अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@Arya909050)

एनडीएए 2026 पर ट्रंप के हस्ताक्षर,भारत-अमेरिका सैन्य साझेदारी को मिली नई मजबूती

वॉशिंगटन,19 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वित्त वर्ष 2026 के लिए नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह कानून अमेरिका की रक्षा नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है। इस बार का एनडीएए खास तौर पर इसलिए चर्चा में है क्योंकि इसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के साथ अमेरिकी सैन्य सहयोग को बढ़ाने और क्वाड के जरिए रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने पर विशेष जोर दिया गया है। इसके साथ ही यह कानून न केवल अमेरिका की रक्षा तैयारियों को मजबूत करता है,बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों को भी औपचारिक रूप से अमेरिकी रक्षा ढाँचे का हिस्सा बनाता है।

वित्त वर्ष 2026 के लिए यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े खर्चों के लिए करीब 890 बिलियन डॉलर की मंजूरी देता है। यह राशि अमेरिकी सैन्य क्षमता,हथियार प्रणालियों के आधुनिकीकरण,सैनिकों की सुविधाओं और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तय की गई है। एनडीएए के तहत अमेरिका को भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है,जिसमें क्वाड सुरक्षा संवाद के माध्यम से एक स्वतंत्र,खुला और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को बढ़ावा देना शामिल है। अमेरिका लंबे समय से इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति पर काम कर रहा है और भारत को इसमें एक प्रमुख साझेदार के रूप में देखा जा रहा है।

कानून पर हस्ताक्षर करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह एनडीएए उनके युद्ध विभाग को “ताकत के जरिए शांति” की नीति को लागू करने में मदद करेगा। उन्होंने दावा किया कि यह कानून अमेरिका को बाहरी और अंदरूनी खतरों से सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगा। ट्रंप के अनुसार,इस कानून से न केवल अमेरिकी सेना को मजबूत किया जाएगा,बल्कि रक्षा से जुड़े उद्योगों को भी नई ऊर्जा मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार द्वारा पहले लिए गए कई बड़े रक्षा और सुरक्षा फैसलों को अब स्थायी कानूनी आधार मिल जाएगा,जिससे आने वाले वर्षों में नीति में निरंतरता बनी रहेगी।

एनडीएए 2026 में भारत के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य सहयोग को बढ़ाने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यासों में भागीदारी बढ़ाने,रक्षा व्यापार को और मजबूत करने और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत के क्षेत्र में ज्यादा करीबी सहयोग की बात कही गई है। समुद्री सुरक्षा को विशेष रूप से अमेरिका-भारत सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र माना गया है। हिंद महासागर और आसपास के समुद्री मार्गों की सुरक्षा,व्यापारिक जहाजों की आवाजाही और समुद्री डोमेन जागरूकता जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच तालमेल बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

इस कानून के तहत स्टेट डिपार्टमेंट को 180 दिनों के भीतर कांग्रेस को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी होगी और उसके बाद लगातार पाँच साल तक हर साल रिपोर्ट देनी होगी। इन रिपोर्टों में दो अहम पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पहला,भारत और रूस के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग और दोनों देशों के रक्षा संबंधों की स्थिति। दूसरा,रूस की सेना की गतिविधियों का हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया के अन्य हिस्सों पर पड़ने वाला प्रभाव। यह प्रावधान दिखाता है कि अमेरिका भारत के साथ साझेदारी को बढ़ाते हुए भी उसके पारंपरिक रक्षा संबंधों पर नजर बनाए रखना चाहता है।

एनडीएए 2026 का एक और महत्वपूर्ण पहलू स्टेट डिपार्टमेंट के भीतर हिंद महासागर क्षेत्र के लिए एक एम्बेसडर-एट-लार्ज के पद की स्थापना है। इस नए पद का उद्देश्य हिंद महासागरीय देशों में अमेरिका के कूटनीतिक प्रयासों का समन्वय करना होगा। इसके साथ ही इस पद के जरिए क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने पर विशेष फोकस किया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार,यह कदम हिंद महासागर को अमेरिकी विदेश और सुरक्षा नीति के केंद्र में लाने की दिशा में एक बड़ा संकेत है,जहाँ भारत की भूमिका स्वाभाविक रूप से बेहद अहम मानी जाती है।

कानून में ताइवान की सुरक्षा सहयोग के लिए 1 अरब डॉलर की मंजूरी भी दी गई है। यह प्रावधान अमेरिका की उस नीति को दर्शाता है,जिसके तहत वह ताइवान की आत्मरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने का समर्थन करता है। इसके अलावा,चीनी सैन्य कंपनियों को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए तीसरे देशों का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए भी सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं। इससे साफ है कि यह एनडीएए चीन के खिलाफ अमेरिकी रणनीतिक रुख को और सख्त बनाता है।

रणनीतिक और भू-राजनीतिक प्रावधानों के साथ-साथ यह कानून अमेरिकी सैन्य कर्मियों के कल्याण पर भी ध्यान देता है। एनडीएए 2026 के तहत यूएस सर्विस मेंबर्स के लिए 3.8 प्रतिशत वेतन वृद्धि को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा आवास,स्वास्थ्य देखभाल और बच्चों की देखभाल से जुड़ी सुविधाओं के लिए अतिरिक्त फंडिंग का प्रावधान किया गया है। रक्षा विभाग के सिविलियन कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके कामकाजी हालात बेहतर बनाने के लिए भी इसमें विशेष प्रावधान शामिल हैं।

नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट पिछले 60 से अधिक वर्षों से हर साल पारित होता आ रहा है और यह अमेरिका की रक्षा नीति की दिशा और प्राथमिकताओं को तय करता है। इस बार का एनडीएए इसलिए अलग माना जा रहा है क्योंकि इसमें भारत के साथ बढ़ते सैन्य,परमाणु और क्षेत्रीय सहयोग को औपचारिक रूप से अमेरिकी रक्षा कानून का हिस्सा बना दिया गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी अब केवल कूटनीतिक या नीतिगत स्तर तक सीमित नहीं रही,बल्कि उसे अमेरिकी कानून के जरिए दीर्घकालिक आधार प्रदान किया गया है।

एनडीएए 2026 पर ट्रंप के हस्ताक्षर भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखे जा रहे हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बदलते शक्ति संतुलन,चीन की बढ़ती सक्रियता और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के बीच यह कानून दोनों देशों के बीच सहयोग को नई ऊँचाई देने की क्षमता रखता है। आने वाले वर्षों में यह देखना अहम होगा कि इस कानूनी ढाँचे के तहत भारत और अमेरिका अपनी रणनीतिक साझेदारी को किस तरह जमीन पर उतारते हैं और क्षेत्रीय स्थिरता में क्या भूमिका निभाते हैं।