंकि वहाँ सुधारों के संकेत मिलने का दावा किया गया है। जून में घोषित किए गए बाकी सभी प्रावधान अब भी लागू रहेंगे।

ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी यात्रा प्रतिबंध एक बड़ा और विवादास्पद मुद्दा रहे थे। उस समय कई देशों के नागरिकों पर लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए थे और कई कानूनी चुनौतियाँ भी सामने आई थीं। हालाँकि,बाद में अमेरिकी अदालतों ने संशोधित नियमों को सही ठहराया था। ट्रंप समर्थकों का कहना है कि इस तरह के कदमों से देश की सुरक्षा मजबूत होती है और अवैध आव्रजन पर रोक लगती है। वहीं आलोचकों का मानना है कि ये नीतियाँ लोगों को उनके देश या पहचान के आधार पर अनुचित रूप से निशाना बनाती हैं और अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान पहुँचाती हैं।

नए आदेश के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएँ आने की संभावना है। कई देशों के लिए यह फैसला आर्थिक,सामाजिक और कूटनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। वहीं अमेरिका के भीतर भी इस पर बहस तेज होने की उम्मीद है कि सुरक्षा और मानवीय मूल्यों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि वह देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा,जबकि आलोचक इसे सख्त और विभाजनकारी नीति करार दे रहे हैं।