अल फलाह यूनिवर्सिटी पर ईडी की बड़ी कार्रवाई (तस्वीर क्रेडिट@awesh29)

अल फलाह यूनिवर्सिटी पर ईडी की बड़ी कार्रवाई,फंडिंग अनियमितताओं और पुराने आपराधिक मामलों की जाँच तेज

नई दिल्ली/फरीदाबाद,18 नवंबर (युआईटीवी)- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार तड़के अल फलाह यूनिवर्सिटी और इससे जुड़े ट्रस्टियों,संस्थाओं एवं व्यक्तियों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की कार्रवाई शुरू कर दी। यह अभियान सुबह करीब 5 बजे शुरू हुआ और पूरे दिन दिल्ली-एनसीआर के कई ठिकानों पर ईडी की टीमें दस्तावेज़ खंगालती रहीं। शुरुआती जानकारी के अनुसार,यह कार्रवाई यूनिवर्सिटी की संदिग्ध फंडिंग,पुराने आपराधिक मामलों और कुछ संदेहास्पद लेन-देन की शिकायतों के आधार पर की जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि यह मामला एनआईए और दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से भी जुड़ा है, जिसके आधार पर ईडी मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई कर रही है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के दिल्ली के ओखला स्थित दफ्तर पर सबसे पहले छापा डाला गया,जहाँ ईडी अधिकारी सुबह से ही वित्तीय रिकॉर्ड और कंप्यूटर डेटा की जाँच करते दिखे। इसके अतिरिक्त,फरीदाबाद में स्थित विश्वविद्यालय परिसर और उससे जुड़े कई स्थानों पर भी लगातार तलाशी का सिलसिला जारी रहा। ईडी का ध्यान मुख्य रूप से यूनिवर्सिटी की फंडिंग के स्रोतों,ट्रस्ट के आर्थिक लेन-देन और उन व्यक्तियों की गतिविधियों पर केंद्रित बताया जा रहा है,जिन पर पहले से आपराधिक मामलों का बोझ है।

यह कार्रवाई ऐसे समय में सामने आई है,जब अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम हाल के दिनों में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोटों से जुड़े कुछ संदिग्धों के संपर्क बिंदु के रूप में भी आया था। हालाँकि,इन आरोपों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है,लेकिन एजेंसियों को कुछ व्यक्तियों के लिंक और यूनिवर्सिटी से जुड़े संभावित वित्तीय प्रवाह की जाँच की आवश्यकता महसूस हुई। यह भी बताया गया है कि संस्था से जुड़े फर्जीवाड़े और गैर-पारदर्शी लेन-देन की शिकायतें ईडी तक पहुँची थीं,जिनकी गंभीरता को देखते हुए यह छापेमारी की गई।

अल फलाह यूनिवर्सिटी हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित एक निजी विश्वविद्यालय है,जिसकी स्थापना अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा की गई थी। पिछले कुछ वर्षों में यह संस्थान कई विवादों में घिरता रहा है। फंडिंग और प्रशासन से संबंधित कई शिकायतें विभिन्न एजेंसियों तक पहुँचीं थीं,लेकिन पहली बार ईडी ने इतने बड़े पैमाने पर छापा मारकर एक व्यापक जाँच की शुरुआत की है। ईडी अधिकारियों का कहना है कि वित्तीय अनियमितताओं के संभावित सबूत मिलने की संभावना को देखते हुए तलाशी अभियान लंबा चल सकता है।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक और घटना ने हालात को और संवेदनशील बना दिया। अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जावेद अहमद सिद्दीकी के छोटे भाई हमूद अहमद सिद्दीकी को मध्य प्रदेश पुलिस ने रविवार को हैदराबाद से गिरफ्तार किया। हमूद सिद्दीकी पर आरोप है कि उसने कई साल पहले महू कस्बे में लोगों से निवेश के नाम पर करीब 40 लाख रुपए की ठगी की और 20 प्रतिशत ब्याज देने का लालच दिया था। बताया गया कि कंपनी दो साल तक चली,लेकिन तीसरे वर्ष पूरे परिवार सहित वह फरार हो गया।

मध्य प्रदेश पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि इन धोखाधड़ी के मामलों से अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जावेद अहमद सिद्दीकी का कोई संबंध नहीं है। हालाँकि,दोनों घटनाओं के समय का आपसी मेल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की नजर में इस मामले को और गंभीर बना रहा है। कुछ सूत्रों का कहना है कि ईडी इन दोनों घटनाओं के संभावित संबंधों की भी जाँच कर सकती है,हालाँकि अभी तक एजेंसी ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।

इसी बीच,छापेमारी की खबर फैलते ही यूनिवर्सिटी प्रशासन में हलचल मच गई। छात्रों सहित कर्मचारियों में भी चिंता का माहौल देखा गया,हालाँकि यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कहा कि जाँच में पूरा सहयोग किया जा रहा है और कोई भी रिकॉर्ड या जानकारी छिपाई नहीं जाएगी। संस्था के अनुसार,वे पूरी तरह कानून का सम्मान करते हैं और इस जाँच को सही तथ्यों के सामने आने का अवसर मानते हैं।

ईडी की यह कार्रवाई अभी जारी है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं। जाँच एजेंसी उन दस्तावेजों और डिजिटल डेटा का विश्लेषण कर रही है,जिनमें फंडिंग से जुड़े लेन-देन,विदेशी स्रोतों से प्राप्त धन और संदिग्ध खातों की गतिविधियाँ दर्ज हो सकती हैं। चूँकि,मामला सुरक्षा और आर्थिक अनियमितताओं से जुड़ा है,इसलिए इसके व्यापक राजनीतिक और कानूनी प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं।

फिलहाल देश की नजरें ईडी की इस बड़ी छापेमारी पर टिकी हैं,जो न केवल यूनिवर्सिटी के भविष्य को प्रभावित कर सकती है,बल्कि शिक्षा संस्थानों की फंडिंग और नियमन से जुड़े बड़े सवाल भी खड़े कर सकती है।