नई दिल्ली,23 दिसंबर (युआईटीवी)- अंडर-19 एशिया कप फाइनल के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैदान पर एक नया विवाद सामने आ गया है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और एशियन क्रिकेट काउंसिल के चेयरमैन मोहसिन नकवी ने भारतीय अंडर-19 खिलाड़ियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि फाइनल मुकाबले के दौरान भारतीय खिलाड़ियों का पाकिस्तानी खिलाड़ियों के प्रति व्यवहार सही नहीं था। नकवी ने साफ तौर पर कहा है कि पाकिस्तान इस पूरे मामले को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद यानी आईसीसी के सामने आधिकारिक रूप से उठाएगा।
मोहसिन नकवी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दुबई में खेले गए अंडर-19 एशिया कप फाइनल के दौरान भारतीय खिलाड़ी लगातार पाकिस्तानी खिलाड़ियों को उकसाने की कोशिश करते रहे। उनके अनुसार,यह सिर्फ एक-दो घटनाओं तक सीमित नहीं था,बल्कि पूरे मुकाबले के दौरान ऐसा माहौल बनाया गया,जो खेल भावना के विपरीत था। नकवी ने जोर देकर कहा कि क्रिकेट और राजनीति को हमेशा एक-दूसरे से अलग रखा जाना चाहिए और मैदान पर किसी भी तरह का व्यवहार केवल खेल की भावना के अनुरूप होना चाहिए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान इस मुद्दे को भावनात्मक तरीके से नहीं,बल्कि नियमों और प्रक्रियाओं के तहत उठाएगा। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इस घटना से जुड़े तथ्यों और उपलब्ध सबूतों के साथ आईसीसी को औपचारिक शिकायत देगा,ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। नकवी का कहना है कि युवा स्तर के टूर्नामेंटों में खिलाड़ियों का आचरण बेहद अहम होता है,क्योंकि यही खिलाड़ी आगे चलकर सीनियर क्रिकेट में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस पूरे विवाद को सबसे पहले पाकिस्तान की अंडर-19 टीम के मेंटर और पूर्व कप्तान सरफराज अहमद ने सार्वजनिक रूप से उठाया था। सरफराज अहमद ने फाइनल के बाद कहा था कि खेल के दौरान भारतीय टीम का बर्ताव सही नहीं था और वह क्रिकेट की मूल भावना के खिलाफ था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसके बावजूद पाकिस्तान टीम ने अपनी जीत का जश्न पूरी मर्यादा और खेल भावना के साथ मनाया। सरफराज के अनुसार,क्रिकेट केवल जीत और हार का खेल नहीं है,बल्कि सम्मान,संयम और अनुशासन भी इसका अहम हिस्सा है।
सरफराज अहमद ने यह भी कहा कि युवा खिलाड़ियों को मैदान पर अपने व्यवहार से उदाहरण पेश करना चाहिए। उन्होंने माना कि भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबले हमेशा भावनात्मक होते हैं,लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि खेल भावना से समझौता किया जाए। उनके बयान के बाद ही यह मामला तूल पकड़ने लगा और अब यह विवाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचता दिख रहा है।
दरअसल,भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों में हाल के महीनों में तनाव साफ नजर आया है। पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद हुए ऑपरेशन सिंदुर के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ी है,जिसका असर खेल के मैदान पर भी दिखाई देने लगा है। एशिया कप के दौरान यह पहली बार देखा गया,जब दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच खुली दूरी नजर आई।
सीनियर एशिया कप के दौरान भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने टॉस के समय पाकिस्तानी कप्तान सलमान अली आगा से हाथ नहीं मिलाया था। इसके बाद मैच खत्म होने पर भी भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी टीम के खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से परहेज किया। इतना ही नहीं,एशिया कप जीत के बाद भारतीय टीम ने मोहसिन नकवी से ट्रॉफी लेने से भी इनकार कर दिया था,जिसे पाकिस्तान की ओर से खेल भावना के खिलाफ कदम बताया गया।
इसी पृष्ठभूमि में अंडर-19 एशिया कप के दौरान मैदान पर हुई घटनाओं को भी उसी तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। हालाँकि,भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ओर से अब तक इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। बीसीसीआई पहले ही अंडर-19 एशिया कप में टीम के प्रदर्शन की समीक्षा करने का फैसला कर चुका है और यह देखना अहम होगा कि इस समीक्षा के दौरान खिलाड़ियों के आचरण से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होती है या नहीं।
अंडर-19 एशिया कप 2025 का आयोजन दुबई में हुआ था,जहाँ लीग स्टेज के मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को हराया था। उस जीत के बाद भारतीय टीम को फाइनल में भी मजबूत दावेदार माना जा रहा था। हालाँकि,21 दिसंबर को खेले गए खिताबी मुकाबले में तस्वीर पूरी तरह बदल गई। पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के सामने 348 रनों का बड़ा लक्ष्य रखा। भारतीय गेंदबाज पाकिस्तानी बल्लेबाजों को रोकने में नाकाम रहे और लक्ष्य काफी चुनौतीपूर्ण बन गया।
जवाब में भारतीय बल्लेबाजी पूरी तरह चरमरा गई और पूरी टीम महज 156 रनों पर सिमट गई। इस तरह भारत को 191 रनों से करारी हार झेलनी पड़ी। हार के साथ-साथ मैदान पर हुए विवादों ने इस मुकाबले की चर्चा को और ज्यादा बढ़ा दिया है।
अब जब पाकिस्तान ने इस मामले को आईसीसी तक ले जाने का फैसला कर लिया है,तो आने वाले दिनों में इस विवाद पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की नजर रहेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आईसीसी इस पूरे मामले को किस तरह देखती है और क्या दोनों बोर्डों के बीच तनाव का असर भविष्य के भारत-पाकिस्तान मुकाबलों पर भी पड़ता है या नहीं।
