मुंबई,17 जून (युआईटीवी)- अहमदाबाद में हुए भयानक एयर इंडिया विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 241 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई,जिनमें एयर इंडिया के अनुभवी पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल भी शामिल थे। अब उनका पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए मुंबई लाया गया है। सुमित सभरवाल मुंबई के पवई इलाके में जलवायु विहार सोसाइटी में रहते थे। वहीं उनके निवास स्थान पर उनका पार्थिव शरीर पहुँचते ही गम का माहौल और भी भारी हो गया। परिजन,पड़ोसी और रिश्तेदार नम आँखों से उन्हें अंतिम विदाई देने पहुँचे।
कैप्टन सुमित सभरवाल का अंतिम संस्कार सुबह 10 बजे चकला श्मशान घाट पर किया जाएगा। यह सिर्फ एक शारीरिक विदाई नहीं है,बल्कि एक ऐसे व्यक्ति को अलविदा कहने की घड़ी है,जिसने न केवल अपने परिवार,बल्कि पूरे समाज को गौरवान्वित किया।
सुमित सभरवाल न सिर्फ एक कुशल पायलट थे,बल्कि एक समर्पित बेटा भी थे,जो अपने बुजुर्ग पिता के प्रति बेहद संवेदनशील थे। वे अक्सर कहा करते थे कि अब रिटायरमेंट लेकर अपने 88 वर्षीय पिता की सेवा करना चाहते हैं,लेकिन नियति ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया।
कैप्टन सुमित के निधन की खबर उनके पिता के लिए एक गहरा सदमा है। 60 वर्षीय बेटे के पार्थिव शरीर के सामने खड़े 88 वर्षीय पिता की आँखें सूखी थीं,पर उनका टूटा हुआ मन हर किसी की आँखों को नम कर गया।
गुरुवार को अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद विमान हादसे का शिकार हो गया। फ्लाइट में कुल 242 लोग सवार थे,जिसमें दो पायलट,10 केबिन क्रू और 230 यात्री। इस भयानक हादसे में केवल एक यात्री की जान बच पाई,बाकी सभी की मौत हो गई।
कैप्टन सुमित सभरवाल और उनके को-पायलट क्लाइव कुंदर,दोनों विमान का संचालन कर रहे थे। एयर इंडिया के रिकॉर्ड के मुताबिक सुमित एक अत्यंत अनुभवी पायलट थे। उनके साथी और सहकर्मी उन्हें एक शांत,समर्पित और दक्ष पेशेवर के रूप में याद कर रहे हैं।
उनके साथ एयर इंडिया में कई वर्षों तक काम कर चुकी पूर्व केबिन क्रू सदस्य ऊषा तड़वलेकर ने बताया, “मैंने एयर इंडिया में 37 साल काम किया और सुमित के साथ कई बार उड़ानें साझा की थीं। वह बहुत ही सौम्य और मुस्कुराते चेहरे वाले इंसान थे। उन्होंने कभी शो ऑफ नहीं किया,हमेशा लो-प्रोफाइल रहकर अपने काम में लीन रहते थे।”
ऊषा की आँखें भर आईं जब उन्होंने यह कहा कि “सुमित जैसे लोग एयरलाइंस के रीढ़ की हड्डी होते हैं। उनका जाना एक अपूरणीय क्षति है।”
अहमदाबाद प्रशासन और गुजरात सरकार ने हादसे के बाद तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। चूँकि अधिकांश शव बुरी तरह से जल चुके थे,इसलिए पहचान कर पाना अत्यंत कठिन हो गया। इस चुनौती को देखते हुए डीएनए प्रोफाइलिंग प्रक्रिया शुरू की गई।
अब तक 125 शवों की पहचान की जा चुकी है और 124 मृतकों के परिजनों से संपर्क साधा गया है। इनमें से 83 शव परिजनों को सौंपे भी जा चुके हैं।
गांधीनगर स्थित फॉरेंसिक लैब में डीएनए प्रोफाइलिंग का कार्य जारी है। इसके लिए आसपास के जिलों से भी विशेषज्ञों को बुलाया गया है। इस समय कुल 36 टीमें दिन-रात इस चुनौतीपूर्ण कार्य में जुटी हैं।
डीएनए प्रोसेसिंग में आमतौर पर 72 घंटे का समय लगता है,लेकिन इस हादसे में शवों की स्थिति इतनी खराब है कि DNA सैंपल निकालना बेहद मुश्किल हो रहा है। फिर भी प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है कि मृतकों के परिवारों को जल्द-से-जल्द उनके प्रियजनों का पार्थिव शरीर सौंपा जा सके।
सुमित सभरवाल का सपना था कि वह रिटायरमेंट के बाद अपने पिता की सेवा में जीवन समर्पित कर दें। उनका जीवन एक उदाहरण था कि कैसे कोई व्यक्ति अपने कर्तव्य,परिवार और देश के प्रति ईमानदारी से काम कर सकता है।
उनकी मौत ने न सिर्फ एक पिता का सहारा छीना,बल्कि उन हजारों लोगों को भी स्तब्ध कर दिया जो उन्हें जानते थे या उनके सेवा भाव से प्रेरित थे।
कैप्टन सुमित सभरवाल की अंतिम यात्रा न केवल एक पायलट की विदाई थी,बल्कि एक बेटे,एक नागरिक और एक जिम्मेदार पेशेवर की अंतिम सलामी भी थी।
वह उन चंद लोगों में से थे,जिन्होंने आपदा की स्थिति में भी अपने कर्तव्य से मुँह नहीं मोड़ा। उन्होंने कई जिंदगियों को बचाने की कोशिश की,लेकिन खुद काल के गाल में समा गए।
उनकी शहादत को देश कभी नहीं भुला पाएगा और उनके परिवार के साथ आज पूरा देश कंधे से कंधा मिलाकर,नम आँखों और सम्मान से झुके सिर के साथ खड़ा है।