भारतीय चुनाव आयोग

एसआईआर रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: गौतमबुद्ध नगर में मतदाता सूची से लाखों नाम हटे,नो-मैपिंग और एएसडी पर प्रशासन सख्त

गौतमबुद्ध नगर,27 दिसंबर (युआईटीवी)- गौतमबुद्ध नगर जिले में विशेष संघन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत मतदाता सूची का व्यापक पुनरीक्षण पूरा हो चुका है और 26 दिसंबर को जारी एसआईआर स्टेटस रिपोर्ट ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट में स्पष्ट सामने आया है कि जिले की मतदाता सूची में इस बार बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं। डिजिटलीकरण,मैपिंग और सत्यापन जैसी प्रक्रियाओं के दौरान बड़ी संख्या में मतदाताओं की जानकारी अपडेट की गई,वहीं लाखों नाम ऐसे भी मिले जो या तो शिफ्ट हो चुके हैं,अनुपस्थित पाए गए या फिर डुप्लीकेट प्रविष्टि के रूप में चिह्नित किए गए। इन सभी को एएसडी (एब्सेंट, शिफ्टेड, डुप्लीकेट) श्रेणी में रखा गया है।

रिपोर्ट के अनुसार पूरे जिले में इस समय कुल 18 लाख 65 हजार 673 मतदाता दर्ज हैं। इन मतदाताओं से जुड़े रिकॉर्ड को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने और आधारभूत विवरण को सत्यापित करने के लिए प्रशासन की ओर से व्यापक अभियान चलाया गया। जिले की तीनों विधानसभा सीटों—नोएडा (61),दादरी (62) और जेवर (63) में अलग-अलग स्तर पर आँकड़ों का विश्लेषण किया गया,ताकि सूची से जुड़े किसी भी प्रकार के भ्रम या त्रुटि को दूर किया जा सके।

नोएडा विधानसभा क्षेत्र में कुल 7,71,082 मतदाता पंजीकृत हैं,जिनमें से 5,61,764 मतदाताओं के इलेक्टोरल फॉर्म डिजिटाइज किए जा चुके हैं। यह आँकड़ा कुल पंजीकृत मतदाताओं का 72.85 प्रतिशत है,जो दर्शाता है कि शहरी क्षेत्र होने के बावजूद अब भी एक बड़ा हिस्सा डिजिटलीकरण की प्रक्रिया से गुजरना बाकी है। दूसरी ओर दादरी सीट पर 7,26,828 मतदाताओं में से 5,62,435 यानी 77.38 प्रतिशत मतदाताओं का डेटा डिजिटाइज किया जा चुका है। वहीं जेवर विधानसभा क्षेत्र में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही,जहाँ 3,67,763 पंजीकृत मतदाताओं में से 2,93,470 के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण हो चुका है,जो 79.8 प्रतिशत तक पहुँचता है।

रिपोर्ट में मैपिंग की स्थिति भी स्पष्ट की गई है। जिले में कुल 12,33,316 मतदाताओं की मैपिंग सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है,जो कुल मतदाताओं का 66.11 प्रतिशत है। इसके बावजूद 1,83,067 से अधिक मतदाता ऐसे पाए गए,जिनकी मैपिंग नहीं हो सकी और उन्हें “नो मैपिंग” श्रेणी में रखा गया। अकेले नोएडा में 59,139, दादरी में 1,01,877 और जेवर में 22,051 मतदाता इस श्रेणी में दर्ज हुए हैं। ये आँकड़ें प्रशासन के लिए चिंता का विषय हैं,क्योंकि बिना मैपिंग वाले मतदाताओं के पते और पहचान से जुड़ी जानकारी पूरी तरह से सत्यापित नहीं मानी जाती।

जिला प्रशासन ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि “नो मैपिंग” श्रेणी में आने वाले 1 लाख 80 हजार से अधिक मतदाताओं को नोटिस भेजे जाएँगे। इन लोगों को अपनी पात्रता और पहचान सिद्ध करने के लिए दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। इसके लिए 31 दिसंबर 2025 से 30 जनवरी 2026 तक की समयसीमा तय की गई है। प्रशासन का मानना है कि इस प्रक्रिया से उन नामों की पहचान हो सकेगी,जो या तो अब जिले में निवास नहीं करते या फिर किसी अन्य कारण से सूची में गलती से दर्ज रह गए हैं। जो मतदाता निर्धारित समय तक दस्तावेज जमा नहीं करेंगे,उनके नाम आगामी सूची से हट सकते हैं।

इसके साथ-साथ रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जिले में एएसडी श्रेणी में बड़ी संख्या में मतदाता शामिल हैं। आँकड़ों के मुताबिक कुल 4 लाख 48 हजार 15 मतदाता—यानी लगभग 24.01 प्रतिशत एएसडी के रूप में दर्ज किए गए हैं। इनमें नोएडा के 2,09,320, दादरी के 1,64,395 और जेवर के 74,300 मतदाता शामिल हैं। एएसडी श्रेणी का अर्थ है कि ये मतदाता या तो लंबे समय से अनुपस्थित पाए गए,किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो गए या फिर उनके नाम दोहराव के रूप में सूची में दर्ज थे। ऐसे मामलों में मतदाता सूची से नाम हटाने या संशोधित करने की कार्रवाई की जाती है।

प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान करीब 4 लाख 40 हजार नामों को सूची से काटा गया है। यह निर्णय उपलब्ध दस्तावेजों,फील्ड सत्यापन और बूथ लेवल अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया। जिन मतदाताओं के नाम काटे गए हैं,वे 31 दिसंबर 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं होंगे,जब तक कि वे तय समयसीमा के भीतर अपने दस्तावेज जमा कर पुन: सत्यापन नहीं करा लेते। अधिकारियों का तर्क है कि यदि किसी पात्र मतदाता का नाम गलती से कट जाता है,तो उसे फार्म-6 भरकर पुन: पंजीकरण का अवसर उपलब्ध रहेगा।

जिला प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि इस पूरी कवायद का उद्देश्य किसी भी मतदाता को वंचित करना नहीं,बल्कि सूची को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है। चुनावी प्रक्रिया में मतदाता सूची सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज मानी जाती है और यदि इसमें त्रुटियाँ रह जाएँ तो मतदान के दिन अनेक शिकायतें सामने आती हैं। इसलिए एसआईआर के जरिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि केवल वही लोग सूची में बने रहें जो वास्तव में जिले के पात्र मतदाता हैं और यहाँ स्थायी या दीर्घकालिक रूप से निवास करते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल तकनीक के बढ़ते प्रयोग से मतदाता सूची में सुधार की संभावना बढ़ी है,पर इसके साथ-साथ लोगों में जागरूकता भी जरूरी है। कई बार स्थान परिवर्तन,किराये के मकान में रहना या दूसरे शहरों में काम के कारण मतदाता अपना नाम अपडेट नहीं करा पाते,जिससे वे अनजाने में एएसडी या नो-मैपिंग श्रेणी में चले जाते हैं। ऐसे में प्रशासन और मतदाताओं के बीच संवाद बढ़ाने और बूथ स्तर तक जनजागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता बताई जा रही है।

गौतमबुद्ध नगर जैसे तेजी से बढ़ते शहरी-औद्योगिक जिले में जनसंख्या संरचना लगातार बदलती रहती है। यही कारण है कि मतदाता सूची का नियमित पुनरीक्षण यहां और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। एसआईआर रिपोर्ट के ताजा निष्कर्षों ने जहाँ एक ओर सूची की खामियों को उजागर किया है,वहीं दूसरी ओर प्रशासन की सक्रियता का भी संकेत दिया है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दस्तावेज सत्यापन और पुन: पंजीकरण की प्रक्रिया कितनी प्रभावी सिद्ध होती है और अंतिम मतदाता सूची कितनी त्रुटिरहित बन पाती है। प्रशासन का दावा है कि पारदर्शिता और शुद्धता को प्राथमिकता देते हुए सभी कदम कानूनी प्रावधानों के दायरे में उठाए जा रहे हैं,ताकि आगामी चुनावों में मतदाताओं का भरोसा और मजबूत हो सके।