सियोल,13 अगस्त (युआईटीवी)- उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर हुई बातचीत में रूस को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया है। यह जानकारी बुधवार को उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ (केसीएनए) ने जारी की। इस बातचीत का समय भी खास है,क्योंकि शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन की अलास्का में मुलाकात तय है,जिसमें यूक्रेन युद्ध को रोकने के संभावित रास्तों पर चर्चा होगी।
केसीएनए के अनुसार,यह पहली बार है,जब उत्तर कोरिया ने अपने सर्वोच्च नेता की किसी विदेशी नेता के साथ फोन पर हुई बातचीत को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया और उसका विवरण साझा किया है। इससे इस संवाद की अहमियत और बढ़ जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक,बातचीत के दौरान किम जोंग-उन ने कहा कि उनका देश हमेशा रूस के साथ पिछले वर्ष जून में हुए रक्षा समझौते की भावना के प्रति वफादार रहेगा और भविष्य में रूस की सरकार द्वारा उठाए जाने वाले सभी कदमों का समर्थन करेगा।
उत्तर कोरिया और रूस के बीच पिछले वर्ष जून में प्योंगयांग में एक पारस्परिक रक्षा संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार,इस संधि के तहत यह प्रावधान किया गया था कि यदि किसी भी पक्ष पर हमला होता है,तो दूसरा पक्ष “बिना किसी देरी” के सैन्य सहायता प्रदान करेगा। इस समझौते को उस समय अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने गहरी चिंता से देखा था,क्योंकि इससे यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में रूस को प्रत्यक्ष सैन्य समर्थन मिलने की संभावना बढ़ गई थी।
बातचीत के दौरान पुतिन ने यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरियाई सैनिकों के साहस और बलिदान की प्रशंसा की। केसीएनए के मुताबिक,उन्होंने विशेष रूप से रूस के कुर्स्क क्षेत्र को “मुक्त” कराने में कोरियाई पीपुल्स आर्मी के योगदान को सराहा। यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि उत्तर कोरिया न केवल हथियारों के रूप में बल्कि प्रत्यक्ष सैनिक सहयोग के जरिए भी रूस के साथ खड़ा है।
रूसी मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पुतिन ने किम जोंग-उन को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने वाली अपनी आगामी बैठक के बारे में भी अवगत कराया। हालाँकि,केसीएनए की रिपोर्ट में इस विषय पर कोई उल्लेख नहीं किया गया,संभवतः यह संवेदनशील कूटनीतिक पहलुओं से जुड़ा मामला होने के कारण।
पुतिन ने 15 अगस्त को मनाई जाने वाली उत्तर कोरिया की 80वीं मुक्ति वर्षगांठ पर किम को बधाई दी। यह दिवस 1910 से 1945 तक जापान के औपनिवेशिक शासन से कोरिया की मुक्ति का प्रतीक है और उत्तर कोरिया में इसे बड़े राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर पुतिन का बधाई संदेश दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और भावनात्मक संबंधों को और मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है।
इस बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग को और गहरा करने पर सहमति जताई। साथ ही,उन्होंने भविष्य में अधिक बार संपर्क बनाए रखने और विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी को विस्तार देने की इच्छा व्यक्त की। यह संकेत देता है कि आने वाले महीनों में रूस और उत्तर कोरिया के बीच सैन्य,आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के और अधिक समझौते हो सकते हैं।
उत्तर कोरिया पहले ही रूस को सैनिक और हथियार भेज चुका है। रूसी मीडिया के अनुसार,उत्तर कोरिया कुर्स्क में युद्ध से प्रभावित इलाकों के पुनर्निर्माण के लिए 5,000 सैन्य निर्माणकर्मी और 1,000 सैपर (बारूदी सुरंग हटाने वाले विशेषज्ञ) भेजेगा। यह कदम न केवल युद्ध क्षेत्र में रूस की मदद करेगा,बल्कि उत्तर कोरिया के लिए भी एक तरह का भू-राजनीतिक निवेश है,जिससे वह रूस के साथ अपने सामरिक संबंधों को और गहरा कर सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार का खुला समर्थन वैश्विक राजनीति में नए समीकरण पैदा कर सकता है। अमेरिका और पश्चिमी देश पहले से ही रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हुए हैं और अब उत्तर कोरिया का यह कदम उन्हें और चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल सकता है। वहीं,चीन जैसे देशों के लिए यह स्थिति दिलचस्प है,क्योंकि वह रूस और उत्तर कोरिया दोनों के साथ करीबी संबंध रखता है,लेकिन साथ ही पश्चिमी बाजारों से भी जुड़ा हुआ है।
ट्रंप और पुतिन की होने वाली मुलाकात के मद्देनजर किम-पुतिन फोन वार्ता का महत्व और भी बढ़ जाता है। एक तरफ जहाँ अमेरिका यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की संभावनाओं पर चर्चा करना चाहता है,वहीं दूसरी तरफ रूस अपने सहयोगी देशों से समर्थन जुटाकर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश में है। उत्तर कोरिया का यह स्पष्ट समर्थन रूस के लिए एक मजबूत कूटनीतिक संदेश है कि उसके खिलाफ पश्चिमी देशों का मोर्चा पूरी तरह एकतरफा नहीं है।
भू-राजनीतिक दृष्टि से देखें तो यह वार्ता एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भी असर डाल सकती है। दक्षिण कोरिया,जापान और अमेरिका की त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी पहले से ही उत्तर कोरिया के बढ़ते सैन्य सहयोग को लेकर चिंतित है। ऐसे में यदि रूस-उत्तर कोरिया का यह गठजोड़ और मजबूत होता है,तो पूर्वी एशिया में सैन्य तनाव और बढ़ सकता है।
किम जोंग-उन और पुतिन की यह पहली सार्वजनिक फोन वार्ता केवल एक औपचारिक कूटनीतिक घटना नहीं है,बल्कि यह संकेत है कि आने वाले समय में रूस और उत्तर कोरिया अपने सैन्य और राजनीतिक सहयोग को नए स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हैं। इस वार्ता से जहाँ रूस को युद्ध में नैतिक और व्यावहारिक समर्थन मिलेगा,वहीं उत्तर कोरिया भी वैश्विक मंच पर अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने में सफल हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में इस संवाद के दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं,खासकर उस समय जब दुनिया की नज़र अलास्का में होने वाली ट्रंप-पुतिन मुलाकात पर टिकी हुई है।