अफगानिस्तान फिर दहला भूकंप से (तस्वीर क्रेडिट@Nt_Takfeeri_1)

अफगानिस्तान में फिर कहर बनकर आया भूकंप: 6.3 की तीव्रता वाले झटकों से सात की मौत,सौ से अधिक घायल

काबुल,3 नवंबर (युआईटीवी)- अफगानिस्तान एक बार फिर से प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। सोमवार सुबह देश के उत्तरी हिस्से में 6.3 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया,जिसने लोगों के बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार,यह भूकंप मजार-ए-शरीफ शहर के पास 28 किलोमीटर की गहराई में दर्ज किया गया। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार,इस भूकंप में कम-से-कम सात लोगों की मौत हो गई है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। कई इमारतें ढह गईं और सैकड़ों लोग मलबे में दब गए। बचाव दल लगातार राहत और रेस्क्यू कार्य में जुटे हुए हैं।

यूएसजीएस ने अपने पेजर सिस्टम के माध्यम से ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इस अलर्ट का मतलब है कि इस भूकंप से बड़ी संख्या में जनहानि और संपत्ति का नुकसान संभव है। पेजर सिस्टम एक स्वचालित तकनीकी उपकरण है,जो किसी भूकंप के बाद उसके संभावित प्रभाव,जनहानि और आर्थिक क्षति का अनुमान लगाता है। यूएसजीएस ने चेतावनी दी है कि यह आपदा सीमित क्षेत्रों तक सीमित नहीं रह सकती और व्यापक नुकसान की संभावना है।

मजार-ए-शरीफ और उसके आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकलकर खुले स्थानों में आ गए। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि कई पुरानी इमारतें पूरी तरह से धराशायी हो गईं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लोगों ने ढही हुई इमारतों और मलबे में फँसे लोगों के वीडियो साझा किए हैं,जो इस प्राकृतिक आपदा की भयावहता को उजागर करते हैं। कई स्थानों पर सड़कों पर दरारें आ गई हैं और बिजली आपूर्ति ठप हो गई है।

जर्मनी के जीएफजेड रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज ने पुष्टि की है कि भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र में था,जो भूकंपीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील इलाका है। इससे पहले 23 सितंबर को देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में भी 4.9 तीव्रता का भूकंप आया था,जिसका केंद्र 10 किलोमीटर की उथली गहराई पर था। हालाँकि,उस समय नुकसान सीमित था,लेकिन लगातार भूकंपीय गतिविधियाँ इस ओर इशारा करती हैं कि अफगानिस्तान भूगर्भीय अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।

भूकंप के बाद राहत और बचाव अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन,तालिबान सरकार और अंतरराष्ट्रीय राहत संगठनों ने मलबे में फँसे लोगों को निकालने के लिए संयुक्त अभियान शुरू किया है। अस्पतालों में घायल लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार,कई घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें तत्काल सर्जरी की जरूरत है। मजार-ए-शरीफ के प्रमुख अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि सरकार भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत सामग्री भेज रही है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी मदद की अपील की है। मुजाहिद ने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है। जिनके घर ढह गए हैं,उनके लिए अस्थायी शिविर बनाए जा रहे हैं।”

यह पहला मौका नहीं है,जब अफगानिस्तान इस तरह की आपदा से जूझ रहा है। 2021 में तालिबान सरकार के सत्ता संभालने के बाद देश में कई बड़े भूकंप आए हैं,जिन्होंने हजारों लोगों की जान ली है। 2023 में ईरान की सीमा से सटे हेरात प्रांत में आया भूकंप तो देश के इतिहास का सबसे भयावह साबित हुआ था। उस विनाशकारी भूकंप में करीब 1,500 लोगों की मौत हुई थी और 63,000 से ज्यादा घर पूरी तरह नष्ट हो गए थे।

इसके अलावा,इस साल 31 अगस्त को देश के पूर्वी हिस्से में आए 6 तीव्रता वाले भूकंप ने 2,200 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। वह हादसा अफगानिस्तान के हाल के इतिहास का सबसे घातक भूकंप बना। तब भी कई गाँव पूरी तरह तबाह हो गए थे और हजारों परिवार बेघर हो गए थे। ऐसे में मौजूदा भूकंप ने एक बार फिर उस त्रासदी की दर्दनाक यादें ताजा कर दी हैं।

अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति इसे दुनिया के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय देशों में से एक बनाती है। यह देश यूरेशियन और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव वाले क्षेत्र में स्थित है। इसके दक्षिण में अरब प्लेट का भी प्रभाव पड़ता है,जिसके कारण यहाँ बार-बार धरती हिलती रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों के बीच निरंतर दबाव बढ़ता जा रहा है,जिससे आने वाले समय में भी भूकंप की संभावना बनी रहेगी।

भूकंप के बाद अफगानिस्तान के कई हिस्सों में लोगों ने रात खुले आसमान के नीचे बिताई। लगातार आफ्टरशॉक्स की वजह से लोग घरों में लौटने से डर रहे हैं। राहतकर्मी मलबे के नीचे फँसे लोगों को बचाने की कोशिश में जुटे हैं,जबकि स्थानीय लोग अपने स्तर पर मदद कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे रेड क्रॉस और यूनिसेफ ने भी सहायता अभियान शुरू करने की घोषणा की है।

अफगानिस्तान पहले ही राजनीतिक अस्थिरता,आर्थिक संकट और मानवीय आपदा से जूझ रहा है। ऐसे में प्राकृतिक आपदा का यह नया झटका देश के हालात को और कठिन बना सकता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस त्रासदी पर गहरी चिंता जता रहा है और मानवीय सहायता के लिए तैयारियों में जुट गया है।

भूकंप से बर्बाद हुए इस देश की तस्वीरें एक बार फिर दुनिया को याद दिला रही हैं कि इंसान तकनीकी रूप से कितना भी विकसित क्यों न हो,प्रकृति के आगे वह अब भी असहाय है। अफगानिस्तान के लोगों के लिए यह एक और कठिन परीक्षा है,जिसमें उन्हें न सिर्फ अपने घरों को,बल्कि अपने जीवन को भी फिर से बसाना होगा।