दिल्ली प्रदूषण

दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर: एक्यूआई 400 के पार,जहरीली हवा से राहत नहीं,स्कूलों में हाइब्रिड मोड लागू

नई दिल्ली,12 नवंबर (युआईटीवी)- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार भयावह स्थिति में पहुँच चुका है। बीते कई दिनों से हवा में घुलते जहर ने लोगों की सांसें तक मुश्किल कर दी हैं। बुधवार को एक बार फिर दिल्ली के कई इलाकों में घना स्मॉग छाया रहा,जिससे दृश्यता भी प्रभावित हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार,दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से ऊपर दर्ज किया गया है,जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इसका अर्थ यह है कि हवा में प्रदूषक कणों की मात्रा इतनी अधिक हो गई है कि यह स्वस्थ लोगों के लिए भी हानिकारक है,जबकि बच्चों,बुजुर्गों और श्वसन रोगियों के लिए यह और भी खतरनाक साबित हो सकती है।

सीपीसीबी की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि बुधवार सुबह गीता कॉलोनी-लक्ष्मी नगर रोड इलाके में एक्यूआई 413 दर्ज किया गया,जो बेहद चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है। इंडिया गेट और कर्तव्य पथ जैसे प्रमुख इलाकों में भी जहरीली धुंध की मोटी परत छाई रही,जहाँ एक्यूआई 408 तक पहुँच गया। वहीं,अलीपुर में यह स्तर 431,आनंद विहार में 438,अशोक विहार में 439,चाँदनी चौक में 449,द्वारका सेक्टर-8 में 422, आईटीओ में 433,जहांगीरपुरी में 446,आरके पुरम में 432 और रोहिणी में 442 तक पहुँच गया। ये आँकड़ें दर्शाते हैं कि दिल्ली के लगभग सभी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण ‘गंभीर’ श्रेणी में है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति मुख्य रूप से पराली जलाने,वाहनों से निकलने वाले धुएँ,निर्माण कार्यों की धूल और मौसम के स्थिर रहने से उत्पन्न हो रही है। हवा की गति बेहद कम होने के कारण प्रदूषक कण वातावरण में फँसे रह जाते हैं,जिससे धुंध की परत और गहरी होती जाती है। इस प्रदूषण के कारण आँखों में जलन,गले में खराश,सिरदर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायतें बढ़ गई हैं।

स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने आपातकालीन कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को घोषणा की कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के चरण-3 के तहत प्राथमिक स्तर के छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कक्षा 5 तक के सभी स्कूलों में हाइब्रिड मोड लागू किया जा रहा है। इसका मतलब यह है कि अब बच्चे या तो स्कूल जाकर पढ़ सकते हैं या घर से ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई जारी रख सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों का स्वास्थ्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए यह फैसला आवश्यक था।

दिल्ली के शिक्षा विभाग ने इस निर्णय को लेकर सभी स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि एनडीएमसी,एमसीडी और दिल्ली छावनी बोर्ड के अंतर्गत आने वाले सभी सरकारी,सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के प्रमुख यह सुनिश्चित करें कि कक्षा 5 तक की कक्षाएँ तत्काल प्रभाव से हाइब्रिड मोड में संचालित की जाएँ। जहाँ ऑनलाइन कक्षाएँ संभव हैं,वहाँ छात्रों को घर से पढ़ने की अनुमति दी जाए,जबकि बाकी के लिए सीमित उपस्थिति के साथ फिजिकल क्लासेस आयोजित की जा सकती हैं।

शिक्षा निदेशक वेदिता रेड्डी ने निर्देश दिया है कि सभी स्कूल प्रमुख अपने छात्रों के माता-पिता और अभिभावकों को इस निर्णय की जानकारी तुरंत पहुँचाए,ताकि किसी बच्चे की पढ़ाई बाधित न हो। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों को प्रदूषण से निपटने के लिए आवश्यक सावधानियाँ बरतनी होंगी। इनमें स्कूल परिसर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग,बच्चों के लिए मास्क की उपलब्धता और खुले में खेल गतिविधियों पर अस्थायी रोक जैसे कदम शामिल हैं।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह दिल्ली-एनसीआर में जीआरएपी के तीसरे चरण को लागू किया गया था। इस चरण में निर्माण कार्यों पर रोक,सड़कों पर पानी का छिड़काव,सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहन और डीजल जनरेटरों के उपयोग पर प्रतिबंध जैसे उपाय शामिल हैं। इसके बावजूद हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक हवा की दिशा और गति में बदलाव नहीं होता,तब तक दिल्ली को इस जहरीली धुंध से राहत मिलना मुश्किल है।

वायु प्रदूषण की यह स्थिति केवल बाहरी पर्यावरण को ही नहीं,बल्कि लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही है। अस्पतालों में सांस और एलर्जी से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों को अनावश्यक रूप से घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए और घरों के अंदर वेंटिलेशन का ध्यान रखना चाहिए।

दिल्ली में इस समय जो स्थिति बनी हुई है,वह एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि आखिर क्यों हर साल सर्दियों में राजधानी गैस चेंबर में तब्दील हो जाती है। सरकारें योजनाएँ बनाती हैं,लेकिन उनका प्रभाव सीमित दिखाई देता है। जब तक प्रदूषण के स्थायी समाधान—जैसे सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा,हरियाली में विस्तार और पराली निपटान के वैकल्पिक उपाय—ठोस रूप से लागू नहीं किए जाते,तब तक यह समस्या हर साल लोगों की सांसों पर भारी पड़ती रहेगी।

फिलहाल,राजधानी के निवासियों के लिए यही सलाह दी जा रही है कि वे जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें,मास्क पहनें और अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। सरकार और प्रशासन की ओर से भी लगातार प्रयास जारी हैं,लेकिन हालात यह बताते हैं कि दिल्ली को स्वच्छ हवा के लिए अभी लंबी लड़ाई लड़नी होगी।