नई दिल्ली,26 दिसंबर (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर भारत मंडपम में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में शामिल होंगे। दोपहर करीब 12:15 बजे शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री बच्चों,युवाओं और कार्यक्रम में शामिल अतिथियों को संबोधित करेंगे। यह आयोजन न केवल एक ऐतिहासिक स्मृति का सम्मान है,बल्कि आने वाली पीढ़ियों के सामने साहस, त्याग और धर्मनिष्ठा के महान मूल्यों को प्रस्तुत करने का अवसर भी है।
‘वीर बाल दिवस’ श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों—बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी—की अमर शहादत की स्मृति में मनाया जाता है। कम उम्र में जिस अटूट साहस और दृढ़ता का परिचय उन्होंने दिया,वह भारतीय इतिहास के उन अध्यायों में दर्ज है जो सदियों तक प्रेरणा देते रहेंगे। अत्याचार और अन्याय के सामने झुकने के बजाय अपने सिद्धांतों पर अडिग रहकर दी गई उनकी शहादत आज भी धर्म,न्याय और अस्मिता के प्रति अदम्य समर्पण का प्रतीक मानी जाती है।
इस दिन को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने जनवरी 2022 में गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर की थी। तब से भारत सरकार,राज्यों के सहयोग से,पूरे देश में विविध कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिवस को यादगार बनाने का प्रयास कर रही है। उद्देश्य यह है कि बच्चे और युवा न केवल इतिहास के इन गौरवशाली प्रसंगों से परिचित हों,बल्कि उन मूल्यों को अपने जीवन का हिस्सा भी बनाएं।
इस वर्ष भी ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर कई तरह की गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं। स्कूलों,आँगनवाड़ी केंद्रों,चाइल्ड केयर संस्थानों और विभिन्न शिक्षण स्थलों पर कहानी-सत्र, कविता-पाठ, पोस्टर निर्माण और निबंध लेखन जैसी प्रतियोगिताएँ रखी गई हैं। इन गतिविधियों का मकसद बच्चों को सिर्फ जानकारी देना नहीं,बल्कि उन्हें इस विरासत से एक भावनात्मक और वैचारिक जुड़ाव महसूस कराना है। आयोजकों का मानना है कि जब बच्चे साहिबजादों की कहानियाँ सुनते और उन पर विचार करते हैं,तो उनमें नैतिक साहस,देशप्रेम और समाज के प्रति जिम्मेदारियों को समझने की क्षमता विकसित होती है।
इसके साथ ही माईगव और माईभारत प्लेटफॉर्म्स पर भी विशेष ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन डिजिटल गतिविधियों के जरिये देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठे लोग एक साझा मंच पर जुड़कर इस दिवस के महत्व को समझ सकते हैं और अपने विचार साझा कर सकते हैं। इंटरनेट आधारित इन पहलों ने ‘वीर बाल दिवस’ को केवल एक सरकारी आयोजन के बजाय एक जन-आंदोलन का रूप दे दिया है,जिसमें हर आयु और वर्ग के लोग अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
भारत मंडपम में होने वाले मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) से सम्मानित बच्चे भी शामिल होंगे। इन बच्चों की उपस्थिति कार्यक्रम को विशेष बनाती है,क्योंकि वे आधुनिक भारत के उन युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्होंने विज्ञान,कला,खेल,सामाजिक सेवा और नवाचार के क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। साहिबजादों की प्रेरक कहानियों के साथ जब इन बच्चों की उपलब्धियाँ जुड़ती हैं,तो यह संदेश और भी गूंजदार हो उठता है कि साहस और धैर्य की परंपरा आज भी जीवित है और नई पीढ़ी इसे आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री के संबोधन में इस बात पर विशेष जोर दिए जाने की संभावना है कि इतिहास केवल बीते समय की स्मृतियाँ नहीं,बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए मार्गदर्शक होता है। ‘वीर बाल दिवस’ उस स्मृति को पुनर्जीवित करता है,जो हमें बताती है कि न्याय और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए उम्र नहीं,बल्कि इरादे मायने रखते हैं। प्रधानमंत्री पहले भी अनेक अवसरों पर साहिबजादों की शहादत का उल्लेख करते हुए कह चुके हैं कि उनका जीवन संघर्ष,त्याग और नैतिक शक्ति का वह उदाहरण है जो हर भारतवासी के लिए प्रेरक होना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शनी,सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और वीडियो डॉक्यूमेंटेशन के माध्यम से साहिबजादों के जीवन प्रसंगों को जीवंत ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा। विभिन्न राज्यों के विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए पोस्टर और निबंध भी प्रदर्शित किए जाएँगे,जो इस बात का प्रमाण हैं कि ‘वीर बाल दिवस’ ने स्कूल स्तर पर भी एक सकारात्मक संवाद की शुरुआत की है। शिक्षकों के अनुसार, इस तरह के आयोजन बच्चों में इतिहास के प्रति रुचि बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें सामाजिक और नैतिक सरोकारों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।
‘वीर बाल दिवस’ के जरिए सरकार और समाज,दोनों मिलकर यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि बच्चों की सुरक्षा,शिक्षा और संस्कार केवल परिवार की जिम्मेदारी नहीं,बल्कि पूरे राष्ट्र का दायित्व है। साहिबजादों की शहादत यह याद दिलाती है कि इतिहास में बच्चों ने भी बड़े-बड़े संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए उनकी आवाज,उनके सपने और उनका भविष्य सुरक्षित रखना एक सामूहिक कर्तव्य है।
भारत मंडपम में आयोजित इस कार्यक्रम से उम्मीद है कि साहिबजादों के बलिदान की कहानी और अधिक लोगों तक पहुँचेगी और ‘वीर बाल दिवस’ केवल एक औपचारिक तारीख न रहकर आत्मचिंतन और संकल्प का दिन बनेगा। जब प्रधानमंत्री मोदी मंच से बच्चों और युवाओं को संबोधित करेंगे,तो यह अवसर न सिर्फ अतीत के नायकों को नमन करने का होगा,बल्कि नए भारत के निर्माण में मूल्यों-आधारित नेतृत्व की आवश्यकता पर भी बल देगा।
इस प्रकार, ‘वीर बाल दिवस’ इतिहास,संस्कृति और समकालीन समाज—तीनों को एक सूत्र में पिरोता है। यह दिन देश को याद दिलाता है कि शक्ति केवल बाहुबल से नहीं,बल्कि सच्चाई,साहस और न्याय के प्रति अटूट विश्वास से आती है और जब यह विश्वास नई पीढ़ी के दिलों में जगह बना लेता है,तभी राष्ट्र वास्तव में मजबूत और जीवंत बनता है।
