नई दिल्ली,22 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत और न्यूजीलैंड के द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक मोड़ उस समय आया,जब दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर औपचारिक रूप से मुहर लगा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लस्कन के बीच टेलीफोन पर हुई अहम बातचीत के बाद इस समझौते की घोषणा की गई। इसे दोनों देशों के बीच व्यापार,निवेश और रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाला कदम माना जा रहा है। इस समझौते के तहत शुरुआती तौर पर 20 मिलियन डॉलर के निवेश की बात कही गई है,जबकि आने वाले वर्षों में निवेश और व्यापार के आँकड़ें कहीं ज्यादा बड़े होने की उम्मीद जताई जा रही है।
यह एफटीए ओमान,ब्रिटेन,ईएफटीए देशों,यूएई,ऑस्ट्रेलिया और मॉरीशस के साथ हुए समझौतों के बाद भारत का पिछले कुछ वर्षों में सातवां मुक्त व्यापार समझौता है। इससे साफ संकेत मिलता है कि भारत वैश्विक व्यापार नेटवर्क में अपनी भूमिका को लगातार मजबूत कर रहा है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आर्थिक साझेदारियों को प्राथमिकता दे रहा है। भारत और न्यूजीलैंड के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि यह एफटीए दोनों देशों के बीच व्यापार,निवेश,नवाचार और संयुक्त अवसरों के लिए एक मजबूत उत्प्रेरक का काम करेगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी बयान के अनुसार,इस समझौते पर बातचीत इस साल मार्च में शुरू हुई थी और रिकॉर्ड नौ महीनों के भीतर इसे अंतिम रूप दिया गया। यह दोनों देशों के बीच गहरी साझेदारी की साझा महत्वाकांक्षा और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है। बयान में कहा गया कि एफटीए के जरिए दोनों देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव काफी गहरा होगा,बाजार तक पहुँच बढ़ेगी और निवेश के प्रवाह को नई गति मिलेगी। इसके साथ ही रणनीतिक सहयोग को भी मजबूती मिलेगी और नवाचार,उद्यमिता,कृषि,एमएसएमई,शिक्षा और युवाओं से जुड़े कई नए अवसर खुलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लस्कन ने बातचीत के दौरान यह भरोसा भी जताया कि अगले पाँच वर्षों में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार को दोगुना किया जाएगा। इसके अलावा,अगले 15 वर्षों में न्यूजीलैंड से भारत में करीब 20 बिलियन डॉलर के निवेश का लक्ष्य तय किया गया है। यह आँकड़ें न केवल आर्थिक सहयोग की दिशा को स्पष्ट करते हैं,बल्कि यह भी दिखाते हैं कि दोनों देश लंबे समय तक चलने वाली साझेदारी को लेकर कितने गंभीर हैं।
इस ऐतिहासिक समझौते का सबसे अहम पहलू टैरिफ में दी गई अभूतपूर्व रियायतें हैं। भारत–न्यूजीलैंड एफटीए के तहत न्यूजीलैंड के करीब 95 प्रतिशत निर्यात पर टैरिफ को या तो पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा या फिर उसमें भारी कटौती की जाएगी। इसे अब तक किसी भी भारतीय एफटीए में दी गई सबसे बड़ी टैरिफ रियायत माना जा रहा है। समझौते के लागू होते ही लगभग 57 प्रतिशत उत्पादों को पहले ही दिन ड्यूटी-फ्री पहुँच मिल जाएगी,जो समय के साथ बढ़कर 82 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी। शेष 13 प्रतिशत उत्पादों पर भी टैरिफ में उल्लेखनीय कमी की जाएगी।
न्यूजीलैंड की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह समझौता न्यूजीलैंड के निर्यातकों को कई क्षेत्रों में अपने वैश्विक प्रतिद्वंदियों के बराबर या उनसे बेहतर स्थिति में ले आता है। खासतौर पर कृषि,डेयरी,खाद्य प्रसंस्करण,शिक्षा और सेवा क्षेत्रों में न्यूजीलैंड को भारत जैसे बड़े और तेजी से बढ़ते बाजार तक बेहतर पहुँच मिलेगी। बयान में यह भी कहा गया कि भारत की अर्थव्यवस्था के 2030 तक 12 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है और इस पृष्ठभूमि में भारत–न्यूजीलैंड एफटीए न्यूजीलैंड के निर्यातकों के लिए अपार संभावनाओं का द्वार खोलता है। यह अगले 10 वर्षों में निर्यात की वैल्यू को दोगुना करने के न्यूजीलैंड के लक्ष्य को हासिल करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
भारत के नजरिए से देखें तो यह समझौता सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है। एफटीए के जरिए भारतीय उद्यमियों,स्टार्टअप्स,किसानों और एमएसएमई सेक्टर को न्यूजीलैंड के बाजार तक आसान पहुँच मिलेगी। खासतौर पर आईटी,फार्मास्यूटिकल्स,टेक्नोलॉजी,शिक्षा और प्रोफेशनल सेवाओं के क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के लिए नए अवसर खुलेंगे। इसके अलावा,भारतीय छात्रों और युवाओं के लिए शिक्षा और कौशल विकास से जुड़े क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में यह भी कहा गया कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने रक्षा, खेल,शिक्षा और लोगों के बीच संबंधों जैसे अन्य द्विपक्षीय क्षेत्रों में हुई प्रगति का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक साझेदारी के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव को भी मजबूत किया जाना चाहिए। खेल और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग से दोनों देशों के युवाओं को एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने का अवसर मिलेगा,जबकि लोगों के बीच संबंध मजबूत होने से आपसी समझ और विश्वास और गहरा होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह एफटीए भारत की “एक्ट ईस्ट” और “इंडो-पैसिफिक” रणनीति के अनुरूप है,जहाँ भारत क्षेत्रीय और वैश्विक साझेदारियों को संतुलित तरीके से आगे बढ़ा रहा है। न्यूजीलैंड जैसे भरोसेमंद लोकतांत्रिक देश के साथ यह समझौता भारत की वैश्विक छवि को भी मजबूत करेगा। साथ ही,यह संदेश देगा कि भारत मुक्त,नियम-आधारित और पारदर्शी व्यापार व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध है।
न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लस्कन ने भी इस समझौते को अपने देश के लिए एक बड़ा अवसर बताया है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ एफटीए से न केवल न्यूजीलैंड के निर्यातकों को लाभ होगा,बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक रिश्ते भी नई ऊँचाई पर पहुँचेंगे। भारत की तेजी से बढ़ती मिडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसे न्यूजीलैंड के व्यवसायों के लिए एक गेम-चेंजर करार दिया।
भारत–न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के संबंधों में एक नए युग की शुरुआत करता है। यह समझौता केवल आँकड़ों और टैरिफ रियायतों तक सीमित नहीं है,बल्कि यह दो लोकतांत्रिक देशों के बीच भरोसे,साझा मूल्यों और दीर्घकालिक सहयोग की मजबूत नींव रखता है। आने वाले वर्षों में यह एफटीए किस तरह से व्यापार,निवेश और लोगों के जीवन को प्रभावित करता है,इस पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी,लेकिन फिलहाल इतना तय है कि यह कदम भारत और न्यूजीलैंड दोनों के लिए ऐतिहासिक और दूरगामी महत्व का है।
