सुनील गावस्कर

दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनील गावस्कर की पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा के लिए लगाई अंतरिम रोक,सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को सख्त निर्देश

नई दिल्ली,24 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान और महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर की पर्सनैलिटी और पब्लिसिटी राइट्स को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। मंगलवार को अदालत ने अंतरिम राहत देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स को निर्देश दिया कि वे गावस्कर की अनुमति के बिना उनके नाम,तस्वीर या पहचान का इस्तेमाल करने वाले सभी कंटेंट और उत्पादों को हटाएं। कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति की पहचान का व्यावसायिक या भ्रामक इस्तेमाल कानूनन स्वीकार्य नहीं है।

यह आदेश दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की सिंगल-जज बेंच ने दिया। अदालत ने मेटा,एक्स कॉर्प सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया कि वे सुनील गावस्कर से जुड़े उन सभी यूआरएल को 72 घंटे के भीतर हटाएँ,जिनमें उनके बारे में गलत, भ्रामक या मनगढ़ंत बयान दिए गए हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कंटेंट अपलोड करने वाले उपभोक्ता तय समयसीमा में उल्लंघन करने वाले कंटेंट को नहीं हटाते हैं,तो संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ऐसे कंटेंट तक सार्वजनिक पहुँच बंद करनी होगी।

अदालत ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के लिए भी सख्त रुख अपनाया। जस्टिस अरोड़ा ने निर्देश दिया कि ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर सुनील गावस्कर के नाम और पहचान का इस्तेमाल कर बिना अनुमति बेचे जा रहे सभी उत्पादों की लिस्टिंग हटाई जाए। कोर्ट ने कहा कि अगर विक्रेता 72 घंटे के भीतर ऐसे उल्लंघनकारी उत्पादों को नहीं हटाते हैं,तो ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को उन विक्रेताओं को डीलिस्ट करना होगा। अदालत के अनुसार,किसी मशहूर व्यक्ति के नाम पर नकली या भ्रामक उत्पाद बेचना न केवल उपभोक्ताओं को गुमराह करता है,बल्कि उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाता है।

यह अंतरिम आदेश उस याचिका पर दिया गया है,जिसमें सुनील गावस्कर ने अपनी पर्सनैलिटी और पब्लिसिटी राइट्स की सुरक्षा की माँग की थी। पूर्व क्रिकेटर ने अदालत को बताया कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उनकी अनुमति के बिना उनके नाम,तस्वीर और पहचान का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई सोशल मीडिया पेज उनके नाम से मनगढ़ंत बयान और फर्जी जानकारियां फैला रहे हैं,जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुँच रहा है।

गावस्कर ने यह भी आरोप लगाया कि कई ऑनलाइन विक्रेता उनके नाम से जुड़े नकली ऑटोग्राफ वाले क्रिकेट बैट,तस्वीरें और अन्य सामान बेच रहे हैं। उनके मुताबिक,इन उत्पादों का उनसे कोई संबंध नहीं है,लेकिन उनका नाम इस्तेमाल कर उपभोक्ताओं को भ्रमित किया जा रहा है। उन्होंने अदालत से माँग की कि ऐसे सभी कंटेंट और उत्पादों पर तत्काल रोक लगाई जाए और उनकी पहचान का दुरुपयोग रोका जाए।

इससे पहले हुई सुनवाई में भी दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अहम निर्देश दिए थे। जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने सुनील गावस्कर से कहा था कि वे गूगल,मेटा और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स को उन यूआरएल की जानकारी दें,जिनमें उनके खिलाफ गलत या भ्रामक सामग्री प्रकाशित की गई है। इसके साथ ही अदालत ने इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म्स को सूचना प्रौद्योगिकी नियम,2021 के तहत एक सप्ताह के भीतर गावस्कर के अनुरोध पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को “मूक दर्शक” नहीं बने रहना चाहिए। यदि उन्हें किसी उल्लंघन की जानकारी दी जाती है,तो उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे समयबद्ध तरीके से कार्रवाई करें। कोर्ट के अनुसार,डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका सिर्फ कंटेंट होस्ट करने तक सीमित नहीं है,बल्कि उन्हें कानून के तहत जिम्मेदार भी ठहराया जा सकता है।

यह फैसला ऐसे समय में आया है,जब पर्सनैलिटी राइट्स और पब्लिसिटी राइट्स को लेकर अदालतों में लगातार मामले सामने आ रहे हैं। इससे पहले भी कई बॉलीवुड कलाकारों और खेल जगत की हस्तियों ने अपने नाम और तस्वीरों के दुरुपयोग के खिलाफ अदालत का रुख किया है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सुनील गावस्कर के मामले में दिया गया यह आदेश भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक अहम मिसाल साबित हो सकता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 22 मई, 2026 तय की है। तब तक के लिए यह अंतरिम रोक लागू रहेगी। अदालत के इस फैसले को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर मशहूर हस्तियों की पहचान और प्रतिष्ठा की रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम के रूप में देखा जा रहा है।