One man's solo mission to keep the dying art of Katha-Vachan-Gayan alive.

दुर्लभ कला शैली कथा, गायन, वाचन को जिंदा रखने का काम कर रहे रंगकर्मी अजय कुमार

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| कथा, गायन, वाचन एक बहुत ही पौराणिक और दुर्लभ कला शैली है। और लोक कथाओं की जडं़े कहीं ना कहीं पौराणिक कथाओं और दंत कथाओं एवं कहानियां से मिलती हैं। भारत में गिने-चुने लोग ही कथा गायन-वचन की प्रस्तुतियां देते हैं। उनमें से एक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित रंगकर्मी अजय कुमार हैं जो अपने अलग ही तरीके से कथा गायन वाचन को प्रस्तुत करते हैं। अजय कुमार ने हमें बताया कि कथा, गायन, वाचन एक दुर्लभ कला शैली तो है ही इसके अलावा ये पौराणिक कला शैली भी है। इसे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इस शैली को कहीं स्वांगी, भांडदुआई अलग-अलग नाम है। कथा, गायन, वाचन में कलाकार एक कथा को अपने गायन के द्वारा, वाचन के द्वारा और अपनी शारीरिक भाव भंगिमाओं द्वारा प्रस्तुत करता है। अलग-अलग जगहों पर आपको लेरिका चंद्रा किया की कहानी मिलेगी, तो भिखारी ठाकुर के नाटक भी मिलेंगे। शेक्सपियर के नाटकों में भी कथा गायन वाचन के उदाहरण देखने को मिल जाएंगे।

अजय कुमार ने बताया कि कथा गायन वाचन की कला शैली में लय होने की वजह से यह ज्यादा से ज्यादा दर्शक वर्ग पर अपना प्रभाव छोड़ती है।

क्योंकि अगर हम किसी कथा को साधारण तौर पर पढ़कर सुनाए या बताएं तो दर्शक को इतनी रूचि नहीं आती। और अगर उसी को गाकर और उसमें आंगिक गतियों भाव भंगिमाओ का भी प्रयोग करें तो दर्शक वर्ग काफी प्रभावित होता है।

आगे रंगकर्मी अजय कुमार ने बताया कि कथा गायन वाचन में एक अभिनेता का संपूर्ण अस्तित्व दांव पर लगा होता है। कथा गायन वाचन एक संपूर्ण रंगमंच का उदाहरण कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। कथा, गायन, वाचन में अभिनेता को बोलना, नाचना, गाना रसों की उत्पत्ति इत्यादि सारी प्रक्रिया को प्रयोग करना पड़ता है। या यूं कहें रंगकर्मी के इन सारे पक्षों का ज्ञान कथा गायन वाचन के कलाकार को आना ही चाहिए।

अजय कुमार ने आगे बताया कि जिस तरीके से मैं कथा, गायन, वाचन प्रस्तुत करता हूं। उसका तरीका अलग है मैं जब कथा गायन वाचन करता हूं। तो मैं इस शैली के किसी भी अंग को छोड़ता नहीं हूं। जैसे मैं कथा सुनाते वक्त गायन भी करूंगा, वाचन भी करूंगा और भाव भंगिमा और जितने भी कथा गायन वाचन के अंग हैं सबको मैं अपनी प्रस्तुति में दर्शाता हूं।

जबकि कई बार कलाकार सिर्फ गायन पर ही पूरी प्रस्तुति कर देते हैं। कुछ कलाकार सिर्फ वाचन पर ही पूरी प्रस्तुति दे देते हैं। लेकिन मैं कथा गायन वाचन के हर अंग को अपनी प्रस्तुति में दर्शाता हूं।

अजय कुमार ने अपने सफर के बारे में बताया कि 1997 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में उन्होंने प्रवेश किया। और उसके बाद 2000 में उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया। अजय कुमार एनएसडी के अतिथि संकाय में सदस्य होने के साथ-साथ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल में बतौर अभिनेता रंगकर्म कर रहे हैं। अजय कुमार अभी तक 450 से अधिक कथा गायन वाचन की प्रस्तुतियां पूरे हिंदुस्तान में दे चुके है। और अब तक कुल मिलाकर 50 से अधिक नाटकों में अभिनेता, निर्देशक, संगीतकार के रूप में अपनी भागीदारी निभा चुके हैं।

कथा गायन वाचन में रंगकर्मी अजय कुमार की अभी तक की प्रस्तुतियां

बड़ा भांड तो बड़ा भांड एक बहुत ही बड़े लेखक विजयदान देथा की कहानी है। जो रिजक की मर्यादा पर आधारित है, एक अभिनेता की कहानी है। इसकी अजय ने 300 से ऊपर प्रस्तुतियां दी है।

दूसरा शो माई रे मैं का से कहूं यह भी विजय दान देथा की कहानी दुविधा पर आधारित है। इसके अजय ने 150 से ऊपर शो किए हैं।

अजय लगातार कथा गायन वचन की प्रस्तुतियां पूरे देश में दे रहे हैं। और छात्रों को सिखा भी रहे हैं। अजय का कहना है कि यह लोक कलाएं, संस्कृति परंपरा और दुर्लभ कला शैलियां हमारी धरोहर हैं। इन्हें बचाए रखना बहुत जरूरी है।

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