BDA's Ramayana Vatika will be full of flora of six types of forests of Shriram era.

श्रीराम युगीन 6 तरह के वनों की वनस्पतियों से गुलाजार होगी बीडीए की रामायण वाटिका

बरेली, 7 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| यूपी के बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा तैयार की जा रही रामायण वाटिका में श्रीराम युगीन दुर्लभ वनस्पतियां और औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। ये वनस्पतियां उस काल के छह प्रकार के वनों में पाई जाती थीं। इनका वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी है। काम इतना बढ़ चुका है कि बीडीए ने इसकी जिम्मेदारी भी तय कर दी है। बीडीए के उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह की मानें तो आर्किटेक्ट सुमित अग्रवाल की देखरेख में इसको धरातल पर उतारा जायेगा।

वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में वर्णित 182 प्रकार की औषधीय वनस्पतियों को हरित वाटिका का रूप देने की तैयारी शुरू है। रामगंगा नगर परियोजना के सेक्टर 2 में करीब 32 हजार वर्ग मीटर भूमि संरक्षित है। बरेली आ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका शिलान्यास करेंगे। वे आम जन से वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में वर्णित वनस्पतियों, पौधों के अलावा भगवान राम से जुड़े संस्मरण, चरित्र और सांस्कृतिक धरोहर को भी साझा करेंगे।

आर्किटेक्ट सुमित अग्रवाल कहते हैं कि वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस के शोध के मुताबिक रामायण महाकाव्य वनस्पति विज्ञानियों के लिए ज्ञान का भंडार है। रामायण में छह प्रकार के वनों का विवरण है। इनमें से पहले चार प्रकार के वनों में प्रभु श्रीराम ने बनवास व्यतीत किया था।

बीडीए की रामायण वाटिका की परिकल्पना भी इसी हरित रामायण पर आधारित है। इसमें रामायण चित्रण के साथ वनस्पतियों को यथार्थ और मूर्त रूप देने की कोशिश की जा रही है। वाल्मीकि रामायण महाकाव्य में 182 प्रकार के पौधों का उल्लेख है। वनों के मुताबिक ही इस वाटिका में फूल, पेड़, फल आदि लगाए जाएंगे। वनस्पतियों के अस्तित्व साकार होंगे।

रामायण वाटिका में 105 पेड़, पांच छोटे पेड़, 20 जलीय पौधे 15 क्लाइंबर, एक क्रीपर, छह प्रकार की घास, आठ प्रकार की झाड़ियां और 22 प्रकार की जड़ी बूटियों को रोपित किया जाएगा। इनमें श्रीराम के अयोध्या से लंका जाते हुए चित्रकूट, दंडकारण्य, पंचवटी, किष्किंधा, पंपा सरोवर और लंका के जंगलों में पाये गये तत्कालीन पौधे शामिल हैं।

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