पटना,27 दिसंबर (युआईटीवी)- पटना के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास को खाली करने की प्रक्रिया को लेकर हो रही है। यह वही बंगला है,जहाँ लालू-राबड़ी परिवार करीब दो दशक से रह रहा था और जहाँ से प्रदेश की राजनीति के कई अहम फैसले निकले। सरकारी आदेश के बाद अब इस आवास को खाली करने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है और धीरे-धीरे घर का सामान शिफ्ट किया जा रहा है। गुरुवार देर रात भी परिसर के भीतर से पौधों और घरेलू सामान को एक पिकअप वैन में लादते देखा गया,जो इस बात का संकेत है कि स्थानांतरण अब अंतिम दौर में पहुँच चुका है।
सूत्रों का कहना है कि घर का अधिकांश सामान लालू प्रसाद यादव के महुआ बाग इलाके में बन रहे नए आवास में भेजा जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह निजी आवास परिवार के दीर्घकालिक उपयोग को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। वहीं,राबड़ी देवी को राज्य सरकार की ओर से जो नया सरकारी आवास पटना के हार्डिंग रोड पर 39 नंबर के रूप में आवंटित किया गया है,उसे मुख्य रूप से सरकारी काम और आधिकारिक बैठकों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। राबड़ी देवी फिलहाल बिहार विधान परिषद में विपक्ष की नेता हैं और इसी पद के आधार पर उन्हें यह आवास दिया गया है।
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ,जब 25 नवंबर को भवन निर्माण विभाग ने राबड़ी देवी को नोटिस जारी कर 10 सर्कुलर रोड वाले बंगले को खाली करने का निर्देश दिया। इस नोटिस के बाद परिवार ने चरणबद्ध तरीके से घर खाली करने की योजना बनाई। खास बात यह है कि 10 सर्कुलर रोड स्थित बंगला परिवार की जरूरतों के मुताबिक काफी हद तक मॉडिफाई किया गया था। यहाँ अतिरिक्त कमरे बनाए गए थे और राजनीतिक मुलाकातों तथा बैठकों के लिए एक बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल की व्यवस्था भी थी। इस वजह से यह बंगला न केवल घर बल्कि आरजेडी के राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र भी बन गया था।
तेजस्वी यादव,जो वर्तमान में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं,भी इसी आवास में रहते हैं। इसके अलावा 1 पोलो रोड स्थित दूसरा सरकारी बंगला मुख्य रूप से उनके कार्यालय के रूप में उपयोग होता है,जहाँ पार्टी की रणनीतिक बैठकें होती हैं और उनके करीबी सहयोगी संजय यादव रहते हैं। अब जब परिवार महुआ बाग के नए घर में शिफ्ट होने जा रहा है,तो माना जा रहा है कि राजनीतिक गतिविधियों का नया केंद्र धीरे-धीरे वही स्थान बन सकता है,जबकि सरकारी कामकाज हार्डिंग रोड के आवास से संचालित होगा।
राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास देने की पुरानी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। नई नीति के अनुसार अब सरकारी आवास केवल मौजूदा संवैधानिक या आधिकारिक पदों के आधार पर ही आवंटित किए जाते हैं। इस फैसले का सीधा असर उन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पड़ रहा है, जो वर्षों से सरकारी आवास में रह रहे थे। राबड़ी देवी के मामले में भी यही नीति लागू की गई और इसी के तहत उन्हें नया आवास आवंटित करते हुए पुराने बंगले को खाली करने का आदेश दिया गया।
लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार लगभग बीस वर्षों से अधिक समय तक 10 सर्कुलर रोड पर बसे रहे। इस दौरान राज्य में राजनीतिक उतार-चढ़ाव आते रहे—कभी सत्ता,कभी विपक्ष,लेकिन यह बंगला हमेशा चर्चा के केंद्र में रहा। नेताओं,कार्यकर्ताओं,समर्थकों और मीडिया का यहाँ निरंतर आना-जाना लगा रहता था। अब जब परिवार यहाँ से विदा ले रहा है,तो पुराने दिनों की यादें भी लोगों के सामने ताज़ा हो रही हैं।
आवास खाली करने की प्रक्रिया को लेकर प्रशासनिक स्तर पर पूरी सावधानी बरती जा रही है। सामान पैक कर चरणबद्ध तरीके से निकाला जा रहा है,ताकि घर में किए गए निर्माण और सरकारी संरचना को कोई नुकसान न पहुँचे। सुरक्षा व्यवस्था भी पहले की तरह ही सख्त रखी गई है। दूसरी ओर आरजेडी समर्थकों के बीच इस बात को लेकर उत्सुकता है कि महुआ बाग का नया घर किस तरह से पार्टी के लिए नया केंद्र बनेगा और वहाँ से आगे की राजनीतिक रणनीतियाँ किस दिशा में आगे बढ़ेंगी।
फिलहाल,लालू-राबड़ी परिवार के सामने सबसे बड़ी प्राथमिकता सहज और व्यवस्थित तरीके से शिफ्टिंग पूरी करना है। नए आवासों के बँटवारे और उपयोग की स्पष्टता के बाद पार्टी और परिवार दोनों की गतिविधियाँ नए स्वरूप में नज़र आएँगी। 10 सर्कुलर रोड का यह अध्याय धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है,लेकिन बिहार की राजनीति के इतिहास में इसका महत्व हमेशा दर्ज रहेगा,जहाँ से कई राजनीतिक समीकरण बने,बदले और वक्त के साथ नई दिशा लेते रहे।
