नई दिल्ली,14 नवंबर (युआईटीवी)- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपनी छह दिवसीय अफ्रीकी देशों की यात्रा पूरी कर भारत लौट आई हैं। अंगोला और बोत्सवाना की इस महत्वपूर्ण राजकीय यात्रा ने भारत और अफ्रीका के दो प्रमुख देशों के साथ रणनीतिक,आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊर्जा प्रदान की है। शुक्रवार को उनकी दिल्ली वापसी के साथ इस दौरे का सफल समापन हो गया। राष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स हैंडल से उनकी वापसी की जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि मुर्मू ने दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के साथ बहुपक्षीय सहयोग,व्यापार,निवेश और लोगों के बीच संबंधों को और अधिक गहरा करने पर व्यापक चर्चा की।
राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा चार दिनों की अंगोला यात्रा से शुरू हुआ था,जो भारत-अंगोला संबंधों में एक नए अध्याय की तरह देखा जा रहा है। अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ने अंगोला के स्वतंत्रता दिवस की 50वीं वर्षगांठ में शामिल होकर भारत की ओर से विशेष सम्मान और सद्भावना का संदेश दिया। लुआंडा में आयोजित समारोह में उन्होंने अंगोला की सैन्य और सांस्कृतिक परंपराओं को करीब से देखा और दोनों देशों के बीच दशकों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
लुआंडा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा था कि भारत और अंगोला के बीच साझेदारी समानता,आपसी सम्मान और प्रगति की साझा आकांक्षाओं पर आधारित है। उन्होंने व्यापार,निवेश और मानव संसाधन विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। साथ ही उन्होंने अंगोला में रह रहे भारतीय नागरिकों से भारत-अंगोला संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय योगदान देने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारतीय नागरिकों ने यहाँ अपनी मेहनत,कौशल और समर्पण से दोनों देशों के बीच सद्भावना का मजबूत पुल तैयार किया है।
अंगोला यात्रा के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंगलवार को बोत्सवाना पहुँचीं,जहाँ उनके स्वागत के लिए बोत्सवाना सरकार और भारतीय दूतावास द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। दो दिवसीय बोत्सवाना दौरे के दौरान राष्ट्रपति ने देश के राष्ट्रपति डुमा बोको के साथ विस्तृत चर्चा की। दोनों नेताओं ने आपसी हित के कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया,जिनमें व्यापार,शिक्षा,स्वास्थ्य सुविधाएँ,खनन,डिजिटल सहयोग और रक्षा भागीदारी जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई।
बोत्सवाना के राष्ट्रपति ने भारत के विकास मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने पिछले वर्षों में जिस गति से प्रगति की है,वह विकासशील देशों के लिए प्रेरणा है। बातचीत के दौरान भारत-बोत्सवाना संबंधों को रणनीतिक दृष्टि से और मजबूत करने का भी निर्णय लिया गया। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अफ्रीका भारत की विदेश नीति का अभिन्न हिस्सा है और बोत्सवाना के साथ साझेदारी को और गहन बनाने की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं।
यात्रा के अंतिम दिन राष्ट्रपति मुर्मू ने बोत्सवाना के उपराष्ट्रपति नदाबा नकोसिनाथी गाओलाथे और विदेश मंत्री से भी मुलाकात की। इन बैठकों में दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा की गई। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में बताया गया कि बोत्सवाना के शीर्ष नेतृत्व ने भारत के उत्कृष्ट विकास पथ की विशेष प्रशंसा की है और भविष्य में भी मजबूत सहयोग के लिए इच्छुक हैं।
गैबोरोन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने प्रवासियों से कहा कि चाहे वे भारत से दूर रहते हों,लेकिन उनका भारतीय मूल्यों,संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव अटूट है। उन्होंने भारतीय समुदाय को भारत और बोत्सवाना के बीच मित्रता और विश्वास के प्रतीक के रूप में वर्णित किया। राष्ट्रपति ने उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के विजन से अवगत कराया और दोनों देशों की साझा प्रगति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक कही जा रही है। यह न सिर्फ भारत-अफ्रीका संबंधों को नई दिशा देती है,बल्कि भारत की विदेश नीति में अफ्रीकी महाद्वीप की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करती है। भारत और अफ्रीका दोनों ही विकास,स्वास्थ्य,शिक्षा,कौशल वृद्धि,डिजिटल तकनीक और वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत करने के साझा लक्ष्यों पर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं।
भारत की “वैश्विक दक्षिण” नीति के संदर्भ में यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा। दोनों देशों के नेताओं ने वैश्विक व्यवस्थाओं में सुधार,जलवायु परिवर्तन,खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर संयुक्त प्रयासों को मजबूत करने पर भी चर्चा की। यह स्पष्ट है कि भारत अपनी साझीदारी को केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं,बल्कि मानवीय और रणनीतिक हितों के आधार पर भी नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता है।
राष्ट्रपति मुर्मू की अफ्रीका यात्रा का सफल समापन भारत के लिए एक मजबूत कूटनीतिक उपलब्धि माना जा रहा है। इससे न केवल भारत-अंगोला और भारत-बोत्सवाना संबंधों में नई ऊर्जा आई है,बल्कि यह भारत की अंतर्राष्ट्रीय भूमिका को भी और अधिक प्रभावशाली बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।

