चित्रदुर्ग,26 दिसंबर (युआईटीवी)- कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में गुरुवार तड़के हुए भयानक बस हादसे ने पूरे राज्य को दहला दिया है। हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर सात हो गई है। शुक्रवार सुबह बस के ड्राइवर मोहम्मद रफीक ने भी अस्पताल में दम तोड़ दिया,जिससे इस दुर्घटना का दर्द और गहरा हो गया। भीषण हादसे से बच निकले घायल अब भी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं,जबकि प्रशासन घटना के हर पहलू की जाँच में जुटा हुआ है।
गुरुवार को जिस स्लीपर बस में 32 यात्री सवार थे,उसका सामना अचानक एक तेज रफ्तार कंटेनर ट्रक से हो गया। कंटेनर ट्रक कथित तौर पर नियंत्रण खोकर डिवाइडर पार कर गया और सीधे बस से टकरा गया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बस का फ्यूल टैंक फट गया और देखते ही देखते पूरी बस आग के गोले में बदल गई। उस समय अधिकांश यात्री नींद में थे और उन्हें बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिल पाया। जो पीछे या दरवाजे के पास बैठे थे,वे किसी तरह खिड़कियाँ तोड़कर बाहर कूदने में सफल रहे,लेकिन कई लोग अंदर ही फँसकर जिंदा जल गए।
42 वर्षीय बस ड्राइवर मोहम्मद रफीक,जो हावेरी जिले के शिगगांव के रहने वाले थे,हादसे के बाद अपने असिस्टेंट के साथ बस से बाहर गिर गए थे। गंभीर रूप से घायल अवस्था में उन्हें तुरंत हुबली के केआईएमएस अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए ऑपरेशन किया,लेकिन अंदरूनी चोटें इतनी गंभीर थीं कि शुक्रवार तड़के उन्होंने अंतिम सांस ली। रफीक ने अस्पताल में बयान देते हुए बताया था कि उन्हें बस इतना याद है कि एक कंटेनर ट्रक अचानक सामने आया और टकराव के बाद वह बस को सँभाल नहीं पाए। वे 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बस चला रहे थे और टक्कर के बाद कुछ भी याद नहीं रहा।
हादसे से पहले और बाद के क्षणों का उनका बयान इस दुर्घटना की भयावहता को साफ बयां करता है। उन्होंने कहा था कि जैसे ही उन्होंने बस को साइड करने की कोशिश की,बगल वाली लेन में एक और बस दिख गई। हालात इतने तेजी से बिगड़े कि उन्हें संभलने का मौका ही नहीं मिला। इस बयान ने यह संकेत भी दिया कि सड़क पर ट्रैफिक घना था और थोड़ी सी चूक बड़े हादसे में बदल गई।
दूसरी ओर,यात्रियों में से कई गंभीर रूप से घायल हुए। मंजूनाथ नाम के एक यात्री की हालत अभी भी नाजुक बताई जा रही है। वह लगभग 30 प्रतिशत तक जल चुके हैं और उन्हें बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल के बर्न वार्ड आईसीयू में भर्ती कराया गया है। डॉक्टर लगातार उनकी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और परिवारजन अस्पताल के बाहर दुआओं के सहारे उम्मीद लगाए बैठे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि बस से पाँच पूरी तरह जले हुए शव बरामद किए गए,जबकि एक शव कंटेनर ट्रक से निकाला गया। कुल मिलाकर अभी तक छह शव बरामद किए गए,लेकिन कई शव इतने बुरी तरह जल गए हैं कि उनकी पहचान तुरंत संभव नहीं हो पाई। ऐसे मामलों में पुलिस डीएनए प्रोफाइलिंग का सहारा ले रही है। हड्डियों और ऊतक के नमूने फॉरेंसिक लैब भेजे गए हैं और उम्मीद है कि एक–दो दिनों में रिपोर्ट आ जाएगी। तभी शवों को परिजनों को सौंपा जा सकेगा।
पुलिस का कहना है कि मृतकों की पहचान पूरी कर ली गई है,लेकिन औपचारिक पुष्टि डीएनए टेस्ट के बाद ही की जाएगी। पहचाने गए पीड़ितों में 26 वर्षीय एएम नव्या शामिल हैं,जो बेंगलुरु के मान्यता टेक पार्क में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल थीं और हासन जिले के चन्नरायपट्टना के पास एकलेनाहल्ली की रहने वाली थीं। 27 वर्षीय मानसा,जो टेग्गेनाहल्ली लेआउट,चन्नरायपट्टना की निवासी थीं,भी आईटी क्षेत्र में कार्यरत थीं। 22 वर्षीय रश्मि रत्नाकर महाले का घर कारवार जिले के भटकल के पास शिराली गांव में था और वह भी एक आईटी प्रोफेशनल थीं।
अन्य मृतकों में 29 वर्षीय बिंदू और उनकी पाँच साल की बेटी ग्रेया शामिल हैं,जो बेंगलुरु के गिरिनगर इलाके में रहती थीं। इस हादसे में कंटेनर ट्रक ड्राइवर कुलदीप यादव की भी मौत हो गई,जो उत्तर प्रदेश का रहने वाला था। पुलिस के अनुसार, हादसे के वक्त ट्रक तेज रफ्तार में था और ड्राइवर ने अचानक नियंत्रण खो दिया,जिससे वह डिवाइडर पार कर गया और सामने से आ रही बस से सीधे जा टकराया।
यह हादसा नेशनल हाईवे 48 पर सुबह करीब 2 बजे गोरलट्टू क्रॉस के पास हुआ। रात के समय लंबी दूरी के वाहनों की आवाजाही अधिक होती है और थकान के कारण ड्राइवरों की प्रतिक्रिया क्षमता अक्सर कमजोर पड़ जाती है। प्रारंभिक जाँच में ऐसा अंदेशा जताया जा रहा है कि ट्रक ड्राइवर या तो नींद में था या किसी कारण से उसका ध्यान भटक गया। हालाँकि,पुलिस सभी संभावित पहलुओं पर जाँच कर रही है,जिसमें ओवरस्पीडिंग,ब्रेक फेल और तकनीकी खराबी जैसी संभावनाएँ भी शामिल हैं।
पुलिस महानिरीक्षक (पूर्व) बी.आर. रविकांत गौड़ा ने बताया कि कंटेनर ट्रक ने डिवाइडर पार करते हुए बस को सीधे टक्कर मारी और शक है कि ट्रक बस के फ्यूल टैंक से टकराया,जिससे तुरंत आग लग गई। यात्रियों के पास भागने का समय बहुत कम था। कुछ लोग खिड़कियों और आपातकालीन दरवाजे के जरिए बाहर निकल पाए,लेकिन जिन्होंने सीट बेल्ट लगाए थे या ऊपरी स्लीपर में सो रहे थे,वे अंदर ही फँस गए।
यह हादसा सड़क सुरक्षा के संदर्भ में कई सवाल खड़े करता है। स्लीपर बसों में सुरक्षा मानकों,फायर एग्जिट की उपलब्धता,आपातकालीन उपकरणों की कार्यक्षमता और ड्राइवरों के विश्राम समय को लेकर विशेषज्ञों ने पहले भी चिंता जताई है। कई मामलों में बस ऑपरेटर लागत कम करने के लिए यात्रियों की सुरक्षा से समझौता करते हैं। इस हादसे के बाद फिर से यह बहस तेज हो रही है कि लंबी दूरी की बसों के लिए सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए जाएँ और उनका नियमित ऑडिट हो।
प्रशासन ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई है और घायलों के बेहतर इलाज की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है। राज्य सरकार ने भी जिला प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट माँगी है और यह संकेत दिया है कि यदि जाँच में लापरवाही साबित हुई,तो संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हादसे के बाद गोरलट्टू क्रॉस के आसपास के गाँवों के लोग रात के अँधेरे में मदद के लिए दौड़ पड़े। कई स्थानीय लोगों ने पुलिस और फायर ब्रिगेड के पहुँचने से पहले ही घायलों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार,कुछ ही मिनटों में बस पूरी तरह आग की लपटों से घिर गई थी और अंदर से चीख-पुकार की आवाजें सुनाई दे रही थीं। यह दृश्य इतना भयावह था कि वहाँ मौजूद लोग आज भी सदमे में हैं।
यह दुर्घटना इस सच्चाई की याद दिलाती है कि राजमार्गों पर जरा सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है। तेज रफ्तार,ओवरलोडिंग,खराब सड़क रोशनी और थके हुए ड्राइवर—ये सभी कारक मिलकर हादसों की आशंका बढ़ा देते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि तकनीक,कड़े नियम और जन-जागरूकता—तीनों का संयोजन ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी ला सकता है।
फिलहाल,चित्रदुर्ग का यह हादसा कई परिवारों के लिए कभी न भरने वाला जख्म बन गया है। सात जिंदगियाँ चंद मिनटों में खत्म हो गईं और कई सपने राख में बदल गए। जैसे-जैसे फॉरेंसिक रिपोर्ट आएगी और जाँच आगे बढ़ेगी,शायद इस सवाल का जवाब मिल सके कि आखिर गलती कहाँ हुई,लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि यह घटना सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर चेतावनी है—एक ऐसी चेतावनी,जिसे अनसुना करना अब संभव नहीं।
