थाईलैंड–कंबोडिया सीमा विवाद (तस्वीर क्रेडिट@AIRNewsHindi)

थाईलैंड–कंबोडिया सीमा विवाद: सैन्य वार्ता के बीच घटती झड़पें,लेकिन तनाव बरकरार

बैंकॉक/नोम पेन्ह,26 दिसंबर (युआईटीवी)- थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद पर चल रही सैन्य-स्तरीय वार्ता गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी रही। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल सीमा पर हालात को स्थिर करने,संघर्ष विराम को मजबूत बनाने और प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन बहाल करने के उपायों पर चर्चा कर रहे हैं। थाई सेना का कहना है कि कुल मिलाकर झड़पों की तीव्रता में कमी आई है,हालाँकि कुछ स्थानीय क्षेत्रों में अभी भी गोलीबारी रुक-रुक कर जारी है। यह संकेत देता है कि सीमा पर तनाव समाप्त होने से अभी दूरी है,लेकिन संवाद की राह ने हालात को कुछ हद तक नियंत्रण में अवश्य लाया है।

थाई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार,यह वार्ता थाईलैंड के चांथाबुरी प्रांत में स्थित बॉर्डर चेकपॉइंट पर आयोजित की जा रही है। बैठक कंबोडिया–थाईलैंड जनरल बॉर्डर कमिटी (जीबीसी) के ढाँचे के तहत बुलाई गई,जिसमें दोनों देशों के रक्षा प्रतिनिधिमंडल सुबह 9 बजे से बातचीत में शामिल हुए। वार्ता को चार दिनों तक जारी रखने की योजना है,ताकि सभी विवादित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जा सके। इस प्रक्रिया में आसियान पर्यवेक्षक टीम,विशेष रूप से मलेशिया से आए प्रतिनिधि,भी शामिल हैं। क्षेत्रीय संगठन आसियान की उपस्थिति को इस प्रयास की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।

शिन्हुआ न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार,बैठक में करीब 30 कंबोडियाई प्रतिनिधि शामिल हुए। यह संख्या इस बात का संकेत है कि कंबोडिया इस वार्ता को गंभीरता से देख रहा है और सीमा पर लंबे समय से जारी तनाव का स्थायी समाधान चाहता है। दूसरी ओर,थाई पक्ष भी इस विवाद को नियंत्रित सीमाओं में रखने और इसे व्यापक संघर्ष में बदलने से रोकने के प्रयासों में जुटा हुआ है।

गुरुवार को हुई प्रेस ब्रीफिंग में थाई सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि हाल के दिनों में सीमा पर झड़पों में स्पष्ट गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि गोलीबारी अब केवल कुछ विशेष इलाकों तक सिमटकर रह गई है,जबकि पहले यह कई स्थानों पर फैल चुकी थी। प्रवक्ता के अनुसार,संवाद और समन्वय बढ़ने के कारण हालात में सुधार हुआ है,लेकिन पूरी तरह शांति बहाल होने में समय लग सकता है।

इसी दौरान एक चिंताजनक घटना भी सामने आई। थाईलैंड की सेकंड आर्मी एरिया कमांड ने जानकारी दी कि ता क्वाई मंदिर क्षेत्र में बारूदी सुरंग हटाने के अभियान के दौरान दो थाई सैनिक लैंडमाइन विस्फोट में घायल हो गए। यह घटना बताती है कि सीमा क्षेत्र में संघर्ष के पुराने निशान किस तरह अब भी जानलेवा साबित हो रहे हैं। कई इलाकों में जमीन के भीतर छिपी बारूदी सुरंगें नागरिकों और सैनिकों दोनों के लिए गंभीर खतरा बनी हुई हैं और उनका निष्कासन एक लंबी और जोखिमभरी प्रक्रिया है।

दूसरी ओर,कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि संघर्ष से जुड़े ताजा घटनाक्रम में एक और कंबोडियाई नागरिक की मौत हो गई। इसके साथ ही कंबोडिया में नागरिक हताहतों की संख्या 31 तक पहुँच गई है। नागरिकों की लगातार हो रही मौतें दोनों देशों पर मानवीय दबाव बढ़ा रही हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त कर रहा है।

थाई रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सुरासंत कोंगसिरी ने बुधवार को कहा था कि सचिवालय स्तर की बैठक बुधवार से शुक्रवार तक चलेगी। यदि प्रारंभिक दौर की बातचीत बिना किसी बड़ी बाधा के आगे बढ़ती है,तो शनिवार को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित की जा सकती है। यह बैठक वार्ता प्रक्रिया का निर्णायक पड़ाव साबित हो सकती है,क्योंकि मंत्री-स्तर पर लिए जाने वाले फैसले सीधे जमीन पर अमल में लाए जा सकते हैं।

इस बीच,दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है। 800 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा पर लगभग रोजाना सैन्य झड़पें होती रही थीं। इससे कई क्षेत्रों में तनाव बढ़ गया और थाईलैंड के सात सीमावर्ती प्रांत प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए। स्थानीय निवासियों के लिए सामान्य जीवन लगभग ठहर-सा गया,जबकि हजारों परिवारों को सुरक्षा कारणों से अपने घर छोड़ने पड़े। रिपोर्टों के अनुसार,इस संघर्ष में अब तक दर्जनों सैनिकों और नागरिकों की मौत हो चुकी है और 8,00,000 से अधिक लोगों का जीवन किसी न किसी रूप में अस्त-व्यस्त हुआ है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद केवल सैन्य टकराव भर नहीं है,बल्कि इसके पीछे ऐतिहासिक सीमांकन,संसाधनों पर नियंत्रण और रणनीतिक इलाकों को लेकर असहमति जैसे कई कारक काम कर रहे हैं। यही वजह है कि संघर्ष अब सैन्य कार्रवाई से आगे बढ़कर सरकारी स्तर पर सूचना युद्ध, मीडिया रणनीतियों और कूटनीतिक दांव-पेच की बहुआयामी प्रतिद्वंद्विता में बदल गया है। दोनों पक्ष अपने-अपने दावों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उचित ठहराने की कोशिश कर रहे हैं,जबकि जमीनी स्तर पर संघर्ष विराम प्रक्रिया विभिन्न कारणों से बार-बार बाधित हो जाती है।

फिर भी,चल रही वार्ता उम्मीद की एक किरण प्रदान करती है। संवाद का मंच जितना मजबूत होगा,सीमा पर उतना ही कम तनाव पैदा होगा। आसियान की भूमिका यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हो सकती है कि दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपने विवादों का समाधान खोजें और व्यापक क्षेत्रीय शांति बनाए रखें।

आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि सैन्य-स्तरीय वार्ता किस हद तक वास्तविक समाधान का मार्ग प्रशस्त करती है। यदि वार्ता फलदायी रही,तो न केवल सीमा पर गोलीबारी थमेगी,बल्कि विस्थापित लोगों के पुनर्वास और बारूदी सुरंगों के निष्कासन जैसे मानवीय मुद्दों पर भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। फिलहाल,दुनिया की निगाहें थाईलैंड–कंबोडिया सीमा पर टिक गई हैं,जहाँ शांति की कोशिशें और तनाव की आहटें साथ-साथ चल रही हैं।

आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि सैन्य-स्तरीय वार्ता किस हद तक वास्तविक समाधान का मार्ग प्रशस्त करती है। यदि वार्ता फलदायी रही, तो न केवल सीमा पर गोलीबारी थमेगी, बल्कि विस्थापित लोगों के पुनर्वास और बारूदी सुरंगों के निष्कासन जैसे मानवीय मुद्दों पर भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। फिलहाल, दुनिया की निगाहें थाईलैंड–कंबोडिया सीमा पर टिक गई हैं, जहां शांति की कोशिशें और तनाव की आहटें साथ-साथ चल रही हैं।